देश – विदेश में एयरलाइन सेक्टर (Airlines sector) तेज़ी से ग्रो हो रहा है। एक दौर था जब महंगी एयर टिकट के कारण कुछ लोग ही हवाई सफर का लुफ्त उठा पाते थे लेकिन अब समय के साथ मिडिल क्लास फैमिली भी हवाई जहाज में सफर कर रही है। बहरहाल अभी भी कई लोग हैं जिन्होंने कभी भी हवाई सफर नहीं किया होगा। इससे पहले आप अपना पहला हवाई सफर करें आइए इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें जान लेते हैं। Amazing facts related to Airlines
प्लेन में सो जाते हैं पायलट
क्या आपको पता है कि कई बार प्लेन उड़ाते समय पायलट झपकी ले लेते हैं। ऑटो पायलट मोड के जरिए ये मुमकिन है। Auto pilot mode पायलट के सो जाने के बाद प्लेन को कंट्रोल करने का काम करता है।
Interesting facts about Airplanes
हालांकि इस दौरान दूसरा पायलट जगा रहता है और प्लेन पर उसका पूरा कंट्रोल रहता है, इस तरह दोनों पायलट बारी-बारी से ऑटो पायलट मोड के जरिए कुछ देर की नींद ले लेते हैं। इस दौरान प्लेन काफी ऊंचाई पर होता है और एयर पॉकेट बनने की वजह से पायलट को नींद का एहसास होता है, इसलिए उनकी आँख लग जाती है।
पायलट और पैसेंजर्स का खाना अलग – अलग क्यों?
हवाई जहाज के उड़ान भरने के बाद पायटल को हल्का फुल्का और सेहतमंद भोजन परोसा जाता है, जिसे उनकी बॉडी आसानी से पचा सके।
फ्लाइट में सफर कर रहे यात्रियों को वेज और नॉनवेज समेत कई डिशज़ सर्व की जाती हैं, जो खाने में स्वादिष्ट होती हैं। (Food in Airlines)
प्लेन में कॉफी पड़ सकती है महंगी
अगर आप कॉफी पीने के शौकीन हैं और फ्लाइट में सफर करने दौरान भी कॉफी पीना पसंद करते हैं, तो यह आदत आपको बीमार कर सकती है। दरअसल प्लेन में इस्तेमाल होने वाले कॉफी कंटेनर को सिर्फ एक बार साफ किया जाता है, जिसके बाद वह पूरा दिन इस्तेमाल होता रहता है।
ऐसे में बार-बार एक ही कॉफी कंटेनर से तैयार हुई कॉफी को पीने से आपकी सेहत खराब हो सकती है। इस बात का खुलासा एक सर्वे में हुआ था, जब Airlines companies ने खुद माना था कि सप्लाई एजेंट्स साफ सफाई पर खास ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में एक बार साफ हुए कॉफी कंटेनर को कई बार इस्तेमाल करना पड़ता है, इसलिए बेहतर है कि आप फ्लाइट में कॉफी न पीएँ।
15 मिनट के लिए जान बचा सकते हैं ऑक्सीजन मास्क
उड़ान भरने से पहले यात्रियों को जरूरी सुरक्षा उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाती है, जिसमें से ऑक्सीजन मास्क एक है। फ्लाइट में हवा का दबाव कम होने या किसी प्रकार की एमरजेंसी के दौरान सीट के ऊपर Oxygen mask लटक जाते हैं।
इन मास्क को पहनने से यात्रियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती रहती है, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ नहीं होती है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि प्लेन में मौजूद ऑक्सीजन माक्स सिर्फ 15 मिनट तक काम करते हैं, इसके बाद यात्रियों को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है। ऐसे में अगर समय रहते स्थिति को संभाला न जाए, तो ऑक्सीजन की कमी से यात्रियों की मौत हो सकती है।
कई बार इस्तेमाल किए जाते हैं हेडफोन
प्लेन में मनोरंजन की सुविधा भी होती है। खासतौर से इंटरनेशनल फ्लाइट में लंबा सफर होने की वजह से यात्रियों को म्यूजिक सुनने और मूवी देखने की सुविधा होती है, जिसके लिए उन्हें हेडफोन दिए जाते हैं। यह हेडफोन अच्छी तरह से पैक होते हैं और उन्हें देखने पर ऐसा लगता है कि Airlines ने यात्रियों को नए हेडफोन यूज करने के लिए दिए हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है, बल्कि ज्यादातर हेडफोन्स कई बार इस्तेमाल हो चुके होते हैं। बस उन्हें दोबारा से पैक करके पैसेंजर्स को दे दिया जाता है, जिसे यूज करने से कान के इंफेक्शन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सावधान आप कैमरे के नज़र में हैं!
प्लेन में यूं तो कोई भी बाहरी कैमरा नहीं दिखाई देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वहाँ सच में कैमरा नहीं होता है। बल्कि फ्लाइट में निगरानी के लिए छिपे हुए कैमरा Secreat cameras लगे हुए होते हैं, जो इंसान को आसानी से नजर नहीं आते हैं लेकिन वह चुपचाप अपना काम कर रहे होते हैं। ऐसे में अगर कोई यात्री छेड़छाड़ भरी हरकत करता है, तो एयर होस्टेस उन कैमरों की मदद से सब कुछ देख लेती है और यात्रियों को इसके लिए चेतावनी भी देती है। Secreat camera in airplanes
प्लेन में किसी की मौत होती है तो ?
अगर प्लेन एक बार आसमान में उड़ान भर लेता है, तो वह एमरजेंसी सुविधाओं से भी काफी दूर हो जाता है। हालांकि फ्लाइट में किसी की तबीयत खराब होने की स्थिति में उसे प्राथमिक उपचार देने की सुविधा होती है, लेकिन अगर किसी की अचानक मौत हो जाए तो उस स्थिति में एयरलाइंस कुछ नहीं कर सकती है।
यहाँ तक की फ्लाइट में मृतक के शव को रखने के लिए कोई एक्स्ट्रा जगह भी मौजूद नहीं होती है, ऐसे में प्लेन की लैंडिंग तक शव को उसकी सीट पर ही रखा जाता है। वहीं ज्यादातर मामलों में शव को किसी कंबल से ढक कर एक कोने में लेटा दिया जाता है, क्योंकि प्लेन में जगह की अत्यधिक समस्या होती है।
सुरक्षा के लिए होती हैं धीमी लाइट्स
दुनिया भर की लगभग हर फ्लाइट में डीम यानी धीमी लाइट्स होती है, जो कम रोशनी के साथ यात्रियों को सफर करने का मजा देती है। लेकिन यह धीमी लाइट्स यात्रियों सुलाने या फिर उनकी आंखों को आराम पहुँचाने के लिए नहीं होती हैं, बल्कि इनका काम पावर सप्लाई से जुड़ा होता है।
कई बार लैंडिंग और टेक ऑफ के दौरान प्लेन को एक्स्ट्रा पावर की जरूरत पड़ती है, जिसकी वजह से फ्लाइट की तेज लाइट्स बंद हो जाती हैं। उन लाइट्स के बंद होने से प्लेन में बिल्कुल अँधेरा न हो जाए, इसलिए उसमें धीमी लाइट्स की सुविधा दी जाती है। यह धीमी लाइट्स यात्रियों को सुरक्षा देने के साथ-साथ कम उजाले में एडजस्ट होने में मदद करती हैं।