किसी की मदद करने के लिए आपकी उम्र या आपका स्टेटस मायने नहीं रखता। मदद करने के लिए सिर्फ और सिर्फ दिल मायने रखता है । अगर दिल में मदद करने की इच्छा हो तो फिर ना उम्र देखी जाती है और ना ही स्टेटस देखा जाता है। आज की कहानी चांदनी ग्रोवर की है जो अपनी साफ नीयत से बेजुबान जानवरों की ज़ुबान बन चुकी है। चांदनी ग्रोवर (Chandani Grover)भोपाल की रहने वाली हैं। वह अभी संस्कार वैली स्कूल की दसवीं की छात्रा है। चांदनी के माता पिता बताते हैं कि इन्हें बचपन से ही जानवरों से बेहद लगाव रहा है। यह जब सात साल की थी तब उनके माता-पिता ने इन्हें पहला पेट डॉग लाकर दिया था। चांदनी सिर्फ अपनी पेट डॉग का ध्यान ही नहीं रखती बल्कि सड़कों पर ऐसे ही घूम रहे सभी जानवरों का ध्यान रखने का कोशिश करती हैं। उन्हें खाना खिलाती हैं, उनकी वैक्सीनेशन का ध्यान रखती हैं। चांदनी यह सारे काम अपने एक सोशल वेंचर्स काइंडनेस: द यूनिवर्सल लैंग्वेज ऑफ लव के तहत करती हैं।
इस अभियान की शुरुआत
चांदनी बताती है कि वह अपने डॉग के अलावा बेसहारा जानवरों को भी खाना खिलाया करती थी। एक दिन उन्होंने देखा कि एक कुत्ते का छोटा सा बच्चा तेज रफ्तार की गाड़ी के नीचे दबकर मर गया। इस घटना ने चांदनी के बाल मन पर काफी गहरा प्रभाव छोड़ा। तब चांदनी ने निश्चय किया कि वह अपने पेट डॉग के अलावा बाकी सारे बेसहारा जानवरों का ध्यान रखेंगी। वह इन सब बेसहारा जानवरों का सहारा बनेगी। चांदनी ने इस बारे में अपने माता-पिता से बात की। चांदनी के माता पिता अपनी बेटी के इस नेक काम में हमेशा मदद करते हैं।
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जानवरो के लिए शेल्टर होम बनाया
चांदनी ने अपने माता-पिता से जानवरों के लिए शेल्टर होम बनाने की बात की। उनके माता-पिता भी इसे बनाने के लिए राजी हो गए। पता करने पर पता चला कि भोपाल नगर निगम ने बेसहारा जानवरों के लिए चार शेल्टर होम बनाने का एक प्रोजेक्ट तैयार किया था। पर यह प्रोजेक्ट सिर्फ कागज़ तक ही सीमित रहा। चांदनी ने तब खुद से एक शेल्टर होम बनाने की जिम्मेदारी ली। इस काम में उनके माता-पिता, डॉक्टर अनिल शर्मा, चित्रांशु सेन और नसरत अहमद ने मदद की। इन सब की मदद से उन्होंने रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेन्टर बनाया जो बड़खेड़ा में है। यहां से अब तक 28 जानवरों को गोद लिया जा चुका है और यह अभी 55 से भी ज्यादा जानवरों का घर है।
काइंडनेस: द यूनिवर्सल लैंग्वेज ऑफ लव की शुरुआत
चांदनी चांदनी को पढ़ाई के साथ मैनेज करने में परेशानी हो रही थी। उन्हें इस काम मे और लोगो की ज़रूरत थी। एक परेशानी यहा यह भी थी कि इस शेल्टर होम में और कितने बेसहारा को आश्रय दिया जा सकता है। तब चांदनी ने अपना सोशल वेंचर काइंडनेस: द यूनिवर्सल लैंग्वेज ऑफ लव( Kimdness:The Universal Language of Love) की शुरुआत की। इसके तहत चांदनी जानवरों के लिए हेल्थ ड्राइव, रेस्क्यू, फीडिंग ड्राइव, एडॉप्शन ड्राइव, स्टरलाइजेशन आदि जैसे काम करती हैं।
आज उनके इस काम में उनकी मदद 10 लोगों की टीम करती है।
जानवरो के लिए दो अभियान भी चलाए है
चांदनी इसके अलावा जानवरों के लिए दो अभियान भी चला चुकी है। एक है वन हाउस वन स्टे(One House One Stay) और दूसरा है एंपैथी(Empathy). वन हाउस वन स्टे के तहत वह रेजिडेंशियल सोसायटी में जाकर लोगों को एक आवारा पशु की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करती हैं और एंपैथी के जरिए उनकी टीम सोशल मीडिया पर लोगों को जागरूक करती है।
इसकी फंडिंग कैसे आती हैं
इस काम में पैसे की जरूरत होती है यह पूछे जाने पर चांदनी की मां शालिनी ग्रोवर बताती हैं कि इस सोशल वेंचर की फंडिंग वह और उनके कुछ जानने वाले करते हैं। इसके लिए उन्होंने क्राउडफंडिंग भी की थी।कुछ ऐसे लोग हैं जो घर पर जानवर नहीं रख सकते पर उन्हें कुछ पैसे देने में कोई परेशानी नहीं है। वह इन जानवरों की मदद के लिए पैसे देने से पीछे नहीं हटते।
नेक काम के लिए कई बार सम्मानित भी हो चुकी हैं
चांदनी को उनके इस नेक अभियान के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है 2019 में उन्हें गुड सेमेरिटन अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा 2019 में अशोका चेंजमेकर प्रोग्राम में चुने गए 12 युवाओं में चांदनी सबसे कम उम्र की चेंज मेकर थी।
अपने स्कूल के बच्चों को इस अभियान से जोड़ती हैं
चांदनी की मां बताती हैं कि चांदनी अपने स्कूल के बच्चों को अपने ड्राइव्स में भाग लेने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके स्कूल से बहुत सारे बच्चे ड्राइव्स में भाग लेते हैं। चांदनी ग्रोवर(Chandani Grover) कहती है कि अपनी स्वार्थ से हटकर हम सभी को इन बेजुबान जानवरों के लिए इस दुनिया को खूबसूरत बनाने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप चांदनी ग्रोवर से संपर्क करके उनकी इस नेक काम में उनकी मदद करना चाहते हैं तो फिर 9981520613 पर कॉल कर सकते हैं।