कार्य वो नहीं जिसे देख कर लोग आपकी प्रशंसा करें। कार्य वो है जिसे देख लोग आपकी तरह बनने की कोशिश करें और आपसे प्रेरित होकर आपकी तरह बनें। ऐसी हीं हैं महज 17 वर्षीय अमनदीप। उनके कारण उनके क्षेत्र के किसानों ने पराली को जलाने का कार्य बंद किया।
दिल्ली में वैसे भी अधिक प्रदूषण है। लेकिन कुछ हीं दिन पहले पराली के जलाने से इस कदर वहां की हवा में धुंआ का फैलाव देखने को मिला था जो लगभग 2-3 दिनों में खत्म हुआ। इस पराली के जलने से वहां लोगों को दिक्कत हुई थी। तकनीक का उपयोग कर खेतों में काम करना तो आसान हो गया है लेकिन पौधों के जो अवशेष बचे हैं, उन्हें लोग जलाकर प्रदूषण फैला रहे हैं। 17 वर्षीय अमनदीप ने पराली न जलाने के लिए अपने घर से शुरुआत की और वहां के अन्य व्यक्ति को भी इस कार्य के लिए प्रेरित किया। अब वे लोग पराली को नहीं जलाते हैं।
17 वर्षीय अमनदीप का कार्य
अमनदीप (Amandip) पंजाब (Punjab) संगरूर (sangrur) की निवासी हैं। उन्होंने पराली को न जलाने की पहल की शुरुआत अपने घर से की। सबसे पहले उन्होंने अपने पिता को इस कार्य को करने को कहा। उन्होंने अपने पिता से कहा कि आप पराली ना जलाएं क्योंकि वह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक रिपोर्ट के अनुसार यह बताया गया है कि अमनदीप को सांस की बीमारी थी।
6 वर्ष की उम्र में थी सांस की बीमारी
अमनदीप जब 6 वर्ष की थी तब उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती तब यह पता चला कि उन्हें सांस की बीमारी थी। जब पराली को जलाया जाता तब उसके धुएं से उनकी दिक्कतें बढ़ जाती। उनके पिता 45 एकड़ जमीन में खेती करते हैं। जिसमें से 20 एकड़ जमीन खुद की है और 25 एकड़ उन्होंने लीज पर लिया है। जब उन्होंने अपने पिता को पराली को न जलाने के लिए कहा तो वह मान गए और उनके कार्य को देखते हुए वहां के अन्य किसान भी उनसे प्रेरणा लेकर पराली को जलाना बंद कर दिया। पराली को न जलाने से उन्हें अत्यधिक फायदे हुए। मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ने लगी और उससे अब खाद की मात्रा का उपयोग भी कम होता है।
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खुद सीखा ट्रैक्टर चलाना और करती हैं खेती
अमनदीप ने खुद ट्रैक्टर चलाना सीखा। वह खेती भी करती हैं। खेतों में बीज बोने के लिए वह स्वयं ही मशीन का उपयोग करती हैं। उन्होंने एग्रीकल्चर साइंस से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने यह बताया कि खाद की मात्रा खेतों में पहले की अपेक्षा अब बहुत कम दी जा रही है। उनके यहां लगभग 80% किसान इस कार्य को कर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं।
पराली को ना जलाकर उसका उपयोग उर्वरक के रूप में करने के लिए जो कार्य 17 वर्षीय अमनदीप ने किया वह काबिल-ए-तारीफ है। अमनदीप के द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए कार्य हेतु The Logically अमनदीप को सलाम करता है।
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