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बैंक की नौकरी छोड़ कर रहे हैं खेती, बिहार के अभिषेक अनेकों तरह के चाय की उत्पाद से 20 लाख तक कमा रहे हैं

पढाई का जिंदगी में बहुत अहमियत है पढ़ाई के बल पर लोग अच्छी नौकरी पाकर अपने जीवन को बेहतर बनाते हैं। इसी बीच अगर यह सुनने में आता है कि कोई व्यक्ति अच्छी नौकरी त्यागकर गांव में रहने आया है और खेती कर रहा है तो बात कुछ अजीब सी लगती है। और लगे भी क्यूं ना आखिर उन्होंने सुकून और शांति के आवरण से घिरी शहर की जिंदगी को त्यागकर गांव को अपनाया है। वह अपनी 11 लाख की नौकरी को त्यागकर अपने जन्मभूमि बिहार आए और आज वह खेती से हर एक माह 2 लाख की कमाई कर रहे हैं।

बिहार के औरंगाबाद के हैं अभिषेक

अभिषेक (Abhishek) बिहार (Bihar) राज्य के औरंगाबाद (Aurangabad) से नाता रखते हैं। उन्होंने शुरुआती शिक्षा संपन्न कर पुणे से वर्ष 2007 में मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की है। फिर उन्हें एचडीएफसी बैंक में नौकरी लगी। इस नौकरी से यह साल में 7 लाख रुपये कमा रहे थे। आगे चलकर उनका प्रमोशन हुआ और उनकी आमदनी 11 लाख हुई। अभिषेक कुछ ऐसे लोगों से बिहार में मिले जिनके पास खेत होते हुए भी वह छोटी-मोटी नौकरियां कर अपना गुजारा चलाते थे। लेकिन अभिषेक इस बात से परिचित है कि उन्हें पारंपरिक खेती से कोई फायदा नहीं मिल रहा है इसीलिए उन्हें पैसे के लिए वह सब नौकरियां करनी पड़ रही हैं। अभिषेक एक बार जब महाराष्ट्र गए तो उन्होंने देखा कि वहां पर किसान फूलों की खेती कर रहे हैं और उससे अधिक मुनाफा भी कमा रहे हैं। तब उन्होंने उन किसानों से प्रेरणा ली और खुद ही उसकी खेती करने का निश्चय किया।

Abhishek in his field

खेती के उद्देश्य से लौटे बिहार

जब अभिषेक अपने गांव आए तब उन्होंने खेती का निश्चय किया। उनके घर वाले तो उनके इस फैसले से आश्चर्यचकित हुए कि आखिर ये इतनी अच्छी नौकरी छोड़ खेती क्यों करेगा और जो अन्य गांव के लोग थे वह मजाक उड़ाने लगे। खेती करने से पहले उन्होंने जितनी भी जानकारी खेती के बारे में थी उतनी कृषि विभाग से इकट्ठा करी। उन्होंने परंपरागत खेती को ना अपनाकर अपनी नई खेती का शुभारंभ किया। वह अपने खेतों में औषधीय पौधों को लगाए जैसे लिमियम, जरबेरा आदि। इन्होंने अपनी मात्र 8 कट्ठा की खेती से 4 लाख की कमाई की। जिससे उनका मनोबल बढ़ा और उनके गांव के जो लोग उनका मजाक उड़ाए थे वह इस तरीके को सीखने की कोशिश करने लगे।

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आखिर उन्होंने वही पौधे क्यों उगाया?

हम इस बात से भली-भांति परिचित हैं कि अगर अपने खेतों में फसलों के तौर पर गेंहू, मक्का, सरसों या फिर अन्य परंपरागत फसलों को लगाते हैं तो वह जानवरों से बच नहीं पाता। अगर बच भी गया तो बहुत कम ही मात्रा में हमारे खाने लायक रह जाता है। लेकिन अगर वही औषधीय पौधों को लगाया जाए तो जानवर इसे हानि नहीं पहुंचाते और उसकी खासियत यह है कि अगर एक बार उसे लगा दिया जाए तो हम वर्षों तक कोई और अन्य कार्य कर सकते हैं। इसीलिए उन्होंने अपने खेतों में औषधीय पौधों को लगाया। उन्होंने मलेरिया की दवा निर्मित वाले आर्टिमिसिया पौधे को भी लगाया है। वर्तमान में अभिषेक यहां के अन्य किसानों के साथ मिलकर औषधीय पौधों और फूलों के पौधों को खेतों में उगा रहे हैं।

बनाई है कम्पनी, मिला है कई सम्मान

अभिषेक सिर्फ औषधीय पौधों को ही नहीं लगाए बल्कि फूलों को भी अपने खेतों में लगाए हैं। वह ज्यादातर रजनीगंधा के पौधों को अपने खेतों में लगाए हैं। अभिषेक ने यह जानकारी दी कि एक हेक्टयर में रजनीगंधा की खेती से लगभग डेढ़ लाख तक की आमदनी होती है। इस पौधे से 2 लाख “फूल के बल्ब” को निर्मित किया जाता है जिससे साल में लगभग 5-6 लाख का मुनाफा होता है। अभिषेक ने एक कंपनी की शुरुआत की है जिसका नाम “कादंबिनी फार्मर प्रोड्यूसर” है। उन्हें अपनी बेहतरीन खेती के लिए बिहार में श्रेष्ठ किसान का अवार्ड मिला है साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें “कृषि रत्न पुरस्कार” से सम्मानित किया है।

वीडियो में अभिषेक द्वारा दिए गए सुझावों को देखे

अपने गांव के महत्व को समझना और वहां आकर औषधीय खेती कर अन्य किसानों को उससे जोड़कर सफल कृषि का संचार करने के लिए The Logically अभिषेक जी को सलाम करता है।

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