“यदि करनी हो मानव सेवा, रक्तदान ही उत्तम सेवा”
“आपका किया रक्तदान, ज़रुरतमंद के लिए है जीवनदान”
रक्तदान(Blood Donation) के संबंध में कहे गये इन कथनों में निहित तर्कों को कोई नही नकार सकता। क्योंकि शायद आप खुद नही जानते कि आपके द्वारा किया गया रक्तदान कितने ही लोगों को जीवन प्रदान कर सकता है।
अगर आपसे सवाल किया जाये कि आपने अभी तक के अपने जीवन में कितनी बार ब्लड डोनेट किया है तो आपका क्या जवाब होगा? शायद आप कहेंगें 4 बार या 6 बार। इस लेख के माध्यम से आज हम आपको बैंगलूरु(Bengaluru) के एक ऐसे इंजीनियर चंद्रकांत केवी(Chandrakant KV) के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पिछले 35 सालों में 200 बार रक्तदान किया है।
बेंगलूरु के मनिपाल हॉस्पिटल में 200 वीं बार रक्तदान किया चंद्रकांत ने
23 फरवरी को 200 वीं बार रक्तदान करने वाले बेंग्लौर के 56 वर्षीय चंद्रकांत केवी बेंगलूरू के रक्षा मंत्रालय में गुणवत्ता एश्योरेंस रडार(Quality Assurance Radar- Defence Ministry) के अंडर काम करते हैं। रक्तदान को महादान समझने वाले चंद्रकांत नें बेंगलूरु के ही मनिपाल हॉस्पिटल(Manipal Hospital) में 200 वीं बार रक्तदान किया है।
ब्लड ग्रुप O पॉज़ीटिव हैं चंद्रकांत केवी
56 वर्ष की उम्र में भी पूरी तरह से स्वस्थ चंद्रकांत का ब्लड ग्रुप ‘ओ पॉज़िटीव’ (O +) है। जिसमें ब्लड(blood), सिंगल डोनर प्लेटलेट(single donor platelet- SDP), स्टेम सेल(stem cell) और ग्रेन्यूलोसाइट्स(granulocytes) शामिल हैं।
चंद्रकांत 21 साल की उम्र से रक्तदान कर रहे हैं
चंद्रकांत ने मैसूर के श्री जयाचमाराजेन्द्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (Jayachamarajendra College of Engineering) में पढ़ते हुए 21 साल की उम्र से ही बल्ड डोनेड करना शुरु कर दिया था। के वी बताते हैं – “1986 में नेशनल केडिट कोर्प्स द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था तब मैंने पहली बार ब्लड डोनेट किया था, तब से लेकर आजतक जब भी ज़रुरत पड़ती हैं मैं ये काम स्वेच्छा से करता हू इसके लिए मुझ पर किसी प्रकार का कोई दबाव नही होता”
रक्त के अभाव में प्रियजनों को खोते देख लोगों से प्रेरित हुए चंद्रकांत
200 बार रक्त दान कर चुके चंद्रकांत का कहना है कि – “हॉस्पिटल में मैंने ऐसे कई लोगों को देखा जो रक्त के अभाव में अपनों को खो बठते हैं, मानों उनके इस करुण क्रंदन ने ही मुझे इस दिशा में प्रेरित किया है”
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10 सालों में 100 बार रक्तदान किया के वी ने
केवी चंद्रकांत के मुताबिक – “मैनें 25 वर्षों में 100 बार और पिछले 10 सालों में 100 बार रक्तदान किया है। सरकारी नियमों के अनुसार ब्लड डोनेशन साइकिल को तीन महीनों में एक बार किया जा सकता है व रक्त के घटकों (components of blood)को हफ्ते में दो बार और एक वर्ष में 24 बार से अधिक दान किया जा सकता है ऐसे में मैंने समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाते और रक्त को जीवन समझते हुए जब भी आवश्यकता पड़ी रक्तदान किया है”
रक्तदान करने से रिलीज़ होता है हैप्पी हॉर्मोन
Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक – “56 वर्षीय चंद्रकांत का मानना है कि समाज में ब्लड डोनेशन को लेकर जो अफवाहें फैली हुई हैं वे सरासर गलत हैं, रक्तदान न केवल किसी अन्य की जान बचाता है बल्कि रक्तदाता इस कार्य से स्वंय भी सेहतमंद रहता है। रक्तदान करने से हैप्पी हॉर्मोन (happy harmones)रिलीज़ होते हैं, जो न केवल आपके मूड को तरोताज़ा करते हैं बल्कि इसके और भी बहुत से फायदे हैं”
युवाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित करता है के वी का यह कदम
चंद्रकांत की मानें तो जिस तरह कोई भी युवा 18 साल की उम्र में ड्राइविंग लाइसेंस या वोट करने का अधिकार प्राप्त कर सकता है, ठीक उसी तरह आप 18 साल की आयु से ही रक्तदान भी कर सकते हैं, आपकी यह समाज सेवा बेशक ही कई लोगों की जान बचा सकती है।
भारत में हर साल करीब 4 करोड़ यूनीट खून की ज़रुरत होती है। क्योंकि हमारे खून का दूसरा कोई विकल्प नही है। लेकिन ब्लड डोनेशन के संबंध में लोगों के बीच फैली भ्रांतियों की वजह से केवल 40 लाख यूनीट ही ब्लड उपलब्ध हो पाता है। ऐसे में चंद्रकांत द्वारा किया गया रक्तदान वाकई किसी महादान से कम नही है.