Sunday, December 10, 2023

भारत का एक ऐसा गांव जिसने दिए 10,000 सैनिक ! कई युद्ध में भी ले चुके हैं हिस्सा :-गहमर

उत्तप्रदेश के गाजीपुर जिले का गहमर गाँव जहाँ देशप्रेम व देशभक्ति का अविरल प्रवाह देखने को मिलता है ! इस गाँव के हर घर से लोग भारतीय सेना में हैं और देशसेवा कर रहे हैं ! उत्तरप्रदेश और बिहार की सीमा पर स्थित यह गाँव एशिया महादेश के बड़े गाँवों में से एक है ! गाजीपुर शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर यह गाँव करीब 8 वर्गमील में फैला हुआ है ! इसकी आबादी लगभग 1 लाख है ! 22 पट्टियों में बँटा इस गाँव की हर पट्टी किसी ना किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम पर रखा गया है ! गहमर भरसक एक गाँव है पर वहाँ शहर जैसी सभी सुख-सुविधाएँ मौजूद हैं ! इस गाँव में टेलीफोन एक्सचेंज , दो डिग्री कॉलेज , दो इंटर कॉलेज , दो उच्च विद्यालय , दो मध्य विद्यालय व पाँच प्राथमिक विद्यालय के साथ-साथ स्वास्थ्य केन्द्र भी विद्यमान हैं ! गहमर में रेलवे स्टेशन भी है जो यातायात के लिए सुगमता प्रदान करता है !

कण-कण में बसती है देशभक्ति

इस गाँव की मिट्टी में , फजाओं में या यूँ कहें कि हर ओर देशभक्ति की गूंज सुनाई देती है




! जगह-जगह पर बना हुआ स्मारक , शहीदों की मूर्तियाँ , अशोक स्तम्भ पर हजारों सैनिकों की प्रेरणा से देशभक्ति का अमिट संचार होता रहता है ! गहमर गाँव की ग्राम प्रधान किरण सिंह बताती हैं “यहाँ के लोग देशभक्ति में इस कदर डूबे हुए हैं कि चाहे युद्ध हो या कोई प्राकृतिक आपदा , यहाँ की महिलाएँ भी अपने पुरूषों को जाने से नहीं रोकती हैं बल्कि उन्हें और प्रोत्साहित करती हैं” ! इस गाँव में कोई ऐसा घर नहीं जिसमें कि लोग सेना में नहीं है ! कई घरों में भारतीय सेना में सेवा देने वालों की संख्या दो से भी अधिक है ! अधिकत्तर घर में देश सेवा में जाना यूं माना जाता है जैसे यह उनके खानदानी रिवाजों में शामिल हो ! वर्तमान समय में इस गाँव के लगभग दस हजार से भी अधिक लोग भारतीय सेना में अलग-अलग पदों पर अपनी सेवा दे रहे हैं तथा करीब पाँच हजार लोग भूतपूर्व सैनिक हैं ! इस गाँव के युवाओं में बस एक हीं ख़्वाहिश पलती रहती है कि उनका चयन भारतीय सेना में हो जाए ! अपने अभिभावकों, आस-पास के वातावरण से यहाँ के युवाओं में बचपन से हीं देशभक्ति का संचार होने लगता है ! लोग अपने बच्चों को देश सेवा के लिए प्रेरित करते हैं ! यहाँ के लोगों में देशप्रेम सर चढ कर बोलता है ! देश के लिए मर-मिटने की जिज्ञासा हर लोग में समाहित है ! देशभक्ति का अप्रतीम व अद्भुत उदाहरण पेश करता यह गाँव संसार भर के मातृभूमि प्रेमियों के लिए प्रेरणास्रोत है ! अपनी बहादुरी और पराक्रम से अपने भारत देश का गौरव गाथा गान करने वाले लोग राष्ट्रभक्ति का जीता-जागता उदाहरण है !

युवाओं द्वारा सेना में जाने हेतु तैयारियों की झलक

दिखता है सैन्य छावनी सा नजारा

इस गाँव में दस हजार से भी अधिक की संख्या में लोग फौजी हैं जो छुट्टियों में अपने गाँव गहमर आते रहते हैं ! ज्यादातर सैनिक रेलगाड़ी से हीं आते हैं और अपने गाँव गहमर जो कि एक स्टेशन भी है पर उतरते हैं ! खास त्योहार जैसे होली , दिवाली पर एक साथ कई सैनिक अपने गाँव आते हैं जिस क्रम में वे इस स्टेशन पर उतरते हैं ! एक हीं साथ इतने अधिक मात्रा में सैनिकों के स्टेशन पर आने के कारण वहाँ का नजारा “सैन्य छावनी” सा प्रतीत होने लगता है ! खास त्योहारों के मौके पर गहमर गाँव का भी कुछ ऐसा हीं दृश्य होता है !

बन चुके हैं कई लड़ाईयों का हिस्सा

आजादी पूर्व से हीं इस गाँव के सपूत अपने देश की रक्षा के लिए प्राण गँवाते रहे हैं और सेवा देते रहे हैं ! प्रथम विश्वयुद्घ हो या द्वितीय, दोनों में अपना पराक्रम दिखा चुके हैं ! स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हुए युद्धों में चाहे वह 1965 की लड़ाई हो , या 1971 का युद्ध हो या फिर कारगिल का द्वंद , यहां के रहने वाले कई सैनिकों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु विदेशी आक्रांताओं पर अपने शौर्य और वीरता का परचम लहराया है !




गाँव गहमर में प्रवेश करते हीं वहाँ के युवकों और युुवतियों में देश सेवा की ललक और झलक दोनों हीं दिखाई देने लगता है ! सुबह और शाम के समय में जगह-जगह पर सेना में जाने हेतु सभी मापदण्डों पर खड़े उतरने के लिए खुद को उस अनुरूप तैयार करते युवाओं की टोली दिख जाना सहज सी बात है ! गाँव के हीं एक व्यक्ति अतुल सिंह बताते हैं कि “हमलोग भरसक सेना में जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं लेकिन लगभग 37 सालों से इस गाँव में भर्ती ना होने नाराजगी भी है ! अगर सरकार इस ओर ध्यान देती तो यहाँ से और अधिक संख्या में युवा देश सेवा में अपने को समर्पित कर पाते” ! गौरतलब हो कि इस गाँव के लोगों में देशभक्ति के जज्बे और भारतीय सेना में जाने की तत्परता के कारण बहुत पहले तक समय-समय पर सेना भर्ती शिविर लगाया जाता था ! यहाँ के युवा हमेशा खुद को सेना के लायक तैयार करते रहते हैं कि मौका आते हीं उसमें चयन पाया जा सके और देशसेवा के पथ पर अग्रसर हो सकें ! गाव में रह रहे अभिभावकगण भी बच्चों को सेना में जाने को प्रेरित , उत्साहित और प्रशिक्षित करते रहते हैं !