Wednesday, December 13, 2023

आगरा के अम्मा के चेहरे पर लौटी मुस्कान, लोगों ने दिए नए ठेले और दुकान पर होने लगी ग्राहकों की भीड़

आज भी अधिकतर औरतों की जिंदगी शादी से पहले उनके पिता पर निर्भर करती हैं तो शादी के बाद उनके पति पर….. लोग इसे ही सच मानते हैं और यही परंपरागत तरीके से चलता भी आ रहा है। अगर बचपन में पिता का देहांत हो जाए तो बेटी को बहुत सारी तकलीफों का सामना करना पड़ता है और शादी के भी बाद अगर पति का देहांत हो जाए तब भी औरतों को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपने जीवन-यापन के लिए बहुत लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं। लेकिन जिनके हौसले बुलंद होते हैं, वे किसी भी मुसीबत का सामना बहुत हिम्मत से करते हैं और जल्दी हार नहीं मानते। आज की कहानी एक ऐसी अम्मा की है जो रोटी बनाकर अपना जीवन यापन करती हैं। पर मीडिया ने उनकी किस्मत क्या खूब पलटी है। तो चलिए पढ़तें हैं अम्मा की कहानी।

पिछले 20 वर्षों से अम्मा सेंट जोन्स चौराहे के फुटपाथ पर एक मिट्टी का चूल्हा जलाए रोटियां सेंकती थी। पिछले कुछ दिनों में वहां की तस्वीर बदल गई है। वहां अब मिट्टी का चूल्हा नहीं गैस का चूल्हा जल रहा। जो अम्मा जमीन पर बैठती थी, वह एक प्लास्टिक की टूल पर बैठ रही। ऊपर आसमान के वजह से शरीर पूरा पसीने से लथपथ रहता था, अब उसके ऊपर स्टील की छत है और हवा के लिए एक पंखा भी है। आप खुद कल्पना कर सकते हैं कि यह अम्मा के लिए कितनी अच्छी बात होगी क्योंकि पिछले 20 वर्षों से अम्मा इतने तकलीफ का सामना करते हुए काम कर रही थी, आज थोड़े सुकून और आराम से काम कर रही हैं। आज उस जगह खड़े होकर देखो तो अम्मा के चेहरे की मुस्कुराहट, उनकी चैन भरी सांस और आंखों में प्यार हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर रही।

Roti wali Amma

इन्हें सब रोटी वाली अम्मा कहते हैं। इनका नाम भगवान देवी है। कुछ ही दिनों में इनकी जिंदगी कुछ इस तरह बदली कि इनके चेहरे पर मुस्कान वापस आ गई है। जब इनके पति बीमार हुए तब यह जैसे-तैसे फुटपाथ पर बैठक अपनी जिंदगी बसर करने लगी। लेकिन लॉकडाउन में जब उनके पति का निधन हुआ तो वह पूरी तरह टूट चुकी थी। इनके बेटे हैं जो अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं। एक न्यूज़ के माध्यम से अम्मा की मदद के लिए लोगों से बोला गया। यह खबर देख बहुत से लोग उनकी मदद के लिए सामने आए।
 
अम्मा का एक बैंक अकाउंट है जिसमें इनकी मदद के लिए लोगों ने पैसे भेजें हैं। इन्हें चूल्हा, पंखा और जरूरतमंद की बाकी चीज़ें एक फाउंडेशन के माध्यम से मिली है। अम्मा के ठेले पर अब लोग सिर्फ खाने के लिए ही नहीं बल्कि उनकी मदद के लिए भी आते हैं। कुछ लोग उनके साथ फोटोज क्लिक करते हैं तो कुछ उनके हाथों के बने पराठे का स्वाद चखते हैं। सच कुछ लोगों के हाथों में जादू होता है, सब अम्मा के बनाए खाने की तारीफ भी करते हैं।

The Logically अपने पाठकों से अनुरोध करता है कि आप भी ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें। सड़क किनारे, कड़ी धूप और थोड़ी सी जगह में सामान बेचने के लिए बैठे ज़रूरतमंद लोगों से सामान ज़रूर खरीदें।