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महज 13 साल की यह बच्ची पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कर रहीं शानदार काम, 21 देशों का कर चुकी है दौरा

क्लाइमेट में बदलाव का सबसे बड़ा खतरा हमारे आने वाली पीढ़ी यानि बच्चों के ऊपर अधिक है। इसके प्रति गर्वमेंट की तरफ से भी कोई अनूठा कदम नहीं उठाया जा रहा और लोग इसे लेकर अधिक चिंतित नहीं हैं। लेकिन हमारे देश में ऐसे कई लोग मौजूद हैं जो क्लाइमेट चेंज पर सोंचने के लिए लोगों को बिबस कर दिये हैं।

आज के इस लेख में हम आपको एक ऐसी नाबालिक यानि मात्र 13 वर्षीय Licypriya Kangujam के विषय में बताएंगे जो क्लाइमेट को लेकर काफी एक्टिव हैं और लोग उनकी बातों से उनके मुहिम में पार्टिसिपेट के लिए मजबूर हो रहे हैं।

13 वर्षीय Licypriya Kangujam

Licypriya का जन्म मणिपुर में 2 अक्टूबर 2011 में हुआ। क्लाइमेट चेंज को लेकर वह वर्ष 2018 से की कोशिश में लगी हैं। अपने इस बेहतरीन कार्य के लिए उन्हें इतनी कम उम्र में कई पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्हें हमारे देश की “ग्रेटा थनबर्ग” के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2018 में जब केरल में बाढ़ आई थी उस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष में लगभग 100000 रुपए दान किए। एयर पोलूशन को लेकर उन्होंने एक ऐसे प्रोडक्ट का निर्माण किया है जिसका नाम एसयूकेआईएफयू (Survival Kit for future) है। जिसके निर्माण में IIT जम्मू के प्रोफेसर चंदन घोष की मदद ली है। वह चाहती हैं कि Fossil Fuel Economy पर कंट्रोल हो।

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किया पार्लियामेंट में अपील

वर्ष 2019 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अन्य पार्लियामेंट मेंबर से यह अपील की कि क्लाइमेट चेंज लॉ जल्द पारित हो। वह बैनर लेकर वायु प्रदूषण के खिलाफ विजय चौक पर प्रदर्शन करती। वह अपने टि्वटर हैंडल पर यह लिखती थी कि अगर हम सभी करोना के कहर से बच गए तो इसमें खुश होने की बात नहीं क्योंकि बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण हम सभी के लिए काफी खतरनाक है। हर वर्ष प्रदूषण बढ़ते जा रहा है अगर इस में अभी सुधार नहीं लगाया गया तो आगे ये और खतरनाक हो जाएगा जिस कारण हमारे साथ भी बंद हो सकते हैं।

Manipur's 13-year-old Licypriya Kangujam doing tremendous work in the field of environment

किया है 21 से अधिक देशों का दौरा

वह रात के दौरान ही प्रदर्शन करती हैं क्योंकि वह बताती हैं कि दिन में हर कोई व्यस्त रहता है और उनकी आवाज कोई नहीं सुनता। वह मात्र 7 वर्ष की आयु से ही क्लाइमेट चेंज को लेकर आवाज उठाने लगी थी। वह चाहती है कि स्कूलों में बहुत ही जल्द क्लाइमेट लिटरेसी को जारी किया जाए। डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रदूषण के कारण हमारे देश को काफी खतरा है इसमें हमारा देश पांचवें स्थान पर है। क्लाइमेट को लेकर वह लगभग 21 से भी अधिक देशों में यात्रा कर चुकी हैं। आज उनके सर्मथन में 121 से देश खड़े हैं।

मिला है कई सम्मान

अपने इस कार्य के लिए उन्हें बाल शांति पुरस्कार, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवॉर्ड, इंडिया पीस प्राइज पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। साथ ही उन्हें संयुक्त राष्ट्रीय विकास कार्यक्रम में ग्रेटा थनबर्ग तथा जेमी मार्गोलिन के साथ स्पेशल पर्यावरण कार्यकर्ता का भी सम्मान मिला है। उन्हें ग्लोबल चाइल्ड प्रॉडिगी अवार्ड तथा नोबेल सिटीजन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

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है फोर्ब्स लिस्ट में नाम शामिल

उन्होंने अपना नाम फोर्ब्स की लिस्ट में दर्ज कराया है। उन्हें TN Khoshoo memorial अवार्ड भी प्राप्त है। उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा इंटरनेशनल वोमेन्स डे अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। वह अपने इस पर्यावरण संरक्षण के हित के कार्य के लिए काफी सुर्खियों में रहती है।

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