बिजली हमारे जीवन की आम ज़रूरत बन गई है, जिसे हम बहुत अच्छे से जानते हैं। आज की हमारी कहानी झारखंड के एक ऐसे स्कूल की है जहां सौर ऊर्जा से 500 छात्राओं के लिए भोजन बनाया जाता है। आईये जानते हैं इसके स्कूल के बारे में –
झारखण्ड (Jharkhand) के ‘बेथेसदा बालिका विद्यालय’ में प्रतिदिन सुबह-शाम 250 लड़कियों का खाना सौर ऊर्जा से बनाया जाता है। मतलब हर दिन 500 बच्चियों को इस सौर ऊर्जा से बने खाने खिलाये जाते हैं। यह सोलर सिस्टम स्कूल को साल 2011 में जर्मनी की एक संस्था ने दान में दिया था। इस सोलर की सहायता से खाना बनाने में ईंधन की बचत होती है, और पर्यावरण का संरक्षण भी होता है। वर्ष के 8 महीने में सुबह-शाम का भोजन इस सोलर की सहायता से बनाया जाता है। जब बारिश का मौसम आता है, उस समय कोयले या लकड़ी का इस्तेमाल कर भोजन बनाया जाता है। इस तरह सोलर की सहायता से खाना बनाने में प्रत्येक महीने 4 हज़ार से अधिक रुपये की बचत होती है। इस हिसाब से स्कूल को 9 साल में लाखों रुपए की बचत इस सोलर सिस्टम से खाना पकाने से हुआ है।
जब इस सोलर सिस्टम को स्थापित किया जा रहा था, तो उस समय इसकी लागत 7 लाख रुपये आई थी। झारखंड राज्य में 203 ‘कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय’ है। इन सभी विद्यालयों में लगभग 300 से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं, अगर उन सब स्कूलों में भी ऐसे ही सोलर सिस्टम की व्यवस्था की जाए तो साल में लाखों रुपए की बचत के साथ पर्यावरण का संरक्षण भी होता रहेगा।
स्कूल के वार्डन एस टोपनो ने यह जानकारी दी है कि इस सोलर सिस्टम पर 25 किलो चावल सिर्फ 20 मिनट में पक जाता है। ऐसे ही सब्जी और दाल बनाने में भी 20-25 मिनट का समय लगता है, जिस कारण खाना जल्दी बन जाता है। साथ ही इसका उपयोग करना बहुत आसान है। 4 सालों में सिर्फ दो बार ही इसमें छोटी-मोटी परेशानियां हुई हैं, जो ठीक करवाया जा चुका है। The Logically सोलर के जरिए पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखने के लिए झारखण्ड (Jharkhand) के ‘बेथेसदा बालिका विद्यालय‘ के सदस्यों को धन्यवाद करता है।