वर्तमान समय में यूं तो भारतीय समाज बच्चियों की शिक्षा व उनकी बेहतर देखभाल को लेकर जागरुक हो रहा है। लेकिन, आधिकारिक आंकड़े दर्शाते हैं कि आज भी हर साल सड़कों पर माता-पिता द्वारा छोड़े गये लावारिस बच्चों में से 90 प्रतिशत लड़कियां होती हैं। इन हालातों में यदि कोई दंपत्ति दूर देश से आकर हमारे देश की किसी लावारिस बच्ची को गोद लेकर उसे एक नया जीवन देने की दिशा में कदम बढ़ाता है तो बेशक ही ये एक सराहनीय पहल कही जाएगी।
ऐसी ही एक अनोखी पहल चार साल पहले पटना के बख्तियारपुर स्टेशन(Bhakhatiyarpur Railway Station – Patna) पर लावारिस छोड़ी गई 3 वर्षीय बच्ची खुशी(Khushi) के साथ भी हुई है जिसे, दूर देश इटली से आये एक दंपत्ति ने इसी साल 12 मार्च को गोद लेकर एक अद्भूत मिसाल कायम की है।
बख्तियारपुर स्टेशन पर खुशी को लावारिस छोड़ गये थे उसके माता-पिता
मात्र तीन वर्षीय खुशी को उसके कठोर ह्रद्रयी माता-पिता 4 साल पहले बिहार की राजधानी पटना के बख्तियारपुर स्टेशन पर अकेला छोड़ कर चले गये थे। जहां स्थानीय रेलवे स्टेशन पर रेल थाने की पुलिस ने उसे रोते हुए पाया था।
वर्तमान में इटली के दंपत्ति हैं खुशी के नये पेरेंट्स
4 साल पहले लावारिस छोड़ी गई खुशी को इटली के इलेक्ट्रिक ग्राफिक डिज़ायनर व कंम्प्यूटर इंजीनियर लुका स्पांगनोली (Luka Spaangnauli) और उनकी पत्नी एलिज़ा स्न्टागा (Eliza Stanga) जो कि एक टीचर हैं, ने सृजन दतक संस्थान(Srijan Dattak Organisation) से खुशी को गोद लिया है।
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लेखानगर स्थित नारी गुंजन संस्था में पूर्ण हुई गोद लेने संबंधी प्रक्रियाएं
दानापुर के लेखानगर स्थित नारी गुंजन संस्था(Naari Gunjan Organisation) में इटली के दंपत्ति द्वारा खुशी को गोद लेने की तमाम आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी की गई हैं। ऐसे में संस्था की सचिव पद्मश्री सुधा वर्गीज़ (Sudha Vergeese) ने कहा कि – “8 जुलाई 2017 को बख्तियारपुर स्टेशन पर मिली खुशी को रेलवे चाइल्ड लाइन द्वारा सौंपा गया था। खुशी एक स्पेशल चाइल्ड है, गोद लेने के बाद इसके नये माता-पिता ने इसे अपने गले लगा लिया, जिसे देखकर हमें तसल्ली हो गई है कि भविष्य में खुशी एक बेहतरीन जीवन जी पाएगी, इटली के इस दंपत्ति की पहले भी लारा नाम की एक बेटी है। इसके अलावा उन्होंने एक बेटे समांगा को कंबोडिया से गोद लिया है”
अब इटली की निवासी बन जाएगी खुशी
उस समय नन्ही खुशी ने शायद ही ये कल्पना की होगी कि जिसे उसके माता-पिता यूं अकेली रोती छोड़ कर चुपचाप चले गये वो भविष्य में इटली की निवासी बनकर एक खुशहाल जीवन जीएगी। जिला बाल संरक्षण ईकाई के सहायक निदेशक दिलीप कुमार कामत, समन्वयक सविता कुमारी की मौजूदगी में इटली के दंपत्ति व खुशी के नये माता-पिता को उसे सौंपा गया। वहीं इस दंपत्ति ने भी खुशी व अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बनाई गई डिटेल्स् को सुधा वर्गीज़ को दिया। समन्वयक सविता के मुताबिक – अब तक इस केंद्र से स्पेन, अमेरिका, कनाडा, स्वीडन व डेनमार्क के दंपत्तियों द्वारा अनेक बच्चे गोद लिये गये हैं जिनमें खुशी इटली जाने वाली दूसरी बच्ची है।