“मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है।” बिहार के रहने वाले शंकर सिंह इन दो लाइनों की कीमत बखूबी जानते हैं क्योंकि उन्होंने इन शब्दों को खुद जीया है। पोलियो के कारण 90% शारीरिक श्रमता खो चुके शंकर अपनी बौद्धिक श्रमता से आज उस मुकाम पर हैं जहां पहुंचना कई युवाओं के लिए अभी भी कल्पना मात्र है।
उम्र के बहुत छोटे पड़ाव में ही भेदभाव और कठिनाइयों का सामना करते हुए आज जो सफलता उन्होंने हासिल हुई है उसके पीछे की कहानी भी उतार – चढ़ाव से होकर गुजरती है।
जब नवोदय पास करने के बाद भी नहीं मिला था एडमिशन
शंकर ने नवोदय स्कूल के लिए एंट्रेंस एग्जाम (Navoday entrance exam) पास किया था। लेकिन सरकारी नियमों के कारण उन्हें स्कूल में प्रवेश नहीं मिला। इससे बिना प्रभावित हुए उन्होंने गाँव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई जारी रखी। साथ ही नेशनल साइंस टैलेंट सर्च एग्जाम- 2008 और नेशनल टैलेंट सर्च एग्जाम- 2008 भी पास किया।
IIT 176 रैंक हासिल कर लहराया अपना परचम
2013 में IIT एग्जाम पास करने के बाद शंकर ने पूरे बिहार में अपना लोहा मनवाया था। बहरहाल, बोर्ड एग्जाम में 2 नंबर कम होने के कारण उन्हें दाखिला नहीं मिला। लेकिन हमेशा की तरह वो रुके नहीं। साइंस स्ट्रीम से ग्रेजुएशन में एडमिशन लेकर अपने आदर्श स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) की तरह लक्ष्य की ओर बढ़ते चले गए।
NTSE और Olympiad में शंकर के होनहार मार चुके हैं बाजी
आज भी गांव और कसबों में टैलेंट होने के बावजूद सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण बच्चें पीछे रह जाते हैं। इसके प्रति आगे आकर शंकर ने अपने घर में ही कंप्यूटर युक्त पुस्तकालय खोल दिया। गाँव के प्रतिभाशाली और गरीब बच्चें जो शहरों में महँगी शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकते हैं, उन्हें वह अपनी देख रेख में कई प्रतियोगी परीक्षाओ के लिये तैयारी कराते हैं। बता दें कि शंकर के स्टूडेंट्स NTSE और Olympiads जैसी परीक्षाओ में बाजी मार चुके हैं।
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यहां इंटरैक्टिव तरीके से होती है पढ़ाई
इसके अलावा शंकर नियमित रूप से सामान्य ज्ञान और IIT-JEE की तैयारी के लिये MIG-20 परीक्षा का आयोजन करवाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओ की तयारी कैसे हो इसके लिये शंकर नियमित रूप से प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख भी लिखते हैं।
The logically से अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि –
“जब मैं यहां से बाहर निकला तो मुझे गांव और शहरी शिक्षा के बीच की खाई का अनुमान हुआ। इस गैप को भरने के लिए 2019 में मैंने R.K International school की नींव रखी। जहां साइंस, मैथ्स और रोबोटिक्स को इंटरैक्टिव तौर पर बच्चों को सिखाया जाता है। हम बच्चों को रट्टा मारने के बजाय चीजों को समझने की ओर ज्यादा प्रेरित करते हैं।”
पुरुषार्थ ट्रस्ट से समाजिक कल्याण की ओर बढ़ाया कदम
इसके अलावा समाजिक, धार्मिक, राजनैतिक और जन कल्याण के कार्यो में वह बढ़ – चढ़कर काम कर रहे हैं।
“पुरुषार्थ ट्रस्ट” शंकर की सामाजिक संस्था है जो जन कल्याण के काम करती है। इस माध्यम से वो गांव वालों और प्रशासन को सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक करते हैं।
जनता को समझाया उनका हक़, भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाई आवाज
शंकर का मानना है कि देश की दशा और दिशा सुधारनी है तो सबसे पहले राजनीति और जनता के प्रतिनिधियों की दशा और दिशा सुधारनी होगी। बिहार विधानसभा -2015 के चुनाव के दौरान बडहरा विधानसभा के उम्मीदवारों को इन्होने एक मंच पर लाकर जनता के सामने उनसे क्षेत्र के विकास सम्बन्धी विषय पर चर्चा करायी और जनता के सवालों से रूबरू कराया।
इसके अलावा वह RTI एक्टिविस्ट के रूप में भी सक्रिय है। उन्होंने RTI के माध्यम से अपने गाँव के मध्य विद्यालय में चल रहे भोजन योजना में भ्रष्टाचार को उजागर किया था।
कई अवार्ड्स से हुए सम्मानित, अभी भी सिलसिला जारी
इन सभी कार्यों के लिए शंकर को अबतक कई अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।भारत लीडरशिप अवॉर्ड, यंग इंडिया चेंज मेकर अवार्ड, कलम यूथ लीडरशिप अवार्ड, UN द्वार REX कर्मवीर ग्लोबल फैलोशिप, कर्मवीर चक्र अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं। हाल ही में उन्हें शिक्षा जगत में सूत्रा एक्सीलेंस अवार्ड भी मिला।
विडियो मे देखें एक दिव्यांग शिक्षक द्वारा किया गया बेहतरीन कार्य
भाई और भांजे के बिना ये सब मुमकिन नहीं था
शारीरिक अक्षमता के बावजूद इतनी कम उम्र में शिक्षाविद्, सामजिक कार्यकर्ता, प्रशासनिक और राजनैतिक सुधारक में वह तमाम युवाओं के लिए मिसाल बन चुके है। इस प्रयास में जिन लोगों का अमूल्य योगदान है उनका परिचय देना भी नितांत आवश्यक है। शंकर के मार्गदर्शक एवं भाई – डॉ.गिरीश कुमार सिंह, बड़े भाई रंजीत सिंह और उनके भांजे सौरभ सिंह ने सेवा का जो आदर्श प्रस्तुत किया है उससे शंकर को अत्यधिक मदद मिली है।
The logically की तरफ से शंकर को ढेरों शुभकामनाएं। हम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
अगर आप भी गांव में होनहारों के जज्बे को पंख देने के लिए इस पहल में अपना योगदान देना चाहते हैं तो इस नंबर पर 72772 02291 संपर्क कर सकते हैं।
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