कोरो’ना वायरस संक्रमण के कारण पूरे देश में अफरा-तफरी मची हुई है। लॉकडाउन के समय से लेकर अब तक सबकी जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है। पूरे देश को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। कोरोना के साये में लगभग सात महीने का वक्त बीत चुका है लेकिन हालात अब भी कुछ ज्यादा नहीं सुधरा है। लाखों लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी हैं, शिक्षा व्यवस्था भी अव्यवस्थित पड़ा है, भूखमरी की बृहद समस्या सामने खड़ी है।
उपजे हुए हालातों में सबसे ज्यादा प्रभाव मजदूर वर्ग पर हुआ है, उनके लिए सबसे ज्यादा भूखमरी की समस्या आ गई है। शुरुआती दौर में अनेकों श्रमिकों ने कारखाने बंद हो जाने के कारण शहर से नौकरी छोड़कर अपने गांव की ओर पलायन करने को मजबूर हो गए थे। केई लोगों को सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ी थी। अब धीरे-धीरे देश अनलॉक होते जा रहा है लेकिन संक्रमण का खतरा अभी भी टला नहीं है।
त्योहारों का समय आ चुका है जिसमें दुर्गा पूजा की शुरुआत भी हो चुकी है। दुर्गा पूजा हिंदुओं के सबसे मुख्य त्योहारों में से एक है। यूं तो यह पूजा कई राज्यों में होती है लेकिन कोलकाता में काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस बार कई जगहों पर कोरो’ना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए दुर्गा पूजा शुरुआत हो चुकी है। कोलकाता में इस बार दुर्गा पूजा के लिए विशेष प्रतिमाएं बनाई गई हैं जिसमें प्रवासी मजदूरों के संघर्ष को चित्रित किया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस बार बारिशा क्लब दुर्गा पूजा द्वारा समिति महिला प्रवासी मजदूरों के संघर्षपूर्ण यात्रा को दर्शाया जा रहा है।
तस्वीरों के माध्यम से संदेश
वहां के पंडाल में देवी दुर्गा जी की मूर्ति की जगह प्रवासी महिला की मूर्तियां स्थापित की गई हैं इस तस्वीर में एक मां अपने बच्चे को गोद में लिए हुए चित्रित है। ऐसा केवल देवी दुर्गा की मूर्ति के लिए ही नहीं है बल्कि पंडाल में मौजूद अन्य देवियों की मूर्ति की जगह प्रवासी श्रमिकों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
इस बार पूजा की थीम “मानवता”
एके ब्लॉक दुर्गा पूजा समिति ने एक खास सामाजिक संदेश देने के लिए मानवता को अपनी थीम बनाया है। जिसके तहत इस पंडाल में प्रवासी मजदूरों के संघर्ष को दिखाया जा रहा है। पंडाल का निर्माण करने वाले कलाकार सम्राट भट्टाचार्य के मुताबिक जो श्रमिक अपनी नौकरी छोड़ कर वापस अपने गांव जाने को मजबूर हुए थे उनकी मदद को अपना कर्तव्य मानते हुए इस थीम को तैयार किया गया है।
Migrant Mother as Goddess Durga at a Durga Puja Pandal this year
The idol of a migrant worker mother, a shirtless toddler (Kartick) in her arms, that will be worshipped as Goddess Durga at Barisha Club in Behala, West Bengal
Heart-touching! https://t.co/RsCm4L2D91 pic.twitter.com/eHej5ymX8R
— Dheeraj Aap ( Fan Of Ak & Ms ) (@AapActive123) October 15, 2020
The Logically बारिशा क्लब दुर्गा पूजा द्वारा समिति और एके ब्लॉक दुर्गा पूजा समिति द्वारा तैयार की गई इस नायाब मूर्तियों के लिए उन्हें धन्यवाद देता है। जिससे हमारे समाज को एक अच्छा संदेश मिल रहा है। जरूरी नहीं कि हम देवियों के प्रतिमा की हीं पूजा करें संघर्ष भी किसी अध्यात्म से कम नहीं है।