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हिंदी को बढ़ावा देने के लिए एक इंजीनियर ने बनाया ‘पंक्तियां’ ऐप: दीपक जौरवाल

आईआईटी और मेडिकल संस्थान में अमूमन अंग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। इसका कारण है, अलग-अलग क्षेत्रों से विद्यार्थियों का होना लेकिन एक आवश्यक बात जो हमें याद रखनी चाहिए कि अंग्रेज़ी आम जनमानस की भाषा नहीं है। इस वजह से हिंदी पट्टी से आने वाले विद्यार्थियों पर नकारात्मक असर पड़ता है। वे लोगों के बीच या स्टेज पर आसानी से अपनी बात नहीं कह पाते। ऐसे हीं समस्या का सामना कर एक इंजीनियर ने अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर हिंदी के प्रसार के लिए ‘हिंदी पंक्तियां’ नाम से पेज, उसके बाद ‘पंक्तियां’ नामक ऐप बनाया।

An engineer made 'Panktiyan' app to explore Hindi to mass

हिंदी पंक्तियां के संस्थापक दीपक जौरवाल

जी हम बात कर रहें हैं, हिंदी पंक्तियां के संस्थापक दीपक जौरवाल (Deepak Jourwal) जी की। दीपक करौली के रहने वाले हैं जो कि एक इंजीनियर हैं। इन्होंने आईआईटी कानपुर से अपनी पढ़ाई पूरी की है। दीपक का कहना है, “हमारे देश में लगभग 42% लोग हिंदी बोलते, पढ़ते और समझते हैं। इसके अलावा कई क्षेत्रीय भाषाओं की लिपि भी देवनागरी हीं है और वहां के औसतन लोग हिंदी अच्छी तरह जानते हैं। कुल मिलाकर 50-60% लोग अपने देश में ऐसे हैं जिन्हें हिंदी की अच्छी समझ है लेकिन फिर भी हम हिंदी को कम आंकते हैं। हिंदी के वर्चस्व को बढ़ाने और नई पीढ़ी को उससे जोड़ने के उद्देश्य से 2017 में मैंने ‘हिंदी पंक्तियां’ नामक पेज बनाया। मेरे अनुसार इतने बड़े पाठक वर्ग को अगर हिंदी का कॉन्टेंट दिया जा सकता है।”

नई पीढ़ी को हिंदी की प्राथमिकता समझाने का प्रयास है हिंदी पंक्तियां

The Logically से बात करते हुए दीपक कहते हैं कि हिंदी पंक्तियां की शुरुआत उन्होंने भाषा के परेशानी की वजह से की थी, ना कि साहित्य की वजह से। जैसे-जैसे लोग जुड़ते गए दूरदर्शिता बढ़ती गई। अपना प्रयोजन बताते हुए आगे वह कहते हैं, “हमारा उद्देश्य हिंदी साहित्य के एंट्री पॉइंट पर काम करना है। जो पहले से साहित्य पढ़ या लिख रहें, उनके लिए हिंदी पंक्तियां नहीं है। हमारा पेज रहे या न रहे, उन्हें फर्क नहीं पड़ता, वे साहित्य पढ़ेंगे और लिखेंगे। हमारा पेज उनके लिए है जो हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों जानते हैं, फिर भी अंग्रेज़ी को प्रधानता देते हैं। हम उन्हें हिंदी की तरफ़ खींचना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि नई पीढ़ी जो इंग्लिश मीडियम में पढ़ रही, वह भी हिंदी को सुंदर समझे। सोशल मीडिया पर पर कोई पोस्ट करते वक्त हिंदी को प्राथमिकता दे।”

लेखकों के लिए बनाया ‘पंक्तियां’ ऐप

जब अच्छे-अच्छे लेखक और प्रकाशकों के साथ में काम करने के लिए मैसेज आने लगा जिन्हें लोग हिंदी पंक्तियां के पहले से जानते हैं तब दीपक जी को लगा कि हमारे यहां प्लेटफार्म की कमी है। इसके बाद सोशल मीडिया पर पाठकों और लेखकों की बढ़ती रुचि से उन्हें ऐप बनाने का विचार आया। इस ऐप को बनाने का उनका मुख्य उद्देश्य है, “हिंदी कम्यूनिटी के हर क्षेत्र के लोगों को जोड़कर एक प्लैटफ़ॉर्म देना।” इस ऐप का इस्तेमाल दिल्ली, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, महाराष्ट्र आदि कई राज्यों के लोग कर रहें हैं।

दो मित्रों के साथ मिलकर 4,13,000 फ़ॉलोअर्स तथा 25000 सब्सक्राइबर्स तक का सफ़र तय किया

दीपक ‘हिंदी पंक्तियां’ और ‘पंक्तियां’ ऐप से फूल टाइम जुड़े हैं। अपने दो मित्रों अभिषेक और राजकुमार के साथ मिलकर ऐप का कार्य करते हैं। ऐप की डिजाइनिंग और मार्केटिंग से जुड़ा काम दीपक देखते हैं तथा अभिषेक और राजकुमार ऐप की तकनीकी कार्यों में दीपक की मदद करते हैं। वर्तमान में इंस्टाग्राम पर हिंदी पंक्तियां के 4,13,000 फ़ॉलोअर्स तथा पंक्तियां ऐप के 25000 सब्सक्राइबर्स (आर्टिकल लिखने तक) हैं।

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दीर्घकालिक उद्यम का प्रतिरूप (sustainable business model) है, हिंदी पंक्तियां

The Logically से बात करते वक्त दीपक जौरवाल (Deepak Jourwal) कहते हैं, “2017 में जब ‘हिंदी पंक्तियां’ पेज शुरू किया गया तब हमलोग इतने सीरियस नहीं थे लेकिन पाठकों और लेखकों का साथ पाकर हम इतने आश्वस्त हो गए हैं कि इससे हम ख़ुद भी आगे बढ़ सकते हैं। समय के साथ धीरे-धीरे चीज़े बेहतर होते गई। सीनियर्स के मार्गदर्शन में टेक्निकली सुधार करने का मौक़ा मिला। आने वाले वक्त में हम इसे और प्रभावशाली बनाएंगे। आज हम पूरे आत्मविश्वास से कह सकते है कि इसके आस-पास एक सफ़ल बिजनेस मॉडल तैयार किया जा सकता है।”

नए अकाउंट को प्रतियोगी नहीं सहयोगी मानते हैं, दीपक जौरवाल

हिंदी पंक्तियां की सफ़लता के बाद हिंदी भाषा के प्रसार के लिए कई नए पेज बनें। इस विषय पर दीपक जी कहते हैं, “हमारा जो लक्ष्य है, उसे सिर्फ एक पेज से पूरा नहीं किया जा सकता। मैं उन्हें भी गाइड और प्रोमोट करता हूं। अच्छा लगता है कि अब तक जो काम एक जन कर रहा था, अब दस लोगों में बंट गया है।”

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