अगर आप चाहते हैं कि आप अपने परिवार के साथ रहकर खुशहाल जीवन बिताएं तो आप एक कृषक बन सकते हैं। हालांकि आपको खेती के विषय में अच्छी जानकारी होनी चाहिए। साथ ही किस फसल की बुआई से बम्पर पैदावार हो इसके विषय में रुचि भी। अगर आप एक बतौर कृषक अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो खेतों में खेजड़ी के पेड़ तथा विदेशी फलों की बुआई कर सकते हैं। इस लेख द्वारा हम आपको ये जानकारी देंगे कि किस तरह खेत में खेजड़ी की बुआई की जाए और इससे अच्छा पैसा कमाया जाए।
सीताराम सेंगवा (SitaRam Sengva)
किसान सीताराम सेंगवा (SitaRam Sengva) जो जोधपुर (Jodhpur) से ताल्लुक रखते हैं और खेती में खेजड़ी तथा अन्य विदेशी पौधों की बुआई से लाखों रुपए कमा रहे हैं। वैसे तो उनकी आयु 42 साल की है परंतु वह एक सफल कृषक बनकर अन्य लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उनका परिवार काफी छोटा है जिसमें उनकी पत्नी बेटा और 2 बेटी शामिल है। वह 25 बीघा में खेती करते हैं और अच्छा लाभ अर्जित करते हैं। सीताराम सेंगवा (SitaRam Sengva) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सम्पन्न की और आगे वह खेती से जुड़ गएं क्योंकि उन्हें खेती में काफी रुचि थी। उन्होंने पारंपरिक को शुरू किया और आगे काजरी संस्थान से प्रशिक्षण लिया और उन्नत किस्म के बीज तथा पौधों की बुआई शुरू की जिसमें वह सफल भी हुए।
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नर्सरी में है इतने पौधे
उन्होंने अपनी नर्सरी भी तैयार की है जिसमें टमाटर के 20 हज़ार चंदन के 20 हज़ार, बैंगन के 20 हज़ार गोभी के 20 हज़ार, बेर के 10,000 खेजरी के 20 हज़ार, पपीते के 5 हज़ार, सहजना के 10 हज़ार, करोंदा के दो हजार अनार के 3000 अमरुद के दो हजार, आंवला के 3000, गूगल धूप के 3 हज़ार, मालदार 5 हज़ार नींबू के पास 5 हज़ार आदि पौधे यहां तैयार हैं। इस पौधे की क्वालिटी बेहतर होती है जिस कारण इसका मार्केट में खूब डिमांड है। यह लगभग 70 से 80 हज़ार रुपये बिक जाते हैं। यहां के 20,000 पौधे तो हरियाणा के हैं। किसान अपने खेतों में बुआई के लिए लेकर चले जाते हैं। इसके अतिरिक्त पौधे बीकानेर, बालोतरा, बाड़मेर, नागौर, जालोर तथा सीकर आदि जगहों पर भेजे जाते हैं।
लगाएं खेजड़ी के पौधे
जब वह यहां खेती करते तो इलाका गर्म होने के कारण काफी दिक्कत होती। पानी की कमी के कारण पौधों की सिंचाई में काफी कठिनाइयां आती। उन्होंने 2012 में ड्रिप इरिगेशन के साथ पौंड आदि की व्यवस्था की और इस वक्त जीरा, मूंग, सरसों आदि की बुआई की। जिससे वह करीब 2 लाख रुपए कमाएं। वह खेतो में फल, सब्जी तथा जड़ी-बूटियों की बुआई करते हैं जिसकी क्वालिटी बेहतर होने के कारण हांथो-हांथ बिक जाते हैं। वह खेती में सफल होते गए और उनका मनोबल बढ़ता गया। आगे उन्होंने डेयरी फार्मिंग की बगीचे भी तैयार किया। उन्होंने वर्ष 2017 में खेजड़ी के लगभग 100 पौधे अपने बगीचे में लगाया जो 5 साल में तैयार हो गया। अगर हम सूखे हुए सांगरी के विषय में बात करें तो यह लगभग 400 से 800 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता है।
किया रोजगार मुहैया
उन्होंने नर्सरी तैयार की जिसमें सैकड़ो किसानों को जोड़ा जो आज हज़ारों का रूप ले चुके हैं। वह अपने पौधों के लिए मार्केट से खरीदे हुए कंपोस्ट नहीं बल्कि वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करते हैं जो गांव के लोगों द्वारा तैयार किया जाता है। इस तरह वह गांव के लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। आज उनके बगीचे में लाखों की संख्या में पौधे हैं और उनसे जो फल तैयार होते हैं वह पूरी तरह ऑर्गेनिक होते हैं जिस कारण वह अपने क्षेत्र के लोगों के लिए सेहतमंद फल प्रदान कर रहे हैं।
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उनके नर्सरी में आपको थाई एप्पल के पौधे की किस्म भी मिलेंगे जो बेहतर क्वालिटी के हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने यहां चंदन के भी पौधे तथा बीज तैयार किए हुए हैं। उनके नर्सरी में चंदन के लगभग 2000 पौधे मौजूद हैं। वह पौधों की होम डिलीवरी भी करते हैं और इसका मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार करने में लगे हुए हैं। उनकी नर्सरी से लगभग 80 हजार तक पौधे बिक जाते हैं। वह बताते हैं कि खेती से पूर्व अगर हम कोई छोटी सी भी जानकारी ट्रेनिंग में मिस कर जाए तो थोड़ी दिक्कत आती है परंतु वही छोटी सी जानकारी अगर आप अच्छी तरह प्राप्त कर लें और खेतों में अपना है तो आप करोड़पति बन सकते हैं।
हुए हैं सम्मानित
वह बताते हैं कि मैंने अपने खेतों में सरसों, मूंग तथा बाजरे आदि के साथ सरसों की बुआई की है। जिससे मैं 4 से 5 लाख रुपये आसानी से कमा लेता हूं। वहीं नर्सरी से पौधों को बेचकर मैं 10 लाख रुपए कमाता हूं। कुल मिलाकर मेरा वार्षिक टर्न ओवर 20 लाख के करीब चला जाता है। इसके साथ ही मैं आसपास के लोगों को रोजगार से भी जोड़ रहा हूं। अगर किसान खेजङी की खेती की ओर ध्यान दें तो वह लाभ कमा सकते हैं। उन्हें खेती में सफलता के लिए पुरस्कार से भी नवाजा गया।