किसी ने बहुत बड़ी बात लिखी है “कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं” ! हिन्दुस्तान की एक ऐसी बेटी “समीना बानो” , जिसने अपने दृढ इरादे , जिद और कठिन परिश्रम से इस बात को बखूबी साबित किया है ! उन्होंने अभी तक लगभग 20 हजार से भी अधिक बच्चों को निजी विद्यालयों में दाखिला दिलवाकर उनका भविष्य सँवार रही हैं !
समीना बानो पुणे की रहने वाली हैं ! एक एयर फोर्स अधिकारी की बेटी होने के कारण समीना बानो की शिक्षा देश के विभिन्न जगहों में हुई ! शुरूआती शिक्षा के पश्चात उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक किया और फिर आईआईएम बंगलुरू से मैनेजमेंट की पढाई पूरी की और नौकरी हेतु अमेरिका चली गईं ! समीना इसके लिए खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानती हैं कि उन्हें अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के लिए सभी व्यवस्थाएँ मिलीं ! इसके इतर उनके मन में एक बात हमेशा कौंधती रहती कि हमारे देश में ऐसे अनेकों बच्चे हैं जिन्हें गरीबी , लाचारी और सुविधा ना मिलने के कारण पढाई से दूर हो जाना पड़ता है ! यह विचार उनके मन में घर कर गया और वे उन बच्चों के लिए कुछ करने का विचार लेकर 2012 में भारत लौट आईं !
कैसे हुई बच्चों में शिक्षा-संचार की शुरूआत:-
शिक्षा के क्षेत्र में अपने कार्यों को करने के लिए उन्होंने बंगलुरू और पुणे शहर को चुना पर उनके एक मित्र ने सलाह दिया कि तुम काम ऐसी जगह पर करो जहाँ तुम्हारी ज्यादा जरूरत है , तुम्हारे प्रयासों से अधिकाधिक लोग लाभ प्राप्त कर पाएँ ! अपने मित्र का यह सुझाव समीना ने मान लिया और उत्तरप्रदेश के लखनऊ शहर आ गई और किराये के मकान में रहने लगीं ! उसी दौरान समीना की मुलाकात विनोद यादव नाम के एक शख्स से हुई जिनके पास शिक्षा , कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र की अच्छी जानकारी थी ! 2012 में समीना ने विनोद के साथ मिलकर “भारत अभ्युदय फाउंडेशन” की स्थापना की ! जिसके अंतर्गत लखनऊ के स्लम और गरीब बस्तियों में रह रहे दसवीं व ग्यारहवीं के पचास बच्चों को ट्यूशन पढाना शुरू किया ! कुछ दिनों के बाद समीना को लगा कि इस प्रयास से तो चन्द बच्चे हीं लाभान्वित हो पाएँगे जबकि वह ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक अपने परिश्रम से शिक्षा की किरण पहुँचाना चाहती थीं ! बड़े पैमाने पर बच्चों तक शिक्षा की ज्योत पहुँचाने हेतु समीना सरकार से सहयोग चाहती थीं क्यूँकि सरकार के पास बना बनाया हुआ एक वृहद प्लेटफार्म है , व्यवस्था है ! संस्था के को-फाउन्डर विनोद यादव से इसके लिए काफी मदद मिली ! समीना ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार , नई व्यवस्था और कई नियम बनाए जिन्हें अच्छी तरह लागू करने के लिए कार्य करना शुरू किया !
बच्चों का निजी विद्यालयों में दाखिला और सरकारी विद्यालयों में शिक्षा स्तर सुधार व वोकेशनल ट्रेनिंग पर कार्य:-
समीना ने अधिकाधिक बच्चों तक गुणात्मक शिक्षा पहुँचाने के लिए “शिक्षा का अधिकार” एक्ट का सहारा लिया जिसके अंतर्गत यह प्रावधान है कि राज्य के सभी निजी विद्यालय अपने यहाँ 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब और सुविधा से वंचित बच्चों का दाखिला लेंगे ! उन दिनों निजी विद्यालयों में इसका पालन ना के बराबर हो रहा था ! समीना ने इसके लिए लड़ाई शुरू कर दी ! यह लड़ाई बेहद मुश्किल थी क्योंकि एक तरफ समीना और विनोद थे तो दूसरी तरफ समस्त निजी विद्यालयों के समूह ! निजी विद्यालयों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया फिर भी समीना ने हार नहीं मानी ! हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 2 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद समीना की जीत हुई ! शिक्षा के अधिकार एक्ट के लागू होने के चार साल के बाद भी उत्तरप्रदेश में उपलब्ध 6 लाख सीटों में से 108 नामांकन हीं हो पाए थे ! समीना ने फिर भी हार नहीं मानी और अपना सतत् प्रयास जारी रखा ! आज उनके प्रयास से लगभग 20 हजार से भी अधिक बच्चे निजी विद्यालयों में पढ रहे हैं ! इस सफलता के पश्चात समीना ने सरकारी विद्यालयों की ओर रूख किया जहाँ उन्होंने शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए नवीं से बारहवीं तक के बच्चों को “माय स्कूल माय वॉइस” का अधिकार दिलवाया ! जिसके अंतर्गत यह प्रावधान था कि बच्चे अपने शिक्षक के प्रति अपनी राय मुख्यमंत्री तक पहुँचा सकते हैं ! समीना के इस प्रयास से सरकारी विद्यालयों में बहुत सुधार आने लगा ! वहाँ पढा रहे शिक्षकों की जवाबदेही तय हो गई ! समीना के कदम यहीं नहीं रूकने वाले थे ! वे तो बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के प्रयासों को कदम-दर-कदम बढाती जा रही थीं ! समीना का अगला कदम छात्रों को दी जाने वाली वोकेशनल ट्रेनिंग की ओर बढा ! इसके अध्ययन के लिए वह जर्मनी भी गईं ! वर्तमान में समीना दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में छात्रों को दी जाने वाली वोकेशनल ट्रेनिंग का अध्ययन कर रही हैं ताकि उसे उत्तरप्रदेश के सरकारी विद्यालयों में भी लागू किया जा सके ! समीना अपनी संस्था के माध्यम से यूनिसेफ के साथ मिलकर 9 जिलों के लगभग 150 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों व अध्यापकों के साथ मिलकर एक “बड़ी सिस्टम” वर्कशॉप का आयोजन किया जिसमें सभी बच्चों में समानता का भाव लाने का प्रयास किया गया व कम पढे-लिखे अभिभावकों का पढे-लिखे अभिभावकों से ताल-मेल बिठाने का प्रयास किया गया !
कैसे जुटाते हैं पैसे
समीना को अपने कार्यों में होने वाले खर्च की जुगत खुद हीं करनी पड़ती है ! उनके इस पहल में आईआईएम के छात्रों का बहुत आर्थिक सहयोग रहा है ! समीना के कोर टीम में 7 सदस्य हैं ! समीना ने बताया कि उनकी फंडिंग क्राउड फंडिंग द्वारा होती है ! उनके दोस्त और रिश्तेदार भी उनके इस कार्यक्रम में आर्थिक सहयोग करते हैं ! आगे समीना ने बताया कि परिस्थितियाँ पूर्व से काफी बेहतर हुई हैं जिससे लोगों में हमारे प्रति विश्वास जागा है , हम उम्मीद करते हैं कि आगे के प्रोजेक्टस् के लिए हमें आसानी से फंडिंग मिलेगी ! समीना को सरकार से भी मदद की आस है !
समीना बानो ने अपनी जिंदगी को विभिन्न कारणों से पढाई से दूर हुए बच्चों में शिक्षा संचार से उनकी जिंदगियों को प्रकाशवान करने हेतु समर्पित कर शिक्षा के क्षेत्र में परोपकारिता का एक ऐसा मिसाल पेश किया है जो सदियों तक प्रेरणा का स्रोत रहेगा !