आमतौर पर एक उम्र के बाद लोग आराम करना चाहते हैं लेकिन हमारे समाज में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो आराम करने की उम्र में भी अपनी अंदरूनी शक्ति से नया मिसाल कायम करते हैं जैसे किसी ने मैराथन में भाग लिया तो किसी ने PHD की डिग्री हासिल की। कुछ ऐसी ही कहानी है लक्ष्मीबाला (Lakshmibala) की, जो 102 वर्ष की आयु होने के बावजूद भी सब्जी बेच रही हैं और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही हैं।
लक्ष्मीबाला की प्रेरणादायक कहानी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लक्ष्मीबाला देवी का जन्म 1920 में पश्चिम बंगाल (West Bengal) के कोलाघाट (Kolaghat) के बागडिहा नामक गांव में हुआ था। जब वह 13 वर्ष की हुईं तो उनका विवाह कर दिया गया लेकिन घर की स्थिति सही नहीं थी। ऐसे में उन्होंने पितृस्तातमक समाज से लड़ते हुए काम करना शुरु किया और फिर कभी पीछे पलटकर नहीं देखा। मीडिया के अनुसार, लक्ष्मीबाला ने भारत छोड़ों आन्दोलन में भी हिस्सा लिया था।
यह भी पढ़ें:- प्यास से तड़प रही थी गिलहरी, शख्स ने पानी पिलाकर जीता लोगों का दिल: Viral Video
उम्र के इस पड़ाव में भी जिन्दा है आत्मनिर्भर बनने की चाह
लक्ष्मीबाला (Lakshmibala Devi) मे मांग का सिन्दूर उस समय धुल गया जब उनके बेटे की उम्र महज 7 वर्ष की थी। पति के स्वर्गवासी होने के बाद बेटे और परिवार की पूरी जिम्मेदारी लक्ष्मीबाला के कंधों पर आ गई। उन्होंने खुद ही अपने बच्चों की परवरिश की और उन्हें बड़ा किया। लेकिन हमेशा से ही वह आत्मनिर्भर बनना चाहती थीं और उनकी यह चाह उम्र के इस पड़ाव में भी जिन्दा है।
पेश कर रही हैं आत्मनिभ्रर बनने की मिसाल
आत्मनिर्भर बनने के लिए वह कोलाघाट (Kolaghat)के न्यू बाजार (New Market) में सोमवार से लेकर शुक्रवार तक सब्जी बेचती हैं। इसके लिए वह स्थानीय किसानों से सब्जी खरीदती हैं और तब न्यू बाजार मे सुबह से लेकर दोपहर तक सब्जियां बेचने का काम करती हैं। हालांकि, उनका यह काम एकलौते बेटे को पसंद नहीं आता है।
मीडिया से बातचीत के दौरान लक्ष्मीबाला ने बताया कि, उनका बेटा इस काम को करने के लिए मना करता है लेकिन वह भागकर सब्जी बेचने चली आती हैं। इन सबसे से अलग उनके काम करने की लगन देखकर उनके ग्राहक काफी पसंद करते हैं। इसके अलावा लक्ष्मीबाला इस उम्र में भी काम करके लोगों को आत्मनिर्भर का सही अर्थ समझा रही हैं।