30 सालों से सड़क पर रह रहे मानसिक रोगियों की मदद के लिए हाजिर रहने वाले संजय शर्मा:600 से अधिक मानसिक रोगियों को किया ठीक. मानसिक रोग के शिकार डॉक्टर को फिर से किया प्रैक्टिस के लायक. (Dr. Sanjay sharma: A Warrior who is working for mentally challenged people)
आज मिलते हैं छतरपुर (मध्य प्रदेश) के डॉ. संजय शर्मा से. जानते हैं उनकी अनोखी सेवा के विषय में. ये इंसान पिछले 30 सालों से उन लोगों के लिए काम कर रहे हैं, जो खुद के बारे में भी सोचने की ताकत खो चुके थे.
दूसरों की सेवा में लगे डॉ संजय शर्मा
मध्य प्रदेश के संजय शर्मा को देखकर महात्मा गांधी का ये कथन चरितार्थ हो जाता है-
The Best Way to Find Yourself Is To Lose Yourself In The Service Of Others’ -Mahatma Gandhi.
पेशे से एक वकील संजय शर्मा का जीवन पथ बिलकुल अलग है. कितनी अजीब लेकिन सुखद है ये बात कि पिछले 30 वर्षो से एक अकेला व्यक्ति मध्य प्रदेश के छत्तरपुर की सड़कों पर आवारा और बेसहारा घूम रहे मानसिक रोगियों की सेवा कर रहा है. किसी को छतरपुर की सड़कों पर कोई मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति दिखता है तो फोन न किसी Ngo को जाता है न किसी अस्पताल को और न डॉक्टर को बल्कि फोन संजय शर्मा को जाता है।
नानी से मिली सीख है प्रेरणा
संजय के जीवन में इस कार्य के लिए प्रेरणा की वजह उनकी नानी बनी. इस वाकया के बारे में बात करते हुए संजय जी अपने बचपन को याद करते हुए कहते हैं कि “जब भी कोई किसी को पागल कहकर मारता या किसी भिखारी को मारता तो ऐसे लोगो की इस क्रूर हरकतों पर नानी गुस्से से आगबबूला हो जाती. ये हरकत उनके लिए बर्दास्त के बाहर होता था. ऐसे मानसिक रूप से कमजोर या लाचार लोगों को देखकर नानी कहा करती थी ये लोग पागल नही है बल्कि मुसीबत में होते हैं. उन्हें थोड़ा प्यार और केयर की जरूरत होती है.उस दिन को जब संजय जी ने अपनी नानी से ही सीखा कि इनलोगों से कैसे बात करनी चाहिए. उनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए.उनकी तकलीफों को दूर करने के लिए उनसे बात करना और उनकी बातों को सुनना बहुत जरूरी होता है.
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मेंटल हेल्थ केयर एक्ट
55 वर्षीय संजय जी पेशे से वकील हैं. इसलिए अपने इस मकसद में वह कानूनी प्रक्रिया का भी सहारा लेते हैं. कानून का सहारा लेकर वो जरूरतमंदों को उनका हक दिलाते हैं. वह कहते हैं, “हमारे देश में साल 2017 में मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत, ऐसे बेसहारा लोगों को कई अधिकार दिए गए हैं. सबसे बड़ी बात कि इस एक्ट के अंतर्गत, मानसिक रूप से कमजोर इंसान को इलाज और बीमा जैसे अधिकार मिले हैं साथ ही साथ उन्हें पागल जैसे शब्दों से बुलाना भी जुर्म कहलाता है. इन सभी नियमों और कानूनों को लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है. लेकिन कोई मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण इंसान खुद कैसे अपने अधिकार के लिए लड़ेगा, इस काम में संजय जी उनकी मदद करते हैं.
मदद करने का तरीका
संजय जी को कहीं से जब कोई सूचना प्राप्त होती है कि कोई बेबस हालत में सड़कों पर घूम रहा है या कोई ऐसा है, जो बेसहारा है और लोग उसे पागल करार कर रहे हैं. ये जानने के बाद वह तुरंत वहां पहुंचते हैं. सबसे पहले उसे आधारभूत चीजों की मदद सुनिश्चित करते हैं. जैसे सर्वप्रथम उसे खाना और कपड़ा देते हैं. उसके बाद अपनी पूरी कोशिश लगा कर वो उस व्यक्ति को समझाने की कोशिश करते हैं. अगर किसी को इलाज की सख्त जरूरत है तो उसे अस्पताल पहुंचाते हैं. अगर किसी को घर जाने का मन है तो उसे घर पहुंचाने की व्यवस्था करते हैं. इसके लिए वो सबसे पहले उसके घरवालों से बात करते हैं,घरवालों को समझाते हैं और उन्हें इस बात के लिए आश्वस्त करते हैं. संजय को याद भी नहीं है कि उन्होंने इस काम की शुरुआत कब की, लेकिन आज उनका यह काम ही उनकी पहचान बन गया है. वह अब तक 600 से भी ज्यादा लोगों की मदद कर चुके हैं.
संजय जी द्वारा ठीक हुए मरीज
लगभग 10 साल पहले की बात है जब छतरपुर के ही एक गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. पाठक को मानसिक रोगी कहकर नौकरी से निकाल दिया गया था. और तो और उनकी मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनपर कुछ केस भी चलाए गए थे. ये सब स्थिति देखकर उनकी पत्नी भी उन्हें छोड़कर चली गईं. इस घटना के बाद से डॉ पाठक पागलों की तरह शहर में घूमते थे. संजय जी को जब यह खबर मिली, तब उन्होंने उनका इलाज कराया और उनके केस भी लड़े. इसके बाद डॉ. पाठक ठीक हो गए और आगे चलकर उन्होंने फिर से मेडिकल प्रैक्टिस भी शुरू की. पाठक को फिर से अपना काम करते देख और उनके पास मरीजों को आता देखकर, संजय के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है.
उसी शहर का एक नौजवान था जिसे नशे की लत लग गई. उसे नशे के साथ साथ चोरी की भी लत लगी. लेकिन अजीब बात ये है कि वो खुद चोरी करता और खुद उसे कुबूल भी कर लेता था. ये सारी चीज़ें लोगों को बहुत नागवार गुजरती और लोग उसे बहुत मारते-पीटते थे. संजय जी ने उस नौजवान का नशा करवाना छुड़वाया और आज की तारीख़ में वह एक कारपेंटर बन गया है.
संजय जी द्वारा किए जा रहे ऐसी कई कहानियां हैं जो अपनी सफलता की कहानी कहती हैं. उनके प्रयासों ने न जाने कितने लोगों की जिंदगी को परिवर्तित किया है. संजय जी आज अपने शहर में ‘मानसिक रोगी के सेवक’ के नाम से मशहूर हैं. उन्हें उनके इस निस्वार्थ सेवा के लिए 50 से ज्यादा अव\र्ड्स और सम्मानपत्रों से नवाजा गया है, जिसमें स्थानीय प्रसाशन से लेकर राज्य सरकार से मिले पुरस्कार और सम्मान शामिल हैं.
The Logically उनके इस कार्य से अभिभूत है और महात्मा गांधी के इस कथन को समर्पित करता है.
काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है.
हम काम और कर्तव्य पूरा न करने का कोई न कोई बहाना ढूंढते हैं. ये हमारी अपनी कमजोरी को बयां करती है.जब संजय जी सब कुछ करते हुए न जाने कितने लोगों के काम आते हैं तो हम कम से कम अपनों के लिए तो वक्त निकाल ही सकते हैं.
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