जिस तरह हमारे किसान खेती करते हैं, इसके लिए उनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। यह प्रकृति की देन हैं कि कभी इन्हें निराशा मिलती है, कभी खुशी। यह बात पूरी तरह सत्य नहीं कही जा सकती कि कुछ किसान फसलों के बर्बाद होने से आत्महत्या कर लेते हैं। आज हम आपको जिस किसान के बारे में बताने जा रहें हैं उन्होंने यह गलत रास्ता ना अपनाकर खेती की। शुरुआती दौर में इन्होंने मात्र 1 एकड़ में खेती करना शुरू किया और उसमें सब्जियां उगाई। आगे यह 15 एकड़ में खेती करने लगे और उनको लगभग 15 लाख का मुनाफा हर साल होता है। तो आइये जानते हैं उनकी खेती का राज कि इन्हें इतना ज्यादा मुनाफा कैसे हो रहा है। इन्हें अपनी खेती के लिए सरकार से पुरस्कार भी मिला है।
यह किसान हैं विन्दर सिंह
हम जिनके बारे में बता रहें हैं, उस किसान का नाम है, विन्दर सिंह। आर्थिक तंगी से परेशान होकर इन्होंने खेती करने का फैसला लिया और 1 एकड़ में खेती की शुरुआत की है। आज इनकी खेती 15 एकड़ में फैल चुकी है। देखा जाए तो यह 1 एकड़ में लगभग 1 लाख कमा लेते हैं। इस हिसाब से 15 एकड़ में हुए 15 लाख। इनकी खेती से अन्य किसान भी प्रेरित हुए हैं और इनसे बहुत कुछ सीख भी रहे हैं। उन्हें जो समझ नहीं आता उसके लिए वह विन्दर सिंह को अपने खेतों में बुलाते हैं और फिर उनसे सारी जानकारी इकट्ठा करते हैं।
शुरू में हुआ 40 हज़ार का लाभ
विन्दर सिंह (Vindar Singh) पंजाब (Panjab) के चट्ठा ननहेड़ा ग्राम के रहने वालें हैं। यह 4 भाई हैं और इनके पास 8 एकड़ भूमि ही है। यह चारों भाई मिलकर पारंपरिक खेती किया करते थे लेकिन उससे इन लोगों का जीवन का गुजारा अच्छी तरह नहीं हो पा रहा था। तब उन्होंने निश्चय किया कि यह कुछ नया और अलग करेंगे। इन्होंने पंजाब के कृषि सलाहकारों से मदद ली और शुरुआत में इन्होंने अपने खेतों में मिर्च को उगाया। परंपरिक खेती के अपेक्षा में इन्हें 40 हज़ार का मुनाफा हुआ। इससे यह बहुत खुश हुयें और चारों भाई मिलकर सब्जी की खेती करने लगें।
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खरबूजा से 5 लाख का फायदा
मौसम हमेशा खेती के अनुकूल नहीं होता है। इसीलिए इन्होंने अपने खेतों में पोलीहाउस का निर्माण किया है और ड्रिप सिस्टम से खेतों की सिंचाई करते हैं। वैसे तो यह ज्यादा नहीं पढ़े मात्र 10वीं कक्षा तक पढ़े हैं। लेकिन वह हमेशा पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी से जुड़े रहे और इससे हमेशा खेती करने के तरीके सीखते रहें। उन्होंने 1 एकड़ जमीन में खरबूजा की खेती की, इस खेती में लगभग 5 लाख तक का उनको फायदा मिला। इतना ही नहीं मिर्च की खेती से इन्हें 6 लाख की मुनाफा हुई थी। उन्होंने बताया कि अगर वही रियायती खेती करते तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा 65 या 66 हजार तक का लाभ मिलता था।
अधिक क्षेत्रों में बिकती है सब्जियां
यह अपनी सब्जियों को केमिकल युक्त कीटनाशक से नहीं बल्कि ग्रीन कीटनाशकों से तैयार करते हैं। इस कारण उनकी सब्जी की खूब बिक्री होती है। सब्जियों में सभी प्रकार के सब्जी मिलने के कारण इनके पास व्यापारी सब्जियों को खरीदने के लिए आते हैं। आज अगर देखा जाए तो इनकी तो इनकी सब्जी मालेरकोटला, पटियाला और सुनाम, संगरूर जैसे क्षेत्रों में बिक रही है। अगर कोई व्यक्ति सब्जी को खरीदने जाता तो वह व्यापारी से पूछता, क्या यह विन्दर सिंह की सब्जी है??? जिस कारण व्यापारी उन्हें ढूंढ कर उनके खेत में सब्जियां को खरीदने लगें। इनकी सफलता देख, अन्य किसान भी इनसे सीखे कर खेती करने लगें। गांव के दो तीन किसानों का कहना है कि अगर हम रिवायती खेती करें तो इतना मुनाफा नहीं जितना की वीरेंद्र सिंह की पद्धति को अपनाने से है।
मिलें हैं पुरस्कार
पंजाब की सरकार ने बागवानी को अच्छी तरीके से तैयार करने और फसल को सही तरीके से उगाने की जांच के लिए अपने अधिकारियों से श्रेणी को तैयार मांगी। तब उन्होंने 50 व्यक्तियों का लिस्ट दिया। इसमें से स्पेशल 8 किसान चयनित हुए। सर्वे कर विन्दर सिंह को पंजाब सरकार ने मुख्यमंत्री पुरस्कार से नवाजा।
रिवायती खेती छोड़ अपने तरीके से खेती करने और उसमें अधिक लाभ कमाने के साथ-साथ अन्य किसानों को भी जागरूक करने के लिए The Logically विन्दर सिंह को सलाम करता है।