निहारिका ने पिग्गी बैंक में बचाए 48 हजार रुपए। निहारिका द्विवेदी, 12 साल की बच्ची ने अपनी पॉकेट मनी से झारखंड के तीन माइग्रेंट वर्कर को हवाई जहाज से घर भेजा। इन्होंने अपनी सेविंग की परवाह किए बिना इन मजदूरों की मदद की। इन मजदूरों को मदद की सख्त जरूरत थी।
पूरे देश में लोग कर रहे हैं मदद।
एक तरफ जहाँ पूरे देश में लोग अपने अपने तरीके से प्रवासी मजदूरों की सहायता कर रहे हैं वहीं नोयडा की रहने वाली निहारिका जो केवल सातवीं की छात्रा हैं, उनकी ये सहायता काबिले तारीफ़ है। इनके नेक इरादे ने स्पष्ट कर दिया कि बड़ा काम करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है।
बीमार थे वो मजदूर।
जिन तीन लोगों की इन्होंने मदद की, उनमें से एक बीमार भी थे। इनके इस नेक काम से स्पष्ट है कि हमारे देश के बच्चे इतने समझदार हैं, उनमें इतना लगाव और करुणा है। तभी तो इतनी छोटी सी उम्र में जो दया और मदद की भावना इन्होंने दिखाई है, अपने देश के मजदूरों की जो मदद इन्होंने की है, वह प्रसंशनीय है।अपने सालों की एक एक रुपए की बचत एक झटके में जरुरतमंद को दे दिए। इससे यही प्रेरणा मिलती है कि आज भी हमारे बच्चों में संस्कार कुट कूट कर भरा हुआ है। तभी तो जो बच्चे 1 रुपए के चॉकलेट के लिए झगड पड़ते हैं, वो जरूरत पड़ने पर अपनी जान और पैसे देने से भी नहीं चूकते हैं। यह आपके और हम सबके लिए प्रेरणा की बात है। हमारी आने वाली पीढ़ी इनसे प्रेरणा ले कर जरूर इस समाज और देश के बदलाव का वाहक बनेगी!
देश का होगा भला।
ऐसे सकारात्मक पहल और सोच को हमेशा प्रेरित करने की जरूरत है, जिससे देश में सकारत्मक बदलाव के अधिक से अधिक नायक बन सके और इनसे प्रेरित हो कर इस समाज के लिए कुछ बदलाव ला सके! Logically निहारिका के इस कदम की भूरी-भूरी प्रशंसा करता है एवं उनके अच्छे भविष्य की कामना करता है।