खेती-किसानी में सिंचाई (irrigation) का बड़ा महत्व है। भारत की कृषि भले मॉनसूनी बारिश पर आधारित है, लेकिन इसका फायदा हर महीने नहीं मिलता। बारिश के महीने में ही बरसाती पानी से फसल की सिंचाई हो सकती है। बाकी के समय के लिए किसानों को वैकल्पिक माध्यमों पर निर्भर होना पड़ता है। नहर से सिंचाई, ट्यूबवेल से सिंचाई, ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिंचाई, ये सभी माध्यम हैं जिनकी मदद किसान लेते हैं। (Padmashri Amai Mahalinga Naik)
भारत के कई जगहों पर आज भी सिंचाई के साधन बड़े ही मुश्किल से उपलब्ध हो पाते हैं। आज हम आपको कर्नाटक के रहने वाले 77 साल के अमाई महालिंगा नायक के बारे में बताएंगे जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में सिंचाई के लिए असाधारण योगदान देकर अंसभव कार्य को संभव कर दिखाया है। एक मजदूर के रूप में कार्य करने वाले अमाई महालिंगा नायक जी लोग पागल तक कह देते थे। लेकिन आज उन्हें कैनालमैन के नाम से देश और दुनिया के लोग जानते हैं। उन्होंने पहाड़ी इलाके में 1 या 2 नहीं बल्कि 7 सुरंगे अकेले खोद कर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने का उत्तम कार्य किया है। आइये जानते हैं उनके इस नेक कार्य के बारे में। (story of a Tunnel Man)
मजदूरी का कार्य किया (Padmashri Amai Mahalinga Naik)
अमाई महालिंगा नायक कर्नाटक के रहने वाले हैं। वह कभी मजदूरी किया करते थे। एक आदमी ने उनकी मेहनत से खुश होकर बंजर जमीन का 2 एकड़ का टुकड़ा आमी को इनाम के तौर पर दे दिया था। यह बंजर जमीन पहाड़ी इलाके में थी और यहां बिना सिंचाई के फसल उगाना नामुमकिन था। ऊंची पहाड़ी पर बंजर जमीन में सिंचाई पर बड़े खर्च के लिए न तो महालिंगा के पास पैसा था और न ही किसी तकनीक का ज्ञान, लेकिन इस मुश्किल काम के लिए उन्होंने कैनाल बनाने का फैसला किया। लेकिन अधिक सुरंग की खुदाई के लिए अधिक मैनपॉवर की जरूरत थी। लेकिन महालिंगा ने अपनाा साहस नहीं खोया और सुरंग खोदना शुरू कर दिया।
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सुरंग को खोद डाला (Padmashri Amai Mahalinga Naik)
महालिंगा का मानना था कि जब सिंचाई के लिए आधुनिक यंत्र नहीं थे, तब भी सिंचाई की जाती थी। पारंपरिक ढंग से और इसी भरोसे के सहारे उन्होंने अपने कदम आगे बढ़ाया। लेकिन इस राह में बड़ी मुश्किल थी। अमाई महालिंगा ने पहाड़ के पठारीय जमीन पर अपने खेत के लिए सुरंग खोदना शुरू किया। बहुत ही मेहनत, जुनून और लगन के साथ एक के बाद एक करके चार साल में पांच सुरंगे खोद डाली लेकिन खेत तक पानी लाने का सपना दूर ही नजर आया। सुरंगों की गिनती एक, दो, तीन, चार, पांच, छह हो गई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
कभी हार नही मानी (Padmashri Amai Mahalinga Naik)
खुदाई करने के दौरान अमाई महालिंगा को लोगों ने पागल और सनकी तक कहते थे। लेकिन अमाई महालिंगा ने किसी की परवाह नहीं की। वह देर तक सुरंग की खुदाई में जुटे रहते। वो खुदाई करने में इतने गुम हो जाते कि उन्हें दिन से रात होने का पता ही नहीं चलता था। जब उन्होंने 7 वीं सुरंग को खोदी तो यह आशा की किरण बनकर दिखने लगी। जमीन में पानी की नमी के एहसास आशा की बदली बनकर बरस पड़ी। महालिंगा ने अपने खेत में सुरंगों के जरिए पानी पहुंचाने में कामयाबी पाई, खेत में फसलें उगाईं। उनकी शोहरत और कामयाबी की कहानी, गांव शहर, क्षेत्र, कर्नाटक और देश से आगे निकलकर विदेशों तक पहुंच गई।
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‘कैनालमैन’ के नाम से प्रचलित (Padmashri Amai Mahalinga Naik)
अमाई महालिंगा नायक ने पहाड़ी के पठारीय जमीन पर अपने खेत के लिए सुरंग खोद कर नई मिसाल कायम की है। उन्होंने अपने खेत में सुरंगों के जरिए पानी पहुंचाने में कामयाबी पाई, खेत में फसलें उगाईं। उनकी शोहरत और कामयाबी की कहानी, गांव शहर, क्षेत्र, कर्नाटक और देश से आगे निकलकर विदेशों तक पहुंच गई। बिना पढ़े- लिखे महालिंगा के इस काम को देखने के लिए कई देशों के लोग उनके खेत तक पहुंचे। यही कारण है कि लोग उन्हें कैनालमैन के नाम से बुलाते हैं।
सरकार ने किया सम्मानित (Padmashri Amai Mahalinga Naik)
अमाई महालिंगा नायक के उत्तम कार्य की तारीफ हर तरफ हो रही है। उनके अतुलनीय कार्यों के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है। उन्होंने नामुमकिन को भी मुमकिन बनाने का जो कार्य किया है उससे लोगों को सीखने की आवश्यकता है। अमाई महालिंगा नायक ने यह साबित कर दिया है कि अगर हौसलें बुलंद हों तो कठिन से कठिन काम को भी आसान बनाया जा सकता है। आज वह लोगों के लिए प्रेरणा हैं।
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