गजेंद्र शर्मा ने गरीबी को बहुत करीब से देखा है, पर अपने संघर्ष के बल पर आज वो गरीबों के लिए मसीहा बन चुके हैं। किसी जरूरतमंद की मदद करना संसार में सेवा माना जाता है चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो। संसार में एक से बढ़कर एक समाजसेवी हैं, जो तन- मन और धन से समाज और दुनिया की मदद करते हैं। इनकी महानता देख पूरे भारतवर्ष का मन, गर्व और श्रद्धा से भर जाता है।
किसी की मदद की शुरुआत अच्छे नीयत और अच्छे कर्म से होती है
किसी को मदद करने के लिए अपार धन या बल की जरूरत नहीं होती, बल्कि किसी असहाय की मदद के लिए ,केवल एक संवेदनशील हृदय होना चाहिए। मदद छोटी या बड़ी नहीं होती वह बस किसी व्यक्ति के मन का बड़प्पन होती है, जो दूसरों को हमेशा सहानुभूति देता है। ऐसे ही हैं गजेंद्र शर्मा जिन्होंने हमेशा गरीबों की मदद की है,चाहे वो मदद किसी भी रूप मे हो।
मुश्किलों के बाद की मुकाम हासिल
गजेंद्र शर्मा की जिंदगी संघर्ष से शुरू हुई है उनका जन्म मथुरा के अति पिछड़े वर्ग मे हुआ है , गरीबी के चलते उनको दर-दर की ठोकरें खाने पड़ी। गजेंद्र शर्मा के पास खेती कम होने की वजह से उन्हें 100 रुपए महीने पर नौकरी करनी पड़ी थी। इतने कम पैसे में बड़ी मुश्किल से घर का गुजरा हो रहा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। गजेंद्र शर्मा अपनी सच्ची निष्ठा और लगातार मेहनत के बल पर आगे बढ़ते रहे। धीरे-धीरे उन्होंने व्यापार के तौर पर दिल्ली से सामान लाकर मथुरा में बेचना शुरू कर दिया और अपना व्यापर बढ़ाने लगे। आज गजेंद्र शर्मा लक्ष्मी सेल्स कॉर्पोरेशन के मालिक है और 1200 से भी ज्यादा लोगों को रोजगार दे चुके हैं।
कोरोना काल मे किया ग़रीबों की मदद
एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोनावायरस संक्रमण से प्रभावित हुई है, वही दूसरी ओर सरकार तमाम कोशिशों और प्रयासों के बावजूद जरूरतमंद गरीबों तक पहुंचने में असमर्थ है, और ना ही उनके चेहरे पर मुस्कान ला पा रही है। लेकिन कुछ ऐसे शख्स भी हैं जो बिना किसी सरकारी सहायता के बावजूद गरीबों की मदद के लिए काम कर रहे हैं , इनमे मथुरा के “गजेंद्र शर्मा ” का नाम अग्रणी है । इनके प्रयासों से कई जरूरतमंदों को नई ऊर्जा और नई दिशा मिली है। गजेंद्र शर्मा के पास कोई सरकारी मदद नही है, ये बिना किसी एनजीओ के सहारे लगातार अपना काम कर रहे हैं।
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उत्तराखंड विनाशकारी त्रासदी में अनाथ बच्चों को गोद लिया
धर्मनगरी में गजेंद्र शर्मा ने एक सच्चे और निष्ठावान व्यक्ति के तौर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वो बिना किसी एनजीओ से मदद लिए सबकी सहायता करते हैं, चाहे गरीब कन्याओं की शादी करना हो , गौशाला की देखभाल, बीमार लोगों की मदद , निर्धन और अनाथ बच्चों की पढ़ाई के लिए गजेंद्र शर्मा तन, मन और धन से उनकी सेवा में जुटे रहते हैं। उत्तराखंड में प्राकृतिक त्रासदी के दौरान भी अपनी पराकाष्ठा और लगन से उन्होंने शेल्टर होम और खाने पीने की हर संभव व्यवस्था की थी। विनाशकारी त्रासदी में अनाथ बच्चों को अपनी औलाद के तौर पर उन्होंने गोद लिया है, वे आज भी वहां के बहुत से बच्चों के खाने पीने रहने और उनकी पढ़ाई का खर्च उठा रहे हैं। यहां तक की बीमार बच्चों के इलाज का खर्च भी खुद उठाते हैं।
सामाजिक कार्यों को पूर्ण निष्ठा से निभाने के लिए गजेंद्र शर्मा को अलग-अलग संस्थानों द्वारा अब तक 198 सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें उत्पादक एवं उत्तर प्रदेश के सेवा कर विभाग का एडवाइजर भी बनाया गया है। गजेंद्र शर्मा जी की जिंदगी हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है। Logically उनकी सच्ची निष्ठा और संपूर्ण बलिदान के लिए उनको तहे दिल से नमन करता है।