आज हर किसान परंपरागत कृषि के लाभ-हानि से भलि-भांति परिचित हैं। कई किसान आज किसानी से दूर हो रहे हैं क्यूंकि एक तरफ परंपरागत कृषि से उन्हें कुछ नहीं मिलता और दूसरी तरफ अन्य व्यवसायिक फसलों के लिए उनके पास तकनीक, उचित जलवायु और माध्यम नहीं है। ऐसे में आज हम आपकों ऐसे ही एक युवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने “स्वॉयललेस कल्टीवेशन” अर्थात बिना मिट्टी का उपयोग किये पौधों को उगा कर उत्पादन कर रहा है और लाखों की आमदनी भी कमा रहा है। यही नहीं उस युवा किसान के द्वारा उगाये गये उत्पाद को विदेशों में काफी मांग है। आइए जानतें है कि अजय नाइक नाम के उस युवक ने किस तरह अपनी कृषि को बेहतर आयाम दिया है।
वर्तमान में परंपरागत तरीके से कृषि करने पर जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नहीं मिल रहा है। किसानों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, कभी मौसम की मार, कभी कम उपज तो कभी सही मूल्य ना मिलना। इन सब समस्याओं से जूझते हुए अब कई किसान खेती छोड़ कर नये क्षेत्र में रोजगार की तलाश कर रहें हैं।
एक तरफ जहां किसान कृषि से तौबा कर रहे तो वहीं दूसरी तरफ ऐसे कई फल और सब्जियां जिसका आयात विदेशों से हमारे भारत देश में किया जाता है और विदेशों से होनेवाले आयतों को हमारे देश में ग्राहक अच्छे-खासे दामों में खरीदते हैं। ये सब्जियां सभी जगह नहीं उगाई जा सकती है। इसे उगाने के लिए एक विशेष प्रकार के जलवायु और वातावरण की जरुरत होती है। लेकिन कृषि क्षेत्र में नये-नये तकनीक का चलन हो गया है। आधुनिक तकनीक के माध्यम से नई पीढ़ी के युवा किसान विदेशी फल और सब्जियों को अपने देश में ही उगा रहें है और अच्छी-खासी कमाई भी कर रहें है।
अजय नाइक (Ajay Naik) मूल रूप से कर्नाटक (Karnataka) के रहने वाले है। अजय ने सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग की शिक्षा ली है। इंजीनियरिंग की पढाई खत्म होने के बाद वे गोवा में एक कंपनी में नौकरी करने लगे लेकिन अजय कुछ खुद का करना चाहते थे। इसलिए कुछ समय काम करने के बाद अजय ने सॉफ़्टवेयर कंपनी की नौकरी को छोड़ दिया। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने मोबाइल एप्लीकेशन बनाने वाली खुद की कंपनी स्थापित किया। अजय को इस कम्पनी से लाखों की कमाई होने लगी।
एक बार अजय को “स्वॉयललेस कल्टीवेशन” के बारें में जानकारी मिली। वैज्ञानिक तौर पर इसे “हाइड्रॉपोनिक्स (Hydroponics)” तथा सामान्य भाषा में इसे “जलकृषि” कहा जाता है। इस विधि से खेती करने के लिए मिट्टी का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस विधि में पानी, लकड़ी का बुरादा, बालू तथा कंकड़ो को मिलाया जाता है। इस तकनीक में पौधों को आवश्यक पोषक तत्व उप्लब्ध करवाने के लिये एक विशेष प्रकार के घोल को डाला जाता है। यह घोल जरुरी खनिज और पोषक तत्व का मिश्रण होता है। इस घोल को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, जिंक तथा आयरन आदि तत्वों को एक खास अनुपात में मिलाकर तैयार किया जाता है, जिससे पौधें को आवश्यक खनिज पदार्थों की पूर्ति होते रहे। हाइड्रॉपोनिक्स तकनीक से उगाये जाने वाले पौधों में इस घोल को महीने में एक या दो बार कुछ बूंदें डाली जाती है।
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अजय (Ajay) इस विधि को जानकर खेती की तरफ बहुत आकर्षित हुए। वे इस बात से अवगत हुए कि हाईड्रॉपोनिक्स विधि से खेती करने पर विदेशी फल और सब्जियों को भी उगाया जा सकता है। जिससे विदेशों से आयत की जरुरत नहीं होगी और ग्राहकों को भी कम मूल्य में ताजे फल और सब्जियां पहुंचाया जा सकता है। अजय इस काम के लिए पूरी तरह अपना मन बना चुके थे। इस काम को करने के लिए अजय ने अपनी ऐप कम्पनी को जर्मनी (Germany) के फर्म को बेच दिया। ऐप कंपनी को बेचने के बाद मिले पैसों से अजय ने खुद का “हाईड्रॉपोनिक्स” फर्म खोलने का निश्चय किया।
साल 2016 में अजय नाइक ने अपने 6 मित्रों के साथ मिलकर गोवा (Goa) के करासवाडा (Karaswada) में अपना फर्म स्थापित किया। अजय ने इस तकनीक को बहुत ही बारीकी से समझा और अपने फर्म में विदेशी फल-सब्जियों को उगाना शुरु किया। विदेशी सलादो में प्रयोग होने वाले पत्ते जैसे, लेट्स, सेलरी आदि को उगाया। अजय नाइक को इससे काफी फायदा हुआ। अपनी सफलता को देख कर उन्होंने इस काम को विस्तार देने के बारें में विचार किया तथा इसके साथ ही भिन्न-भिन्न प्रकार के विदेशी फलों के उत्पादन करने की भी योजना बनाई। इसके लिए अजय ने एक दूसरी स्टार्टअप की शुरुआत की। उन्होंने बेंगलुरु (Bengaluru) में एक फर्म स्थापित किया।
वर्तमान में अजय अपने फर्म में लेट्स, स्पिनच, सेलरी आदि के साथ-साथ शिमला मिर्च, स्ट्राबेरी का उत्पादन भी कर रहें है। अजय द्वारा उगाई गई फलों और सब्जियों की गुणवत्ता अधिक होने के कारण बाजार में उसकी बिक्री खूब होती है और मुनाफा भी अधिक होता है।
The Logically अजय नाइक को अपने देश में ही विदेशी फल और सब्जियों के उत्पादन करने के लिये नमन करता है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि यदि सूझ-बूझ और नए तकनीक को अपनाकर खेती किया जाये तो सफलता निश्चित हीं मिल सकती है।