ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई छात्र आईआईटी या किसी उच्च संस्थान से पढ़ने के बाद गांव में रहने की सोंचता है। अधिकतर छात्र चाहते हैं कि उच्च संस्थान से पढ़ने के बाद अपने देश के बड़ी कंपनी में काम करूंगा या विदेश जाऊंगा। लेकिन आज मैं आपको एक ऐसे छात्र के बारे में बताने जा रहा हूं जो आईआईटी बॉम्बे से पढ़ने के बाद गांव में ऑर्गेनिक खेती शुरू किया है। जिसका नाम है तथागत ।
तथागत आईआईटी बॉम्बे से अपनी पढ़ाई किए थे लेकिन पढ़ाई के बाद किसी भी कंपनी में नौकरी की कोशिश तक नहीं की। उन्होंने अपने नए भविष्य को गांव में तराशा। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव जाकर सीधे ऑर्गेनिक खेती शुरू कर दिया और इसके वे सफल भी रहे। शुरुआती दौर से 3 साल की मेहनत करने के बाद अब वे 9 लाख रुपये सलाना कमा रहे हैं।
आईआईटी बॉम्बे से पढ़ा एक छात्र तथागत, बारोड़ मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के कालापीपल तहसील के रहने वाले हैं। इन्होंने मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी भोपाल से बीटेक किया। वहीं आईआईटी बॉम्बे से मास्टर्स की पढ़ाई की है। लेकिन, उन्होंने अपने कैरियर को ऑर्गेनिक के क्षेत्र में चुना। जो हर एक युवा के लिए प्रेरणादायक है। आईआईटी बॉम्बे से पढ़ने के बाद ये सोंच पाना कि गांव में जाकर खेती करूंगा इससे बड़ा जुनून और विश्वास और क्या हो सकता है।
दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के अनुसार इन्होंने गांव में खेती के साथ-साथ कई अन्य स्रोत में भी काम कर रहे हैं। इन्होंने पिछले तीन साल से खेती के साथ-साथ पशुपालन और जैविक खाद बनाने का भी काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं इनके पास गौशाला भी है, जहां 17 गायें हैं। वही उन्होंने गोबर गैस प्लांट भी तैयार कर रखा हैं। जिसके गैस से इनके घर का काम चलता है।
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तथागत के लिए खेती करना उनके लिए न केवल पैसों का उपार्जन करना है बल्कि उन्होंने इस क्षेत्र को प्रोफेशन के रूप में चुना है। जब साल 2016 में उन्होंने आईआईटी ब़ॉम्बे से पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव लौट आए और ऑर्गेनिक खेती शुरू किए। इसके बाद उन्होंने खेती-किसानी को एक प्रोफेशन के रूप में चुना और दिन रात एक कर के खेतों में लग गए। उन्होंने सबसे पहले थोड़ी जमीन पर जैविक खेती शुरू किए। वे चाहते हैं कि उनके किसी कस्टमर्स को किसी भी जरूरत के लिए किसी के पास न जाना पड़े। यानी अनाज, फल, सब्जी से लेकर मसाले तक सबकुछ उनके खेत से ही उनको मिले। जिसके लिए उन्होंने व्हाट्सऐप ग्रुप भी बना लिया है। इसमें हर चीज की सप्लाई की कोशिश रहती है। इस तरह का सोच इनके गांव में रहने के जुनून को दर्शा सकता है।
आज के समय में तथागत 18 एकड़ जमीन में 17 फसलें उगा रहे हैं। जिसमें मोरिंगा, आंवला, हल्दी, अदरक, लेमन ग्रास और चना जैसी फसलें शामिल हैं। अभी तथागत प्रति एकड़ 50 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो तो वे सलाना 9 लाख रुपये कमा रहे हैं। इतने पैसे गांव में रहकर कमाना बड़ी बात हो जाती है।
तथागत ने साबित कर दिया है कि आप की सोंच और लक्ष्य साफ होना चाहिए आप कहीं भी रहकर इसे पूरा कर सकते हैं। इन्होंने आईआईटी बॉम्बे के छात्र होने के बाद भी अपने कमाई के लिए अपने गांव को चुना और आज इसमें सफल भी हैं।
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