Sunday, December 10, 2023

जबतक सफलता नही मिलेगी शादी नही करूंगी, इस प्रण के साथ अभिलाषा तीसरे प्रयास में IAS अधिकारी बन गईं

हमारे यहाँ भारतीय समाज मे अक्सर यह देखने को मिलता है कि अक्सर अभिभावक लड़कियों को परिवार का बोझ समझते हैं। कई इलाकों में यह देखने को मिलता है कि भले ही लड़कीयो की मनचाही पढ़ाई पूरी न भी हुई हो लेकिन परिवार वाले उन पर शादी का दबाव डालने लगते हैं। इस कारण भारतीय समाज की कई लड़कियां अपना प्रतिभा नहीं दिखा सकती। इसके बावजूद भी कुछ लड़कियां परिवार और समाज के दबाव में न आकर अपने सपनों में रंग भरने को ज्यादा तरजीह देती हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी ही लड़की के बारे में जिन्होनें बचपन से ही आईएएस बनने का सपना देखा था। खास बात यह है कि उस लड़की ने आईएएस बनने तक शादी नहीं करने का फैसला लिया था। आईएएस नहीं बनने तक शादी नहीं करने के फैसले से नाराज परिवार को उन्होंनें मनाया भी, और अंतत उन्होंने आईएएस बनकर अपनी जिद पूरी करते हुए अपने परिवार तथा समाज का मान भी बढ़ाया है।

IAS Abhilasha

कौन है वह IAS लड़की ?

हम बात कर रहे हैं, बिहार (Bihar) की रहने वाली अभिलाषा (IAS Abhilasha) के बारे में। अभिलाषा बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज-तरार थीं। हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें यूपीएससी परीक्षाओं के बारे में जानकारी हुई। इसी दौरान उन्हें यह भी पता चला कि, यूपीएससी की परीक्षा पास करके ही आईएएस बना जा सकता था। जब अभिलाषा कक्षा 11वीं में थीं तभी उन्होंने ठान लिया था कि वह आईएएस बनेंगी। इसके बाद उन्होंने बारहवीं की पढ़ाई करने के बाद इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। फिर बाद में उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखते हुए पुरजोर तरीके यूपिएससी की तैयारी में लग गई। ― Success Story of IAS Abhilasha.

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ग्रेजुएशन करने के दौरान शादी के लिए बनाया गया दबाव

ग्रेजुएशन करने के दौरान ही अभिलाषा (IAS Abhilasha) पर परिवार वालों ने शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया। कई रिश्तेदार रिश्ते लेकर घर आने लगे। इससे अभिलाषा परेशान हो गईं। उन्होंने माता-पिता से अपने मन की बात बताई, साथ ही यह भी बताया कि उन्होंने आईएएस बनने तक शादी नहीं करने का प्रण लिया है। यह सुनकर परिवार वाले थोड़े नाराज हुए, लेकिन अभिलाषा के लिए अपने माता-पिता को मनाना काफी मुश्किल था। उनके माता-पिता कभी रिश्तेदारों तो, कभी समाज का हवाला देकर अपनी मजबूरी जाहिर करते और शादी करने की बात कहते। लेकिन उन्होंनें (अभिलाषा) कई उदाहरण देकर किसी तरह अपने माता-पिता को समझाया। वे अपने परिवार वाले को यह कह कर समझाती थी कि यदि मैं अगले कुछ सालों में आईएएस नहीं बन सकी तो परिवार वाले जहां कहेंगे शादी कर लूंगी। काफी समझाने के बाद इनके परिवार वालों ने इनकी बात मानी और UPSC की तैयारी कराने को राजी हो गए। फिर अभिलाषा अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करने लगीं। दो बार यूपीएससी की परीक्षा में मनचाहा परिणाम नहीं मिला, लेकिन हताश नहीं हुईं और तीसरे ही प्रयास में वह आईएएस बन गईं। ―Success Story of IAS Abhilasha.

IAS Abhilasha

हमेशा से पढ़ाई में रही टाॅपर

शुरू से ही अभिलाषा (IAS Abhilasha) पढ़ाई में काफी तेजतर्रार थीं। उन्होंने पटना में रहकर सीबीएसई बोर्ड से कक्षा दसवीं की पढ़ाई की। परीक्षा में फर्स्ट आईं। कक्षा 12वीं में 84 फीसदी अंक हासिल कर परिवार वालों को गौरवान्वित किया। इसके बाद ए. एस. पाटिल कॉलेज महाराष्ट्र (A. S. Patil College Maharashtra) से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी भी करना शुरू किया। ―Success Story of IAS Abhilasha.

नौकरी भी और परीक्षा की तैयारी भी

अभिलाषा (IAS Abhilasha) ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कई साल तक नौकरी की। इस दौरान भी वह लगातार यूपीएससी की तैयारी में जुटी रहीं। नौकरी के दौरान ऑफिस में जो समय बचता था उसमें मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई करती थीं। देर रात तक जागकर वह नए और पुराने नोट्स को पढ़ती थीं। अभिलाषा का मानना है कि अगर हमारे पास समय है तो इसका सदुपयोग करना चाहिए। हम समय का सही उपयोग कर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। ―Success Story of IAS Abhilasha.

IAS Abhilasha

तीसरे प्रयास में 18वीं रैंक के साथ बनीं आईएएस

अभिलाषा ने अपना पहले अटेम्पट साल 2014 में किया था, उस वक्त उनका प्री भी क्लियर नहीं हुआ था। इसके बाद उन्होंने एक साल का समय लिया और जम के पढ़ाई की और अपनी UPSC की तैयारी पुरी की। दूसरे अटेम्पट में उनका 308 रैंक के साथ आईआरएस सेवा के लिए उनका सेलेक्शन हुआ लेकिन वो इतने से संतुष्ट नहीं थी। तीसरे अटेम्पट में 18वीं रैंक के साथ अभिलाषा ने अपने बचपन का सपना पुरा किया। ―Success Story of IAS Abhilasha.

समाज के लिए बनी मिशाल

अभिलाषा (IAS Abhilasha) की यह कामयाबी समाज के लिए मिशाल बनी हुई है। उन्होंने अपनी सफलता से समाज को अच्छे संदेश से अवगत कराते हुए यह प्रदर्शित करने का काम किया है की बेटीयो को भी अपने मनपसंद पढ़ाई तथा नौकरी का मौका मिलना चाहिए तथा जब- तक लड़कियाँ पढ़ाई या नौकरी करना चाहती है तब- तक उसके मर्जी के बगैर शादी के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए।