Wednesday, December 13, 2023

पढ़ने की कोई आयु सीमा नही होती, रिटायर्ड बैंक कर्मचारी ने 64 साल की उम्र में MBBS में एडमिशन लिया

उम्र चाहे कितनी भी ढ़ल जाये, ना ही ख़्वाहिशें कम होती है, ना ही सीखने की चाहत। बढ़ते उम्र के साथ तजुर्बा भी बढ़ता जाता है। अगर अपने सपने को पूरा करने का जुनून है तो इस बीच कोई बंधन नहीं आता। प्रस्तुत है आज की कहानी.. यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिन्होंने 64 साल की उम्र में पढ़ाई के लिए एमबीबीएस में दाखिला लिया है।

जयकिशोर प्रधान (JayKishore Pradhan) जी की उम्र 64 वर्ष है, लेकिन सीखने का जज़्बा अभी भी समाप्त नहीं हुआ। जयकिशोर ओडिशा (Odisha) के बरगढ़ जिले में अटाबीरा के पास स्थित भालुपाली से सम्बन्ध रखतें हैं और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) में कर्मचारी रह चुके हैं। ख़ास बात यह है कि इन्होंने एमबीबीएस करने के लिए वीर सुरेंद्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च में एडमिशन लिया है।

bank employee JayKishore Pradhan

इनकी एक बेटी है जिसका नाम ज्योतिप्रतिभा है। वह BDS (Bachelor of Dental Surgery) कर रही है। इनका एक बेटा भी है जिसका नाम जयजीत है, वह अभी 10वीं कक्षा का विद्यार्थी है। जयकिशोर जी ने पढ़ाई के प्रति अपनी लगन को दिखाकर यह सिद्ध कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति सीखने की चाहत रखता है तो वह किसी भी उम्र में कुछ भी सीख सकता है।

 64 years old retired bank employee takes admission in MBBS

जयकिशोर जी पत्नी का नाम प्रतिभा है और वह फार्मासिस्ट हैं। जयकिशोर जी अपनी सफलता का
श्रेय प्रतिभा जी को देते हैं। एक मीडिया के साथ इंटरव्यू में इन्होंने बताया कि वे बचपन से हीं डॉक्टर बनना चाहतें थें। जब 12वीं की शिक्षा सम्पन्न कर लियें तो मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए एग्जाम भी दिए लेकिन उस वक्त असफल हुए। आगे वह ग्रेजुएशन किए और डिग्री हासिल कर बतौर शिक्षक नौकरी करने लगें। एक साल तक पढ़ाने के बाद इनकी नौकरी बैंक में लग गई।

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1983 में जयकिशोर जी की बैंक में ज्वाइनिंग हुई तब ये क्लर्क थे, आगे इनका प्रमोशन हुआ और यह स्केल-II ऑफिसर बने। लम्बी अवधि तक बैंक में जॉब कर रिटायर्ड हुए। हालांकि डॉक्टर बनने का इनका सपना अब तक अधूरा था जिसे पूरा करने की कोशिश में अब लग गए हैं।

bank employee JayKishore Pradhan

दुर्भाग्यपूर्ण कुछ वर्ष पूर्व एक दुर्घटना में जायकिशोर जी दिव्यांग हों गए। जब इन्हें इस साल NEET की परीक्षा में दिव्यांग का सीट का पता चला तो इन्हें उम्मीद की किरण दिखी जिससे अपने सपने को पूरा कर सकें। फिलहाल जायकिशोर जी ने वीर सुरेंद्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च (VIMSAR) में एडमिशन ले लिया है।

उम्र के आधे पड़ाव को पार करने के बाद भी जयकिशोर जी ने जो सीखने और अपने सपने को पूरा करने के लिए जो निर्णय लिया है, वह सभी व्यक्तियों के लिए प्रेरणा है। The Logically जयकिशोर प्रधान (JayKishore Pradhan) जी के इस जज्बे को सलाम करता है तथा अपने सपने को पूरा करने के लिए इन्हें शुभकामनाएं देता है।