जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत विविधताओं से भरा हुआ है। गांवों का देश कहां जाने वाला भारत की ग्रामीण संस्कृति बेहद ही खूबसूरत है या यूं कहें कि भारत की जान गांवों में ही बसती है। आज आधुनिकता भरे समय में गांवों का भी आधुनिकीकरण हो रहा है ऐसे में आज के बच्चे गांवों की ऐसी कई नजारों से वंचित हो गई है जो सच में सुकुन देने वाला होता था।
लोगों के बीच आपसी प्रेम की बात हो, खेत-खलिहान की बात हो, मिट्टी से बने घर की बात हो, पगडंडियों और खेतों की बात हो, खान-पान की बात हो, कामकाज हो, खेल-कूद हो, काम करती महिलाओं की बात हो, सामूहिक रूप से बातचीत हो..एक-एक चीज नायाब।
आज हम आपको 40 साल पहले का भारत दिखाएंगे जिसे देखकर आपको खुशी, सुकून, और आश्चर्य होगा। आईए तस्वीरों के माध्यम से देखें…
1.कामकाज करती हुई महिलाएं आपस में बातचीत करते हुए इस तरह काम किया करती जिससे उन्हें पता भी नहीं चलता था और काम सम्पन्न भी हो जाता था। महिलाएं मेहनतकश हुआ करती थीं और हर तरीके का काम संभालती थीं।
2.परिवार के सदस्यों और आस-पास के लोगों के साथ ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन पर कार्यक्रमों को देखने का एक अलग हीं मजा था।
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4. परिवार के सदस्यों के बीच बातचीत, हंसी-मजाक, ठिठोली, गपशप का एक बेहद खूबसूरत पल होता था, जो आज के एकाकी परिवारों में कहां देखने को मिलेगा।
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6. महिलाएं घर में जांते में हीं चने, मंसूर, अरहर, मूंग आदि से दाल निकालती थीं, गेहूं पीस लेती थीं।
7. गांव में बच्चों द्वारा खेले जाने वाले खेल भी अद्भुत होते थे। गुल्ली-डंटा, कांच की गोली, लुक्का-छुप्पी खेलने का एक अपना हीं मजा हुआ करता था।
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9. मिट्टी के चूल्हे पर बनाई जाने वाली रोटियों, पराठों और अन्य खाने की चीजों के स्वाद के क्या कहने थे।
10. पेड़ की छांव में चबूतरे पर बैठे गांव के लोगों की बैठकी आनन्दमय हुआ करती थी। जहां लोग तरह-तरह के किस्से, खेल, का आनन्द उठाया करते थे।
11. कागज के चार टुकड़ों पर चोर सिपाही का खेल का एक अलग हीं मजा होता है। बच्चे इसे खाली समय में खूब खेला करते थे।
12. बांस से बनी हुई कई प्रकार की चीजें आकर्षक तो होती हीं थी, उसमें अलग-अलग रंग भरकर उसे और भी खूबसूरत बना दिया जाता था।
13. बैलों के माध्यम से धान के पुवाल को बिछाकर उससे धान निकालने की कला भी अनोखी हीं थी।
14. पत्थर के कुछ छोटे टुकड़े से खेला जाने वाला यह खेल बहुत मनोरंजक दायक था जिसे गांव की लड़कियां अक्सर खेला करती थीं।
15. खाने वाली विशेष प्रकार की चीजें भी गांवों में खूब विख्यात थी जिसमें अलग-अलग रंग के खट्टे-मीठे लेमन चूस, फोंफी आदि बच्चों की पहली पसन्द हुआ करती थी।
16. गांव में आने वाली बारात के लिए कुर्सी-टेबल की जगह खटिया लगाया जाता था। एक साथ कई खटिया को बिछाकर बारात वालों के लिए खास जगह बनाई जाती थी।
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19. जब भी वाईस्कोप दिखाने वाला आता था, बच्चों का हुजूम उमड़ पड़ता था। वाईस्कोप में दिल्ली का लालकिला, आगरा का ताजमहल, इंडिया गेट आदि देखकर बच्चे बेहद खुश हो जाते थे, मानों तस्वीर देखकर हीं वे उन जगहों को घूम लिए।
20. एल्बम वाली तस्वीरों को देखकर बच्चों में एक अलग हीं खुशी देखी जाती थी।
21. किसी भी घर में टेलीविजन चल रहा हो बस भनक लगते हीं बच्चों का हुजूम उमड़ पड़ता था। बच्चे टेलीविजन देखने हेतु कई तरह के जुगाड़ भी लगाया करते थे।
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