Home Farming

राजस्थान के अजय एलोवेरा से शैम्पू से लेकर मिठाई जैसे 47 तरह के प्रोडक्ट बनाते हैं, इस खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं

एक बड़ा व्यवसाय करने के लिए बड़ी डिग्री की ज़रूरत नही हैं। ज़रूरत है तो सिर्फ एक आईडिया और कड़ी मेहनत की। कुछ ऐसा ही आईडिया और अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत राजस्थान के रहने वाले अजय स्वामी(Ajay swami) आज लाखो कमाते हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के परलीका गांव के रहने वाले अजय स्वामी कभी चाय की दुकान पर चाय बेचते थे और आज एलोवेरा की खेती कर लाखो कमाते हैं। अजय बताते हैं कि बचपन मे ही पिता का साया सर से उठ गया। आठवी तक की भी पढ़ाई बहुत मुश्किल से ननिहाल में रहकर की। उसके बाद अपना और अपने परिवार के गुज़ारे के लिए के चाय की दुकान पर 10 रुपये की नौकरी की। 1 साल नौकरी करने के बाद इन्होंने अपनी खुद की चाय की दुकान खोल ली और इससे अपने परिवार का पेट पालने लगे।पर अजय इससे खुश नही थे वह हमेशा सोचते रहते थे कुछ और करने का।

products of aloe vera

एक दिन अखबार में एलोवेरा की खेती के बारे में पढ़ा उस समय एलोवेरा के उत्पाद की बाज़ार में मांग थी। तब अजय ने भी एलोवेरा की खेती करने की सोची। 2 बीघा जमीन थी इनके पास पर परेशानी थी कि खेती के लिए एलोवेरा का पौधा कहा से लाए। इंक एक मित्र ने बताया कि चुरू के गांव के एक कब्रिस्तान में एलोवेरा के ढेर सारे पौधे हैं। यह पूरे कब्रिस्तान में फैल गए हैं इसलिए गांव वाले इसे हटाना चाहते हैं। फिर क्या अजय अपने कुछ दोस्तों के साथ ट्रैक्टर और ट्रॉली लेकर पहुँच गए उस जगह । वहाँ से बारमंडिसिस प्रजाति के एलोवेरा के पौधे लेकर आए।

अपने 2 बीघा जमीन पड़ अजय ने बारमंडिसिस प्रजाति के एलोवेरा के पौधे लगाए। अजय ने एक से डेढ़ साल तक अपनी चाय की दुकान और एलोवेरा की खेती एक साथ संभाली । पहली फसल एक साल के भीतर ही तैयार हो गई पर कोई स्थानीय ख़रीदार ना होने के कारण अजय दो साल तक अपनी फसल नही बेच पाए। इन्होंने एलोवेरा के उत्पादों के बारे में पढ़ रखा था तो इन्होंने भी एलोवेरा के उत्पाद बनाने की सोची। इसके लिए वह मिक्सर खरीद लाए और सबसे पहले एलोवेरा का जूस निकाल कर पानी के बोतल में बेचना शुर किया । उनका यह प्रोसेसिंग का काम चल निकला। उनके इस उत्पाद को एक-दो कंपनियां खरीदने लगी। तब उन्होंने अपनी चाय की दुकान बंद कर पूरा ध्यान खेती और प्रोसेसिंग पर लगाने की सोची।

कृषि विज्ञान केंद्र जा कर साबुन और अन्य उत्पाद बनाने की जानकारी ली

अजय स्वामी ने कृषि विज्ञान केंद्र जाकर एलोवेरा से साबुन ,क्रीम और अन्य उत्पाद बनाने की जानकारी प्राप्त की। इन सब के लिए उन्होंने और ज़मीन खरीदकर उसपर प्रोसेसिंग यूनिट लगाई। दो बीघे ज़मीन से शुरुआत करने वाले अजय आज 27 बीघा ज़मीन पर खेती करते हैं और आज उनके प्रोसेसिंग यूनिट से 45 से ज़्यादा उत्पाद बन रहे हैं।

यह भी पढ़े :- जैसलमेर के हरीश ने सरकारी नौकरी छोड़कर शुरू किया एलोवेरा की खेती, फसल बेचकर लखपति बन चुके हैं

लॉकडाउन में एलोवेरा के लड्डू बनाये

एलीवेरा एक औषधीय पौधा है और प्राचीन समय मे इसके लड्डू, नमकीन और अन्य उत्पाद बनाये जाते थे । यही से अजय को एलोवेरा के लड्डू बनाने का विचार आया। अजय स्वामी बताते हैं कि लॉकडाउन में उन्हें एलोवेरा के और नए-नए उत्पाद बनाने का विचार आया। इनमे से सबसे अलग थे एलोवेरा के लड्डू। आज अजय एलोवेरा के दो तरह के लड्डू बनाते हैं। यह सबसे ज्याद बिकने वाला एलोवेरा उत्पाद हैं और इसकी कीमत 350 रुपये प्रति किलो हैं।

एलोवेरा की खेती के फायदे और खेती करने के सुझाव

अजय एलोवेरा की खेती 12 साल से कर रहे हैं और अपने अनुभव से वह बताते हैं कि एलोवेरा के खेती में लागत कम हैं पर मेहनत ज़्यादा करनी पड़ती हैं। इसमे बहुत ज़्यादा पानी की ज़रूरत नही पड़ती पर ज़्यादा ठंड पड़ने पर इसकी देखभाल ज़्यादा करनी पड़ती हैं। एलोवेरा को बरसात के मौसम के शुरू होने से पहले लगाए। एक बीघा जमीन पड़ 800 पौधे लगाए जा सकते हैं। इसकी पहली फसल एक साल के भीतर तैयार हो जाती हैं और कभी -कभी तो तीन से छह महीने के भीतर ही फसल तैयार हो जाती हैं। अजय किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए सुझाव देते हैं कि किसान अपने खेत मे पारंपरिक फसल के साथ कुछ एलोवेरा के पौधे भी लगा सकते है। इसके साथ ही कम खर्च के कारण वह इसके उत्पाद भी बना सकते हैं!

आज आज नेचुरल हेल्थ केअर (Natural health care)के नाम से अपने प्रोडक्ट्स बेचते हैं। कहा शुरआत में दो साल तक फसल ही नही बिकी और आज इनके प्रोडक्ट्स 20 कंपनियो में बिकते हैं।

अजय स्वामी का वीडियो यहां देखें

अगर आप एलोवेरा की खेती के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आप इस नम्बर पर अजय स्वामी से सम्पर्क कर सकते हैं- 9672682565

मृणालिनी बिहार के छपरा की रहने वाली हैं। अपने पढाई के साथ-साथ मृणालिनी समाजिक मुद्दों से सरोकार रखती हैं और उनके बारे में अनेकों माध्यम से अपने विचार रखने की कोशिश करती हैं। अपने लेखनी के माध्यम से यह युवा लेखिका, समाजिक परिवेश में सकारात्मक भाव लाने की कोशिश करती हैं।

Exit mobile version