कुछ करने की चाह इंसान को अक्सर सफल बना देता है। अगर लक्ष्य तक पहुंचने की हिम्मत हो तो उम्र हमारे कदम नहीं रोक सकते। इस बात का उदाहरण है 10वीं में पढ़ने वाली एक छात्रा। दिल्ली की रहने वाली यह छात्रा ईशानी अग्रवाल (Ishani Agarwal) खुद तो अपने माता-पिता पर आश्रित हैं, लेकिन उसे मिलने वाला पॉकेट मनी वह खुद पर खर्च करने के बजाय उसी पैसे से दूसरे बच्चों की मदद करती हैं। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने गाजियाबाद के डासना इलाके में गरीब बच्चों के पढ़ने के लिए एक लाइब्रेरी खोलने में अपना अहम योगदान दिया है। – 10th student Ishani Agarwal from Delhi helped her to open the library with the money saved from her pocket money.
लाइब्रेरी खोलने में ईशानी का अहम योगदान
खास बात यह है कि लाइब्रेरी खोलने के लिए यह योगदान ईशानी के माता-पिता ने नहीं बल्कि 15 साल की उस बच्ची ने दिया है, वह भी अपने माता-पिता से मिलने वाले पॉकेट मनी से। ईशानी को शिक्षा से शुरू से काफी लगाव रहा है। वह एक बार ईशान स्कूल के टूर में राजस्थान गई थीं, जहां उसने कुछ गरीब लोगों को देखा और यह महसूस किया कि संसाधन के कमी की वजह से बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रहा है। उसी समय ईशानी गरीब बच्चों के लिए कुछ करने का फैसला कर ली।
पॉकेट मनी से जमा की 1.50 लाख रुपया
गरीब बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के इस पहल में ईशानी ने कुछ ऐसा करने का सोंचा, जिससे जो बच्चे शिक्षा तक नहीं पहुंच सकते हैं, खुद शिक्षा ही उन तक पहुंच जाए। उसके बाद ईशानी अपनी पॉकेट मनी के साथ दीवाली, रक्षाबंधन और जन्मदिन पर मिलने वाले पैसों को एक साथ जोड़ना शुरू किया, जिससे उनके पास 1.50 लाख रुपये जमा हो गए। ईशानी जमा किए हुए पैसों से बच्चों के लिए किताबघर बनाने में मदद की। इस किताबघर में एक साथ 35 बच्चों के बैठकर पढ़ने की जगह तैयार की गई है। – 10th student Ishani Agarwal from Delhi, helped her with the money saved from her pocket money to open the library.
ईशानी की हर कोई कर रहा है प्रशंसा
ईशानी के इस कार्य के लिए जिला प्रशासन और ग्रामीण लोग खूब तारीफ कर रहे हैं। दिल्ली के प्रीत विहार में रहने वाली ईशानी के पिता वर्ल्ड सिटी के एक निजी स्कूल में डायरेक्टर के पद पर कार्य कर रहे हैं और उनकी मां सिरौना अग्रवाल हाउसवाइफ हैं। तीन महीने पहले ईशानी अपने माता-पिता के साथ एक कार्यक्रम में गई थीं और उन्होंने अपने पॉकेट मनी से जरूरतमंद बच्चों की मदद करने का फैसला की। ईशानी इस बारे में एडीएम प्रशासन ऋतु सुहास से राय मांगी।
सालों से बंद पड़े घर में खोली किताबघर
ईशानी को बढ़ावा देने के लिए एडीएम प्रशासन ने डासना नगर पंचायत में स्थित सरकारी स्कूल के पास 15 साल से जर्जर पड़े बरात घर को किताब घर में तब्दील करने को कहा। इस किताब घर का उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गाजियाबाद के डीएम के हाथों हुआ। ईशानी ने बंद पड़े इस किताब घर को अच्छे से रिनोवेट किया है, जिसमें लगभग सभी प्रकार के बुक रखे जाएंगे। इस लायब्रेरी के जरिए गरीब बच्चों को यहां बैठकर पढ़ने का स्थान और किताब दोनो मिल जाएगा। – 10th student Ishani Agarwal from Delhi helped her to open the library with the money saved from her pocket money.