आज हमारा देश बहुत तरक्की कर चुका है लेकिन फिर भी समाज में लोग किन्नरों को अलग नजर से देखते हैं उन्हें कोई तवज्जों नहीं देता। लेकिन हमारे देश में किन्नर हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर रहें हैं साथ ही वे समाज की भलाई के लिए कार्य रहे हैं। वे हर सम्भव इस प्रयास में लगे हुए हैं कि लोगों की मदद कर सकें।
आज के इस लेख द्वारा हम आपको ऐसे किन्नर से मिलाएंगे जिन्हें लोगों ने बहुत अपमानित किया फिर भी वह अपने लक्ष्य पर अडिग रहीं। आज वह झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को शिक्षा दे रही हैं और उन्हें नौकरी भी मिल चुकी है।
आलिया मिलिंद पवार (Alia Milind Pawar)
वह हैं आलिया मिलिंद पवार (Alia Milind Pawar) जो मुम्बई के वसई की निवासी हैं। आलिया ने साइंस से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। वह समाज सेवा के कार्यों में लगी हुई हैं। वह अपने एरिया के झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का कार्य कर रही हैं। वह इस मुहिम को बीते कुछ वर्षों से चला रही है। वह बताती हैं कि जिस तरह मुझे शिक्षा हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह कठिनाई यहां के अन्य बच्चे को ना हो इसीलिए मैं इस मुहिम को चला रही हूं। मैंने अपने इसी सोच द्वारा शिक्षा के इस मुहिम का शुरूआत किया है।
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Alia Milind Pawar depends on begging and blessing people for her own subsistence but ensures free tuition to 30 kids in her Vasai slum https://t.co/0uWuKzU8Xh
— LGBTQ India News (@LgbtqIndia) July 29, 2022
किन्नर है इसलिए नहीं मिल रहा था जॉब
इतनी अच्छी शिक्षा हासिल करने के उपरांत भी आलिया को कहीं जॉब नहीं मिला ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह एक किन्नर हैं। तब उन्होंने यह तय किया कि अब वह झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को शिक्षित करेंगी और यह कार्य कोविड-19 के दौरान प्रारंभ हुआ। शुरुआती दौर में तो उनके पास मात्र दो ही बच्चे थे परंतु आज उनके पास 30 बच्चों को शिक्षा दिया जा रहा है।
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बनाई अलग पहचान
अपने इस समाज सेवा के कारण उन्होंने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई। स्थानीय तहसीलदार ऑफिस ने उन्हें उनके बेहतर कार्य एवं प्रयासों के लिए सम्मानित किया और कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब दी। वह तहसीलदार उज्जवला भगत है जिनकी बदौलत आज वह जॉब कर रही हैं। आलिया अपने इस जॉब से काफी खुश है और वह नौकरी के साथ-साथ बच्चों को पढ़ाने का भी काम कर रही हैं।