Wednesday, December 13, 2023

जानिए उस सख्स के बारे में जिसने सिविल सेवा की नौकरी छोड़ रेगिस्तान में जंगल बना दिया, आज वहां शेर भी हैं

जंगलों की कटाई कर उस जगह पर बिल्डिंग तथा फैक्ट्री बनाना आम बात हो गई है। लेकिन आज हम इससे बिल्कुल अलग एक ऐसे वाकया के बारे में बताएंगे जहां एक शख्स ने जंगल लगाया है वो भी बंजर जमीन पर। आदित्य और उनकी पत्नी पूनम ने बंजर जमीन को जंगल का रूप दिया है और वो भी कोई साधारण जंगल नहीं बल्कि वह आज जानवरों का घर बन चुका है। आपको बता दें कि यहां रॉयल बंगाल टाइगर भी मौजूद है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह जंगल कितना बड़ा और हरा-भरा बन चुका है। – A couple has turned 35 acres of barren land into a forest, in which thousands of animals live today.

35 एकड़ बंजर जमीन को बना डाले हरा-भरा

बंजर जमीन को फिर से हरा-भरा बनाने वाले आदित्य सिंह (Aditya Singh) और उनकी पत्नी पूनम सिंह (Punam Singh) हैं। राजस्थान (राजस्थान) के सवाई माधोपुर में स्थित रणथंभोर में भारत का प्रसिद्ध नेशनल पार्क हैं, जिसे देखने देश तथा विदेशों से भी लोग आते हैं। नेशनल पार्क के पास ही 35 एकड़ की बंजर जमीन खाली थी। बड़ी-बड़ी बातें तो लोग अक्सर करते हैं, लेकिन इस कपल ने इस चुनौती को सच कर दिखाया है जिसके अंतर्गत उन्होंने 35 एकङ वाली बौछार जमीन पर जंगल उगा दिया है। गौरतलब हो कि आदित्य 1992 बैच के यूपीएससी सीएसएस (UPSC CSS) के अफसर रहे चुके हैं।

Aditya singh quitted job and turned dessert into ranthambhaur jungle
आदित्य सिंह, रणथंभौर

एक साल बाद छोड़ दिए नौकरी

यूपीएससी की परीक्षा पास करना भारत के हजारों युवा का सपना है। बता दें कि यह भारत के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। आदित्य ऐसे परीक्षा को पास कर ऑफिसर बन चुके थे, लेकिन उन्होंने एक साल बाद ही अपनी नौकरी छोड़ दी। वह बताते हैं कि उस समय वह बीबीसी के लिए एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म पर काम कर रहे थे। हम एक के बाद एक दो फिल्म बना रहे थे, जिसमें करीब 200 दिन का समय लगा। इस दौरान उन्हें यह पता चला कि ढेर सारे सब-एडल्ट टाइगर रिजर्व के चारों तरफ जो बंजर पड़ी जमीनें हैं वहां अपने परिवार को छोड़कर चले जाते हैं। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने बदलाव लाने का फैसला किया।

रणथम्भौर के जंगल की तस्वीर

आम जमीनों की तुलना में यह जमीन सस्ती थी इसलिए आदित्य ने इसे खरीद कर इस पर काम करना शुरू कर दिया। यही कारण है कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर दिल्ली से यहां शिफ्ट हो गए। आदित्य के अनुसार वहां कुछ और भी फैक्टर्स थे। साल 1998 की शुरुआत में आदित्य अपनी पत्नी के साथ रणथंभौर शिफ्ट हो गए। आदित्य का लक्ष्य उस जमीन को क्लाइमेट चेंज फ्रंटियर के तौर पर विकसित करना था। वह उस बंजर जमीन को ऐसा बनाना चाहते थे, जो वाटर लेवल को बढाए और जंगली जानवरों को रहने के लिए अनुकूल हो।

शुरुआत में कई तरह की समस्याएं आईं

आदित्य बताते हैं कि 35 एकड़ जमीन को हरा-भरा बनाने का यह सफर बिल्कुल आसान नहीं था। वह कहते हैं कि मेरे और मेरी पत्नी के लिए इस चुनौती को पार करना बहुत मुश्किल हो रहा था। दरअसल उन्हें वहां पर बेहतर माहौल नहीं मिल पा रहा था। वहां मौजूद जमीन को खरीदना वाकई एक चुनौती थी क्यूंकि ऐसा करने से वहां के लोगों के मन में यह धारणा आ जाती कि मैं यह होटल किसी बिजनेस या होटल के लिए खरीद रहा हूं। – A couple has turned 35 acres of barren land into a forest, in which thousands of animals live today.

कुछ महीनों के बाद पेड़-पौधे उगाने में मिली सफलता

बातचीत के दौरान आदित्य बताते हैं कि गांव का एक अपना सामाजिक माहौल होता है। इसे समझने के लिए उन्होंने गांव के कुछ वरिष्ठ ग्रामीणों से बात की, जिससे उन्हें आगे बढ़ने का विश्वास मिला। शुरुआत में गांव के लोग भी उन पर विश्वास करने में थोड़ा हिचकिचा रहे थे, परंतु धीरे-धीरे उन्हें यह विश्वास हो गया कि उनका लक्ष्य क्या है जिससे जमीन खरीदने में भी आसानी हुई। शुरू में आदित्य कई महीने तक उस जमीनों पर केवल पानी डालकर छोड़ दिया। इस तरह कुछ समय बाद बंजर जमीन पर पेड़-पौधे तो उगने शुरू हो गए, लेकिन आदित्य उनकी पत्नी का सफर यहीं नहीं रुका वह लगातार इस पर काम करते रहे।

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पानी की समस्या खत्म हुई

इस कपल के कठिन परिश्रम के बदौलत धीरे-धीरे पूरा जंगल तैयार हो गया। आदित्य बताते हैं कि इस दौरान हमने पानी के लिए भी बहुत काम किया जिससे इस क्षेत्र में पानी का लेवल कई गुना बढ़ गया। पहले से यहां मौजूद कई कुएं जो पूरी तरह सूख चूका था अब उसमें भी पानी आ गया है। इससे ग्रामीणों को पानी की एक बड़ी परेशानी दूर हो गई है। एक समय में लिए गए इस चुनौतीपूर्ण फैसले से ना केवल आदित्य और पूनम की जिंदगी बदली बल्कि ढेरों जंगली जानवरों को भी एक सहारा मिल गाया क्योंकि यह जानवर बंजर जमीन पर आते तो अक्सर थे, लेकिन रुक नहीं पाते थे।

आदित्य के अनुसार शुरुआती 4-5 साल तक काफी मेहनत करना पड़ा, लेकिन कुछ साल बाद उसमें पेड़-पौधे होने लगे। इस दौरान वह अलग-अलग जमीन खरीदते रहे और उसकी फेंसिंग करते रहे, जिसे वहां हरियाली बनी रहे। एक इंटरव्यू के दौरान आदित्य कहते हैं कि यह जो फॉरेस्ट है उसे तैयार करने के पीछे मेरा लक्ष्य मेरी खुशी थी। इस दौरान 20 साल तक किसी को पता ही नहीं था कि वह यहां किस तरह का काम कर रहा है। आदित्य का यह कार्य बिल्कुल व्यक्तिगत है और इसे किसी तरह के रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए नहीं बनाया गया।

पत्रकारों के जरिए यह जानकारी सबके सामने आई

साल 2018 में दिल्ली के कुछ पत्रकार आदित्य से मिलने आए थे। इस दौरान उन्होने पत्रकारों से खेत घूमने को कहा। जब वह पत्रकार उस जमीन पर पहुंचे तो उन्होंने कहा कि इसे आप खेत कह रहे हैं। यह तो पूरा का पूरा एक जंगल बन चुका है। उसके बाद उन पत्रकारो ने इस पर रिपोर्ट लिखी, जिससे यह खबर सामने आई और लोगों को इसकी जानकारी हुई।

आदित्य सिंह बताते हैं कि मेरे पिता सेना में थे। ऐसे में मेरा बचपन कई शहरों में बीता है। हालांकि बाद के दिनों में दिल्ली और बेंगलुरु में भी रहा हूं, लेकिन मेरी पत्नी पूनम दिल्ली की रहने वाली हैं। ऐसे में जब हम लोग रणथंभौर शिफ्ट हुए तो उन्हें भी कोई परेशानी नहीं हुई। शिफ्ट होने से पहले भी वह कई बार वहां जा चुके थे। आदित्य के अनुसार कुछ दिनों तक तो काफी समस्याएं हुई, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ पहले की तरह नॉर्मल होने लगा और आज वह बंजर जमीन एक बेहद खूबसूरत जंगल का रूप ले चुका है।