किसी को कैसे बताएं ज़रूरतें अपनी
मदद मिले न मिले आबरू तो जाती है
वसीम बरेलवी साहब का यह शेर आज के समय के लिए बिल्कुल सटीक है। आज हर कोई आत्मनिर्भर होना चाहता है। भलें हीं चंद रुपयों की कमाई हो पर लोगों को दूसरों के सामने हाथ फैलाकर सेल्फ रेस्पेक्ट से समझौता कबूल नहीं। आज की हमारी कहानी भी एक ऐसे बुजुर्ग की है जो अपनी उम्र और बीमारी को दरकिनार कर आत्मसम्मान को ज़्यादा महत्त्व देते हुए अपने जीवनयापन के लिए पैसे कमाते हैं।
एक हाथ में लाठी और दूसरे में वजन मापने वाली मशीन लेकर हर सुबह घर से निकलते हैं ये बुजुर्ग
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गोपालनगर के रहने वाले इस बुजुर्ग का नाम बलदेव राज आहूजा (Baldev Raj Ahuja) है। इनकी उम्र 83 वर्ष है। अक्सर बीमार रहते हैं, फिर भी एक हाथ में लाठी और दूसरे में वजन मापने वाली मशीन लेकर हर सुबह घर से निकल जाते हैं। गोपालनगर के नुमाइश कैंप में रहने वाले बलदेव अपने परिवार के भरण पोषण के लिए काम करने से इंकार नहीं करते। वह नियमित तौर पर माधव नगर स्थित पंजाब नेशनल बैंक पहुंचते हैं तथा बैंक की पार्किंग के पास मशीन लेकर बैठते हैं। वहां से आते जाते लोगों का वजन मापते हैं जिससे उनकी थोड़ी बहुत आमदनी होती है और उनका घर चलता है।
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कभी एक दिन में 20 से 50 रुपये की कमाई तो कभी एक रुपए की भी नहीं
वहां से गुजरने वाले लोगों में से कुछ लोग वजन कराते हैं, कुछ उन्हें अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं। बलदेव ने वजन मापने की कोई निश्चित रकम तय नहीं की है। इसलिए 5 या 10 रुपए जिसे जितना सही लगता है, उतने पैसे देता है। बलदेव भी बिना कुछ बोले रख लेते हैं। कभी कभार एक दिन में 20 से 50 रुपये तक की आमदनी हो जाती है जिससे उनका घर आसानी से चलता है। वही कई दिन ऐसे भी होते हैं जब एक रुपए की भी कमाई नहीं होती, उस दिन उन्हें खाली हाथ घर लौटना पड़ता है।
दूसरों की मदद ली तो इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में लौटाना होगा
बलदेव बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व उनके जवान बेटे की मौत हार्ट अटैक से हो गई है। बेटे की इच्छानुसार उसकी आंखें दान कर दीं गईं। आइबैंक वालों ने बलदेव की आर्थिक मदद करनी चाही पर उन्होंने इंकार कर दिया। बलदेव का मानना है कि अगर हम किसी दूसरे व्यक्ति से सहायता लेते हैं तो हमें उसे कभी न कभी लौटना पड़ता है, इस जन्म में ना सही अगले जन्म में। इसलिए बेहतर है कि हम अपना खर्चा ख़ुद चलाएं, दूसरों के मदद के मोहताज नहीं रहें।
बलदेव बताते हैं कि घर में दो बेटे और एक बीमार पत्नी है। इन सभी का पालन पोषण वही करते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह किसी दूसरे पर आश्रित नहीं है। The Logically बलदेव राज आहूजा (Baldev Raj Ahuja) को सलाम करता है।