Sunday, December 10, 2023

प्लास्टिक से पाना हैं छुटकारा तो बांस से बने इन इको-फ्रेंडली चीजों को अपनाइए।

आज जिस बेहिसाब से लोग पर्यावरण को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं उससे हम लोगों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। हम लोग खुद प्लास्टिक से बनी चीजों को उपयोग करके पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं। प्लास्टिक (Plastic) एक ऐसी चीज है जो हमारे पर्यावरण के लिए और हमारे लिए काफी हानिकारक है। यह प्लास्टिक को वातावरण में घुलने में लगभग 1000 साल का समय लगाता है और लगभग 1 टन प्लास्टिक से 10 लाख कैरी बैग बनाया जा सकता है। यह प्लास्टिक नॉन बायोडिग्रेडेबल होने के कारण न तो मिट्टी में गलती है और ना ही पानी में घुलती है। अगर प्लास्टिक को जलाते हैं तो इससे निकलने वाले धुएँ काफी जहरीली होती है जो पूरे वातावरण को दूषित कर देती है। इसके कारण हम लोगों के स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ता है।

विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य संगठन WHO (world health organization) के रिसर्च से पता चला है कि प्रदूषण हवा में फैल जाता है। जिसके कारण प्रत्येक साल लगभग 7 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा समुद्री जीव-जंतुओं पर भी काफी असर पड़ता है। हजारों समुद्री जीव-जंतु प्रदूषण की वजह से मर जाते हैं। प्लास्टिक के उपयोग होने से हमें यह समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हम लोग प्लास्टिक से बनी हुई हर चीज का उपयोग करते हैं। यह प्लास्टिक (Plastic) का उपयोग करना हमारे लिए आदत बन गई है। हम लोग को अपनी इस आदत को छोड़नी चाहिए। अगर हम लोग प्लास्टिक से बनी चीजों का उपयोग नहीं करते हैं। तो पर्यावरण में तो सुधार आएगा ही साथ-साथ हम लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होगा। हम लोगों को प्लास्टिक जैसी चीजों से छुटकारा पाने के लिए कुछ नए विकल्प के बारे में सोचना चाहिए। जिसकी वजह से हमें खुद के स्वास्थ्य भी बचा रहे और हमारे पर्यावरण भी दूषित ना हो पाए।

Wooden Bottle

हमलोग सोशल मीडिया (Social Media) के माध्यम से तरह-तरह की चीज देखने को मिलते हैं। इसी सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं। जो बांस की बोतल और टिफिन बना कर वीडियो वायरल कर रहे हैं। यह वीडियो त्रिपुरा (Tripura) की है। यह Tripura Rehabilitation Plantation corporation Limited का हिस्सा है। यह Bamboo Artisanal Bottle Project के जरिए त्रिपुरा के झूम खेती करने वाले किसान ने इसे डिजाइन किया है। इन सारी योजनाओं में IFS प्रसाद राव (Prasad Rao) नाम का एक व्यक्ति भी शामिल हैं। इन्होंने इस बॉस से बनी बोतलों का आर्डर बनाने की घोषणा कर दी।

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त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव (Biplav Kumar Dev) कहते हैं कि त्रिपुरा में पर्यावरण को देखते हुए यहां के कारीगर अपने हाथों से बांस की बोतले तैयार कर रहे हैं। इन कारीगरों की काबिलियत को देखकर और इन लोगों के द्वारा बांस से बनाए गए बोतलों को पेश करने पर हमें काफी गर्व महसूस हो रहा है। और BCDI तथा FRCLE की मदद से TRPC द्वारा कारीगरों की मेहनत से पूरे राज्य घर में बांस की बोतलें बनाई जा रही है। इसके साथ-साथ मणिपुर के चुराचांदपुर में Zogam Bamboo द्वारा इको फ्रेंडली टिफिन बनाया जा रहा है। यह टिफिन देखने में काफी खूबसूरत लगती है। और यह इको फ्रेंडली टिफिन हमारे पर्यावरण के लिए और हमारे लिए काफी अच्छा है।

हम गर्मियों के मौसम में आइसक्रीम बहुत चाव से खाते हैं परंतु आइसक्रीम जिस कटोरी में भरी रहती है वह पूरी तरह से प्लास्टिक की बनी होती है। और उसके साथ दिया गया चम्मच भी प्लास्टिक का ही होता है। अगर हम चाहे तो आइसक्रीम को प्लास्टिक की कटोरी का उपयोग ना करके हम केले के पत्ते और लकड़ी के चम्मच का उपयोग करके हम इको फ्रेंडली कटोरी चम्मच का प्रयोग कर सकते हैं।

Grass

आज पूरे विश्व भर के Beaches में तकरीबन 8.3 मिलियन प्लास्टिक स्ट्रो है। यह प्लास्टिक स्ट्रो अकेले अमेरिका में 500 मिलियन प्रतिदिन खपत होती है जिससे प्रदूषण अधिक मात्रा में फैलता है। इस पर्यावरण को बचाने के लिए वियतनाम के Tran Minh Tien ने काफी अच्छा तरीका ढूंढ किया है इन्होंने घास से स्ट्रो बनाई है। जो वियतनाम के कुछ इलाकों में पाई जाती है। और अगर सूखी घास की स्ट्रो बनाते हैं। तो वह लगभग 6 महीने तक चलती है। और फ्रेश घास की स्ट्रो बनती है। तो वह दो हफ्तों तक उपयोग किया जा सकता है। यह घास से से बनी स्ट्रो को हम पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं और हम हमें इससे यह फायदा यह होता है। कि इससे पर्यावरण दूषित नहीं होता है।

बेंगलुरु (Banglore) के मल्लेश्वरम (Malleshwaram) में एक ऐसी दुकान है। जो जूस को फ्रूट सेल में दिया जाता है। यह दुकान ईट राजा के नाम से काफी मशहूर है। इन्होंने प्लास्टिक के कप या गिलास को उपयोग ना करके ग्राहकों को जूस को फ्रूट सेल में दिया करते हैं। इनकी यह दुकान पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। इनकी दुकान पर प्लास्टिक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाता है और यह अपने वेस्ट मटेरियल का भी पूरा इस्तेमाल करते हैं।

मदुरई (Madurai) के बेस्ट मासी स्ट्रीट में स्थित RS Pathy Nilgiri नाम से एक चाय की दुकान है। इस दुकान के मालिक Vivek Sabapathy हैं। यह एक ऐसी दुकान है जिसमें चाय पीने के बाद आप उस कप को खा भी सकते हैं। इस दुकान में एक कप चाय की कीमत ₹20 की है। यह चाय के कप चॉकलेट फ्लेवर के बनाई हुई होती है। और इस कप को आप सिर्फ 10 मिनट के लिए ही पकड़ सकते हैं। यह बिल्कुल जीरो वेस्ट इको फ्रेंडली इनोवेटिव आइडिया से बनाया गया है। इस दुकान के मालिक बताते हैं कि मेरे दुकान में प्रतिदिन लगभग 500 कप चाय की बिक्री हो जाती है। विवेक ने साल 2019 में प्लास्टिक का उपयोग ना करने के बारे में सोच लिए थे इसके बाद इन्होंने सबसे पहले कुल्हड़ में तंदूरी चाय बेचनी शुरू कर दी जो लोगों को काफी पसंद आने लगा।

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साल 2020 में Edco india कंपनी ने एक नए प्रोडक्ट को लांच किया या प्रोडक्ट बिस्कुट का कप था। जब विवेक को इस बिस्कुट के कप के बारे में पता चला तो उन्होंने इसको मंगवा कर ग्राहक को इसी बिस्कुट के कप में चाय देना शुरू कर दिया। और यह देख कर लोग इनके दुकान की ओर आकर्षित होने लगे। हम इन सब तरीकों को इस्तेमाल करके प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को रोक सकते हैं और हम अपनी जिंदगी और पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं।