Wednesday, December 13, 2023

झारखंड की छूटनी देवी को मिला पद्मश्री सम्मान, कभी लोगों ने डायन बताकर पिलाया था मैला

इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से कई सर्वश्रेष्ठ लोगों को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। इस सम्मान से सम्मानित होने वालों में एक नाम छुटनी देवी का भी शामिल है, जिन्हें एक समय में डायन के नाम पर प्रताड़ित कर के घर से बेदखल कर दिया गया था।

छुटनी देवी का परिचय

छुटनी देवी (Chhutni Devi) झारखंड (Jharkhand) के सरायकेलाखरसवां जिले के बिरबांस पंचायत के भोलाडिह गांव की रहने वाली हैं। वे गांव में ही एसोसिएशन फॉर सोशल एन्ड ह्यूमन अवेयरनेश (आशा) के सौजन्य से संचालित पुनर्वास केंद्र चलाती हैं। वह बतौर आशा की निदेशक यहां कार्य करती हैं। 62 वर्षीय छुटनी महतो के नाम के आगे अब पद्मश्री (PadmaShree) सम्मान जुड़ गया है।

Chhutni devi from Jharkhand award Padmshree

एक वक्त ऐसा भी था

एक वक्त था जब छुटनी देवी को डायन के नाम पर प्रताड़ित किया करने के साथ घर से भी अलग कर दिया गया था। वह बताती हैं कि शादी के 16 वर्षों के बाद वर्ष 1995 में एक तांत्रिक के कहने पर गांव वालों ने उन्हें डायन मान लिया था। उसके बाद उन्हें मल खिलाने की कोशिश की गई थी और पेड़ से बांधकर पिटाई भी की गई थी। उसके बाद जब लोग उनकी हत्या की योजना बना रहे थे, उस समय छुटनी अपने पति को छोड़कर चार बच्चों के साथ गांव छोड़कर चली गई। वह आठ महीने जंगल में रही। गांव वालों के खिलाफ पुलिस स्टेशन केस दर्ज करने गई लेकिन पुलिस ने भी सहायता नहीं किया।

यह भी पढ़े :- इस किन्नर को मुम्बई लोकल ट्रेन में ‘रेखा’ के नाम से जाना जाता है, तमाम कठिनाइयों के बावजूद आज खुद की पहचान बना चुकी हैं

डायन कुप्रथा के खिलाफ उठा रही आवाज

अब कोई किसी महिला को डायन कह कर प्रताड़ित नहीं कर सकता है क्योंकि छुटनी अपनी जैसी पीड़ित 70 महिलाओं का एक संगठन बनाया है, जो इस कुप्रथा के खिलाफ लड़ रहा है। वह कहती हैं कि जैसे ही ऐसी किसी घटना के बारे में जानकारी मिलती है, उनकी टीम मौके पर पहुंच कर आरोपितों और अन्धविश्वास फैलाने वाले तान्त्रिकों पर केश दर्ज कराती है। उनकी टीम पीड़ित को अपने साथ लेकर आती है और कानूनी कारवाई पूरी होने के बाद सशर्त उन्हें वापस घर भेज देती हैं। अभी तक वे 100 से अधिक महिलाओं की घर वापसी करा चुकी हैं। उनका संगठन दोषियों के खिलाफ कोर्ट में भी लड़ाई लड़ता है। छुटनी महतो का कहना है कि उनके लिये सबसे बड़ा सम्मान प्रताड़ित महिलाओं के चेहरे पर हंंसी लाना है। वर्तमान मे गांव वाले किसी औरत को डायन कहने से पहले 10 बार सोचते हैं।

Chhutni devi from Jharkhand award Padmshree

इस तरह डायन कुप्रथा की शिकार हुई छुटनी

छुटनी देवी की शादी धनंजय महतो के साथ हुई थी। जब उनकी भाभी गर्भवती हुई तो छुटनी ने कहा बेटा होगा लेकिन बेटी ने जन्म लिया। एक दिन उसका स्वास्थ्य बिगड़ा, जिसके बाद गांव वालों ने अशिक्षित छुटनी को डायन बता कर प्रताड़ित करना आरंभ कर दिया। उन्हें मल-मूत्र पिलाया गया, पीटा गया, अर्धनग्न करके पूरे गांव में घसीटा गया। इन सब के बाद वह भागकर अपने मायके चली गई। वर्तमान मे वह कमज़ोर और बेसहारा महिलाओं की ताकत बन गई हैं।

PMO से आया फोन, छुटनी बोली अभी टाइम नहीं है बाद में फोन करना

छुटनी ने बताया कि पद्मश्री क्या होता है, मुझे नहीं मालूम था लेकिन कोई बड़ी चीज़ जरुर है, तभी मुझे लागातार फोन आ रहा हैं। उन्हें सुबह 11 बजे पीएमओ से फोन आया और बताया कि आपको पद्मश्री सम्मान मिलेगा। छुटनी ने कहा कि अभी टाइम नहीं है, एक घंटे बाद फोन करना। वह बताती हैं कि दोबारा दोपहर 12.15 बजे फोन आया और बताया गया कि उनका नाम और फोटो टीवी और अखबार में आयेगा।

Chhutni devi from Jharkhand award Padmshree

जीवन के अन्तिम सांस तक संघर्ष रहेगा जारी

छुटनी कहती हैं कि डायन के नाम पर मैंने गहरा दर्द झेला है। चार बच्चों को लेकर घर छोड़ना पड़ा। यदि मैं डायन होती तो उन सभी अत्याचारीयों को खत्म कर देती, लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं है। तांत्रिक के कहने पर ग्रामीणों ने ऐसा अत्याचार किया जिसकी कल्पना भी एक सभ्य समाज नहीं कर सकता है। पुलिस-प्रशासन भी ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है। मैं उस असभ्य समाज से लड़ाई लड़ रही हूं, जहां नारी को सम्मान नहीं मिलता। अन्तिम सांस तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा।

पुर्व मुख्यमंत्री ने दी बधाई

छुटनी देवी को पद्मश्री सम्मान मिलने पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बधाई दी है। उन्होंने फेसबुक पेज पर लिखा है कि महिला उत्पीड़न, डायन प्रताड़ना और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उनका संघर्ष इतिहास में दर्ज हो चुका है। छुटनी को बहुत-बहुत बधाई।

The Logically छुटनी देवी के कार्यों की प्रशंसा करता है। इसके साथ ही उम्मीद करता है कि समाज में डायन कुप्रथा जैसी अन्य अन्धविश्वासी तांत्रिको के प्रति जागरुकता फैलें।