Sunday, December 10, 2023

बी. टेक में पढ़ने वाले छात्र ने सेना के जवानों लिए बनाया खास जूता, मलवे या बर्फ में दबने के बाद कंट्रोल रूम में जाएगा संकेत

आए दिन किसी न किसी हादसे में जवानों की मरने की खबर आती रहती हैं। यह खबर हर किसी के लिए बहुत ही दर्दनाक होती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले एक मजदूर के बेटे ने जवानों के लिए स्मार्ट जूता तैयार किया है। वर्तमन में यह युवा इंजीनियरिंग का छात्र हैं। उसके अनुसार लैंडस्लाइड के दौरान अगर कोई जवान बर्फ या मलबे में दब जाए तो यह जूता कंट्रोल रूम को सिग्नल भेजने में सक्षम है, जिससे उस जवान को खोजना आसान हो जाएगा। हालांकि इसे किसी प्रकार की इंटरनेट नेटवर्क की भी जरुरत नहीं हैं। – Sumit from Meerut made smart shoes to help the soldiers.

एक हफ्ते में बनाया जवानों के लिए स्मार्ट जूता

हम बात कर रहे एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज के अटल कम्युनिटी इन्नोवेशन सेंटर में B.Tech इलेक्ट्रिकल के प्रथम वर्ष के छात्र सुमित कुमार की। स्मार्ट जूते को तैयार करने वाले सुमित मेरठ के खिर्व जलालपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता पेशे से एक साधारण से मजदूर हैं। हाल ही में मणिपुर में हुए लैंडस्लाइड हादसे से कई जवानों की जान चली गईं। इससे सुमित काफी प्रभावित हुए और केवल एक सप्ताह में उन्होंने स्मार्ट आर्मी जूता तैयार कर दिया।

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इस स्मार्ट जूतों से जवानों को मिलेगी मदद

इस जूते के लिए सुमित का कहना है कि जवान जब मुसीबत में होंगे तो इसकी सूचना कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी। हर वर्ष होने वाले भूस्खलन या हिमस्खलन की वजह से कई दुर्घटनाएं होती हैं, जिसके कारण अक्सर सेना के जवानो की मृत्यु हो जाती थी। ऐसे में यह जूता जवानों के लिए मददगार साबित होगी। सुमित इस जूते को दो हिम में बनाए हैं, जिसका एक ट्रांसमीटर सेंसर जूते के सोल से लगा होगा और दूसरा रिसीवर अलर्ट सिस्टम सेना के कंट्रोल रूम में होगा। – Sumit from Meerut made smart shoes to help the soldiers.

जूते से होने वाला फायदा

दरअसल जूते के दूसरा रिसीवर के साथ ट्रांसमीटर सेंसर जुड़ा होगा। बता दें कि इसकी रेंज हवा में 100 मीटर है और जमीन पर लगभग 3 फीट है। सुमित बताते हैं कि भूस्खलन या हिमस्खलन की स्थिति होने पर जूते का सेंसर खुद ही एक्टिव हो जाएगा इस सेंसर से सिग्नल निकलते ही कंट्रोल रूम में अलार्म बजना शुरु हो जाएगा। ऐसे में जवानों पर खतरा आने पर तुरंत कंट्रोल रूम में पता चल जाएगा और इस तरह जवानों को समय रहते बचाया जा सकेगा।

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जूते को तैयार करने में आई 15 से 16 हजार की लागत

जूता में एक अन्य रिसीवर को मौके पर लेकर जाने से यह अलार्म और तेज हो जाएगा, जिससे जवान को खोजना आसान हो जाएगा। सुमित के अनुसार इस जूते की लागत लगभग 15 से 16 हजार हुई है। हालांकि अच्छी तरह काम कर इसकी कीमत और कम की जा सकती है, जबकि सिग्नल की रेंज में बढ़ोतरी की जा सकती है। सुमित बताते हैं कि इस जूते को बनाने में रेडियो ट्रांसमीटर रिसिवर, चार्जेबल बैटरी, हैंड रोटेड चार्जिंग, अलार्म और प्रेसर सेंसर जैसे चीजों का इस्तेमाल किया गया है। – Sumit from Meerut made smart shoes to help the soldiers.