Wednesday, December 13, 2023

MA की पढ़ाई के बाद पिछले 11 साल से खेती कर रही हैं, बीमार पिता के लिए बन चुकी हैं सहारा: लेडी किसान

अभी भी ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जो बेटियों के जन्म लेने पर अपने घर में दुःख का माहौल बना लेते हैं जैसे कि बेटा उनके लिए खजाने लेकर आता है और बेटियां खाली हाथ। बेटियों को अक्सर बोझ इसलिए माना जाता है क्योंकि उनकी शादी के दौरान दहेज के साथ बहुत सारे खर्च का सामना किसी भी इंसान को उठाना होता है जिसमें उसे बहुत दिक्कत होती है। लेकिन हमारे देश की बेटियां किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है अगर उन्हें अपने माता-पिता को संभालने के साथ देश या घर को संभालना है तो वह बखूबी इस कार्य को कर सकती हैं। अपने माता-पिता का ख्याल ज्यादातर बेटियां रखती है साथ हीं वह हर अवस्था में अपने परिवार के साथ रहती हैं।

आज की यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने 18 साल की उम्र में हीं अपने परिवार का बोझ अपने सर पर ले लिया और जब उसके पिता बीमार हुए तो उसने खेती करने का निश्चय किया। इस खेती से इसने अपने भाई को भी पढ़ाया और परिवार की जिम्मेदारी उठाने के साथ-साथ अपनी भी शिक्षा संपन्न की। वह 4 या 5 वर्षों से नहीं बल्कि 11 वर्षो से खेती में लगी हैं। उनके पास बहुत से किसान सलाह लेने के लिए आते हैं। जिन्हें सब “लेडी किसान” भी कहतें हैं। तो आइए पढ़ते हैं इस बेटी के बारे में।

अमरजीत कौर

अमरजीत कौर (Amarjeet Kaur) हरियाणा (Hariyana) के अंबाला (Ambala) के गांव अधोई
(Adhoi) के निवासी हैं। किसान आंदोलन के तहत वह एक बार पुनः चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उन्होंने मात्र 18 साल की उम्र से खेती करना प्रारंभ किया। अब यह 29 साल की हो चुकी हैं। उनके पिता खेती करते थे जिससे उनका जीवन-यापन हुआ करता था लेकिन जब वह बीमार हुए तब अमरजीत ने खेती करने का निश्चय लिया और घर की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर उठाया।

उनकी मेहनत से भाई बना सरकारी ऑफिसर

उन्होंने अपनी मेहनत से अपने भाई को पढ़ाया-लिखाया और इस काबिल बनाया कि आज वह सरकारी नौकरी कर रहे हैं। वह घर की जिम्मेदारियों को संभालने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखी हैं और अब वह मास्टर की उपाधि प्राप्त कर चुकी हैं। वह सभी महिलाओं और किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। अधिकतर किसान उनके पास यह सलाह लेने आते हैं कि वह किस तरह खेती करें और खेती में कौन सी फसल के साथ कौन-सा उर्वरक का उपयोग करें।

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सुबह उठकर करती थीं खेतों और पशुओं का कार्य

वह साल 2007 का था जब उनके पिता बीमार हुए और वह बिस्तर पर पड़ गए। इस दौरान उन्हें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह कभी हार नहीं मानी बल्कि अपनी कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए उन्होंने अपने परिवार को संभाला। वह अपनी खेती को भी संभालती और पशुओं को भी। वह सुबह 5:00 बजे उठतीं ताकि पशुओं का देखभाल कर खेती के कार्य में लगे। यह फसल की बुवाई भी करती और खुद उन्हें काटती भी। यहां तक कि यह खेतों की जुताई भी खुद ट्रैक्टर के माध्यम से करतीं। यह फसल को खुद काट उन्हें बेंचने के लिए मंडी में लेकर जाया करतीं। सभी लोग उन्हें लेडी किसान कहते हैं।

मिलने आए यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के डेलिगेशन

अमरदीप किस तरह खेती करती हैं उसे देखने के लिए यूनाइटेड स्टेट अमेरिका के डेलिगेशन आए। उन्होंने उनके कार्यों को देख कर उनकी खूब सराहना की। यहां तक कि उनके खेतों में किस तरह से बीज डाल उन्हें तैयार किये जाते हैं। वह सारी जानकारी प्राप्त की। अमरजीत ऑर्गेनिक तरीके से खेती करती हैं और यह आज सभी किसानों के लिए उदाहरण बनी हैं।

बहुत ही कम उम्र में खेती कर घर का कार्यभार संभालने के लिए The Logically अमरजीत की खूब सराहना करते हुए उन्हें सलाम करता है।