हम सभी जानते है कि देश तेजी से अनलॉक हो रहा है। ऐसे में सभी मॉल्स, पार्क, स्कूल, कॉलेज खुलने लगे हैं। स्कूल खुलने के बाद भी अधिकतर परिजन अपने बच्चों को कोरोना के डर से स्कूल नहीं भेज रहें हैं। कुछ ही बच्चे स्कूल जा रहें हैं। कई स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यव्स्था है लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई उन बच्चों के लिये परेशानी बन गई है जिनके पास एंड्रायड फोन नहीं है। कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिनका परिवार टेक्नोलॉजी फ्रेंडली नहीं हैं।
ऐसे में कुछ गांवों में बच्चों की शिक्षा के लिये “बोलता स्कूल” शुरु किया गया हैं, ताकी छात्रों का भविष्य खराब न हो और वे सभी अपनी पढ़ाई अच्छे से कर सकें।
आइए जानतें हैं “बोलता स्कूल” के बारें में।
पालघर (Palghar) के जव्हर और माखाडा तहसील के 35 गांवों में “बोलता स्कूल” आरंभ हुआ है। “बोलता स्कूल” को दिगंत स्वराज फाउंडेशन ने शुरु किया है। इस स्कूल से लगभग 1200 बच्चे जुड़ चुके हैं। इस संस्था के डाइरेक्टर राहुल टिवरकर (Rahul Tiwarakar) है। उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान आदिवासियों को जरुरी सामान जैसे खाना-पीना, दवाइयां आदि पहुंचाई। इस दौरान ऐसे कई परिजनों से मुलाकात हुईं जो बच्चों की शिक्षा को लेकर बहुत चिंतित और परेशान थे। उनकी परेशानी खत्म करने के लिये उनके पास इतने अधिक संसाधन नहीं थे कि वे सभी को लैपटॉप और मोबाइल मुहैया करा सकें। तब उनके दिमाग में माइक और लाउडस्पीकर से पढ़ाने का विचार आया।
“बोलता स्कूल” में शिक्षक सुबह 8 बजे बच्चों को पढ़ाने आते हैं। यहां 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। प्रतिदिन ढाई घंटे क्लास होती है। इस स्कूल में जो फाऊंडेशन शिक्षक हैं वे स्कूल टीचर की मदद से सिलेबस के अनुसार पढ़ाते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे इसके लिये सभी शिक्षक ब्लूटूथ स्पीकर का उपयोग करतें हैं।
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संस्था के डायरेक्ट राहुल के अनुसार, स्कूल में शुरु के दिनों में बच्चे पढ़ने के लिये कम आते थे। लेकिन अब बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी है। स्कूल में कई हेल्पर भी उप्लब्ध कराये गयें है। जिनसे वे सवाल पूछते हैं। हेल्पर की मदद से बच्चे ऑडियो को दुबारा सुनने के लिये रिवर्स भी करा सकतें हैं।
The Logically स्कूल के डायरेक्टर और स्कूल को शुरु करने वाले फाउंडेशन को बच्चों की शिक्षा का भार उठाने लिये उन्हें सलाम करता है।