अगर कोई व्यक्ति किसी भी कार्य को अपनी मेहनत के साथ करेगा, तो वह अवश्य सफल होगा। अपनी मेहनत से सफलता हासिल करने वालों में से एक शख़्स 42 वर्षीय काकासाहेब सावंत (Kakasaheb Sawant) हैं। उन्होंने ऑटोमोबाइल का कार्य छोड़कर स्वयं का व्यापार शुरू करने का निश्चय किया और आज अपनी नर्सरी द्वारा 50 लाख रुपए प्रत्येक वर्ष कमा रहे हैं। उनके दो भाई प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं। वे सूखाग्रस्त इलाके में रहते हैं।
काली मिट्टी वाला इलाका
जानकारी के अनुसार उनके गांव में लगभग 280 परिवार है। यहां काली मिट्टी पाई जाती है जो बहुत ही उपजाऊ मानी जाती है। काली मिट्टी उन्हें प्रकृति के तरफ से भेंट स्वरूप मिली है। यहां गेहूं, दाल, मक्का, अनार, अंगूर एवं बाजरे की खेती की जाती है। – job of nursery
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शुरू किया बगान निर्माण का कार्य
अपनी ऑटोमोबाइल की जॉब को छोड़ जब वह अपने गांव आए, तो उन्होंने निश्चय किया कि वह अपने गांव को हरा-भरा करेंगे। वर्ष 2010 में उन्होंने आम के बगीचे लगाएं। लगभग 5 वर्ष के पश्चात वहां नर्सरी भी प्रारंभ हो चुका है। अपनी बगान में लगे पौधों की सिंचाई के लिए उन्होंने सरकार से मिली सब्सिडी से तालाब का निर्माण करवाया। पहले वह सिंचाई के लिए कृष्णा नदी की मदद लिया करते थे। – job of nursery
10 एकड़ जमीन में फैली है नर्सरी
काकासाहेब सावंत (Kakasaheb Sawant) अपने परिवार के साथ बनली में रहते है और उनके परिवार में 15 सदस्य है। काकासाहेब सामंत ने जानकारी दी कि उन्होंने लगभग 10 एकड़ जमीन में केसर के पौधों को उगाया है। वही अन्य जमीन में अनार, कस्टर्ड एप्पल, इमली, चीकू, अमरुद एवं आम के पौधे भी उनके बगानों में मौजूद है। उनकी नर्सरी लगभग 10 एकड़ जमीन में फैली हुई है। – job of nursery
मिल चुके हैं अनेक सम्मान
काकासाहेब सावंत (Kakasaheb Sawant) के बगान से प्रत्येक वर्ष प्रति एकड़ जमीन में लगभग 2 टन आम का उत्पादन होता है। जिस क्षेत्र में किसानों को सिंचाई को लेकर बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, वही सावंत सभी किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। अब वह पूरी तरह कृषि उद्यमी बन चुके हैं और किसानों को रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने अब तक 25 व्यक्तियों को अपने नर्सरी एवं खेतों में रोजगार दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने काकासाहेब को “उद्यन पंडित” पुरस्कार से सम्मानित किया है। – job of nursery by Kakasaheb Sawant