जब कभी भी खेती की बात आती है तो जेहन में पुरुषों का नाम आता है लेकिन इसके इतर वर्तमान समय में ऐसी कई महिलाएं हैं जो कृषि क्षेत्र में सफलता की इबारत लिख रही है। उन्हीं में से एक महिला किसान आरती चौहान हैं जिन्होंने अपने घर की छत पर इस पैमाने पर खेती करती हैं कि खुद के साथ उनके मुहल्ले वाले भी उनकी उपजाई सब्जियां खाते हैं।
आरती चौहान मुंबई की रहने वाली हैं। कुछ वर्ष पहले बीएमसी के तरफ से यह कहा गया था की सभी लोग गीले और सूखे कचरे का प्रबंधन करें और उसके बाद उसका खाद बनाकर उसे उपयोग में लाया जाए। आरती चौहान जिस सोसाइटी में रहती हैं वहां लगभग 50 परिवार है। सभी लोग स्वच्छता के लिए सजग रहते हैं। आरती समेत सभी लोगों ने कचरे का प्रबंधन कर उससे उर्वरक तैयार कर लिया जिसे सभी लोग अपनी बालकनी में लगे पौधों में डाला करते थे। लेकिन कचरे के प्रबंधन से जितनी मात्रा में उर्वरक बन पाता था उन सभी उर्वरकों का उपयोग नहीं हो पाता था। शेष बचे हुए उर्वरक का सही उपयोग हो इसके लिए आरती चौहान ने रिसर्च करना शुरू किया। उसी दौरान उन्हें ऑर्गेनिक टेरेस फार्मिंग के बारे में पता चला। उसके बाद आरती चौहान ने अपने हीं छत पर टेरेस फार्मिंग के लिए बीज लगाने शुरू कर दिए।
आरती चौहान हमेशा से कुछ नया करने में दिलचस्पी रखती हैं। वह ऐसी सब्जियों की खेती करती हैं जिसमें कम मेहनत और कम समय देना पड़े और वे अच्छे ग्रोथ के साथ बेहतर पैदावार भी दे सके। आरती चौहान अपनी छत पर टेरेस फार्मिंग के तहत गोभी, टमाटर, बैंगन, पालक, क्लस्टर बीन्स, नींबू, करेला आदि सब्जियां उगाती हैं।
यह भी पढ़ें :- दोनों भाई नौकरी छोड़ खेती से जुड़े, आज 200 किसानों का नेटवर्क बनाकर आर्गेनिक फार्मिंग से 70 लाख रुपये सलाना कमा रहे हैं
अपनी बिल्डिंग के छत के लगभग 3000 वर्ग फुट में वे सब्जियां उगाती हैं और प्रतिदिन उसे अपने सोसायटी के लोगों में बांटती हैं। आरती की इस पहल की चर्चा पूरे सोसाइटी में होती है और सभी लोग उनकी प्रशंसा करते हैं। आरती चौहान के इस प्रयास को ना सिर्फ उनकी सोसाइटी के लोग बल्कि मुंबई स्थित कई संस्थाओं ने भी सराहा है। ‘हरियाली’ नाम की संस्था ने उन्हें संयुक्त सचिव नियुक्त किया है तथा मुंबई म्यूनिसिपैलिटी ने उनकी सोसाइटी को “जीरो गार्बेज सोसाइटी” घोषित किया है।
आरती चौहान ने अपने प्रयास से यह प्रेरणा कायम किया है कि कचरे का प्रबंधन करके उसे खाद बनाकर हम किस तरह अपने घर में ही सब्जियां उगा सकते हैं। इस माध्यम से हमें घर से निकलने वाले कचरों से तो निजात मिलेगी हीं साथ हीं शुद्ध और ताजी सब्जियां भी खाने को मिलेंगी। आरती जी का यह प्रयास सभी के लिए अनुकरणीय हो सकता है। The Logically आरती चौहान जी के प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा करता है।