जब भी कभी किसी ट्रांसजेंडर (Transgender) को अपना पेट पालने के लिए पैसे मांगते देखते है तो आपके भी मुंह से यही निकलता होगा कि भीख मांग कर ऐसे कब तक ऐसे कब तक खाओगे कोई काम क्यों नहीं कर लेते हो। कानून की माने तो ये समुदाय भी हम आम लोगों की तरह ही है पर लोग आज भी इन्हें अपनाने से इंकार कर देते है। ट्रांसजेंडर के लिए काम ढूंढना आज भी कठिन है क्योंकि उनको कोई नौकरी पर नहीं रखना चाहता है। इसके बावजूद भारत में ऐसे कई कैफे मौजूद हैं जो ट्रांसजेडर्स को सेल्फ इंडिपेंड बनने में मदद कर रहे हैं। यहां कुछ टॉप 5 रेस्टोरेंट उदाहरण मौजूद हैं:
- बंबई नजरिया कैफे, मुंबई (Bombay Nazariya Cafe, Mumbai)
मुंबई के वर्सोवा (Versova) इलाके के आराम नगर में मौजूद इस ‘बंबई नजरिया’ नामक कैफे की शुरुआत 2 महीने पहले हुई है। यहां पर काम करने वाले ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के कर्मचारी का कहना हैं कि इस रेस्टोरेंट की शुरुआत मिस्टर डिएगो (Diego) ने की है। इस रेस्टोरेंट को खोलने का मुख्य उद्देश्य था कि इसमें काम करने वाले सभी कर्मचारी ट्रांसजेंडर कम्युनिटी से होंगे, ताकि इस समुदाय के लोगों को एक काम करने का प्लेटफॉर्म मिल सके। साथ ही उनके कमाई का यह जरिया भी बने, साथ ही ट्रांसजेंडर के प्रति समाज में लोगों का नजरिया बदल सके। ये मुंबई का पहला कैफे माना जा रहा, जिसमें काम करने वाले सभी कर्मचारी ट्रांसजेंडर हैं.
- थर्ड आई कैफे,नवी मुंबई (Third Eye Cafe,Navi Mumbai)
साल 2018 में ट्रांसजेंडर को रोज़गार देने की पहल से नवी मुंबई स्थित थर्ड आई कैफे शुरू हुआ था। आपको बता दे की इस कैफे में केवल ट्रांसजेंडर्स को नौकरी दी जाती है। रेस्टोरेंट के मालिक निमेश शेट्टी ( Nimesh Shetty) का इस कैफे द्वारा समाज में ट्रांसजेंडर्स को बराबरी का दर्जा दिलाना है। इस कैफे में लगभग 20 ट्रांसजेंडर्स कर्मचारी काम करते हैं और यहां पर शेफ भी ट्रांसजेंडर को ही बनाया गया है। थर्ड आई कैफे की खास बात यह है कि यहां हिंदी संस्कृति को बढ़ावा देते हुए कर्मचारी नमस्कार कहकर अभिवादन करते हैं।
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- नुक्कड़ टी कैफे, छत्तीसगढ़ (Nukkad Tea Cafe, Chattisgarh)
साल 2013 में छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी नुक्कड़, चायटैस्टिक टीफे नाम का कैफे की शुरुवात हुई थी। इस कैफे के मालिक प्रियांक पटेल (Priyank Patel) ने अपने कैफे में ट्रांसजेंडर्स और दिव्यांगजनों को रोजगार देने की मुहिम शुरू की थी।
इतना ही नहीं नुक्कड़ टी कैफे में लोगों की मदद के लिए कई तरह के अभियान भी चलाए जाते हैं। यहां पर जो लोग डिप्रेशन से गुज़र रहे है उन मरीजों को मदद प्रोवाइड कराई जाती है। कैफे द्वारा सभी तरह के सोशल टैबू पर खुलकर चर्चा के लिए स्पेशल सेशन चलाया जाता है। इस कैफे ने ट्रांसजेंडर और दिव्यांगजनों के रोजगार के लिए जो काम किया है उसके लिए साल 2020 में इसे बेस्ट एम्प्लोयर (Best Employer) का नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है.
- स्ट्रीट टेंपटेशंस कैफे, नोएडा (Street Temptations Cafe, Noida)
नोएडा में स्थित स्ट्रीट टेंपटेशंस नाम के कैफे एक ट्रांसजेंडर महिला चला रही हैं, जिनका नाम उरूज हुसैन (Urooj Hussain) है। यह कैफे नोएडा के सेक्टर 119 में स्तित है। कैफे शुरू करने से पहले उरूज ने कई तरह के सेक्टर्स में काम किया था लेकिन हर बार उनके साथ बुरे बिहेवियर ही हुआ। इस तरह के बुरे बर्ताव से परेशान होकर उरूज ने अपना खुद का कैफे खोलने का फैसला किया। बता दे की उरूज ने 22 साल तक एक लड़के की तरह जिंदगी गुजारी फिर साल 2014 में उन्होंने अपना जेंडर बदलवा लिया और अब वह अब ट्रांसवुमेन बनकर खुश हैं।
- ट्रांसजेंडर जूस कॉर्नर, नोएडा (Transgender Juice Corner, Noida)
यह जूस शॉप नोएडा में स्तित है जिनको तीन ट्रांसजेंडर मिलकर चलाते है अमृता(Amrita) मिथुन (Mithun) और अनामिका (Anamika) है। यह जूस कॉर्नर खोलने की वजह बताते हुए अमृता बताती है कि 5 साल पहले वह किसी जूस कॉर्नर में काम किया करती थी लेकिन ट्रांसजेंडर होने की वजह से हैं उन्हें दुकान से निकाल दिया गया। इसके बाद अमृता ने ठान लिया कि वह कही और काम नहीं करेंगी बल्कि खुद का जूस कॉर्नर खोलेंगी।
The Logically के माध्यम से हम अपने पाठकों को यह बताना चाहते हैं कि ट्रांसजेंडर समुदाय किसी भी मामले में हमसे अलग नही हैं। उन्हें सामान्य लोगों की तरह ही आदर दें।
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