चेहरे पर मुस्कुराहट.. बातों में शालीनता.. सरल स्वभाव.. बनावटीपन से दूर.. ज़िंदगी जीने के ढंग और कपड़ो में सादापन.. ये विशिष्टता हैं गणित में बेहद दिलचस्पी रखने वाले, पढ़ाने के शौक़ीन, सुपर 30 कोचिंग के संस्थापक आनंद कुमार की. आज इन्हें लगभग हर कोई जानता है. विकास बहल द्वारा बनाई गई फिल्म ‘सुपर-30’ में ऋतिक रोशन ने आनंद कुमार का किरदार निभाया है.
गणितज्ञ, शिक्षक, गणित पत्रिकओं में संपादक और सुपर 30 के संस्थापक हैं, आनंद
आनंद कुमार (Anand Kumar) बिहार की राजधानी पटना (Patna) के रहने वाले हैं। ये एक भारतीय गणितज्ञ हैं। एक अच्छे शिक्षक हैं। साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गणित पत्रिकओं में संपादक भी है। इनके पेपर मैथेमैटिकल स्पेक्ट्रम (Mathematical Spectrum) में भी प्रकाशित हुए हैं। इन सब से अलग इनकी पहचान “सुपर 30” कोचिंग के संस्थापक के रूप में भी है। इस कोचिंग को आनंद ने सन 2002 में पटना में शुरू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य गरीब छात्रों को आईआईटी जेईई में प्रवेश के लिए तैयारी करवाना है।
अब तक 480 में से 422 छात्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के लिये चयनित हो चुके हैं
1992 में आनंद ने गणित पढ़ाना आरम्भ किया था। रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स (Ramanujan School of Mathematics) की स्थापना की। छात्रों की संख्या 2 से बढ़कर 36.. फिर शुरुआत के कुछ वर्षों में ही 500 से अधिक हो गई। 2002 में आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए इन्होंने मुफ़्त में शिक्षा की शुरुआत की। नाम दिया ‘सुपर 30’। काबिलियत होते हुए भी पैसों के कमी की वजह से अपने सपने पूरे नहीं कर पाने वाले छात्रों को मुफ्त में शिक्षा देते है, आनंद कुमार। रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स में पैसे लेकर पढ़ाया जाता है। इस संस्थान से होने वाली आमदनी से सुपर 30 चलाया जाता है। इसका सारा मैनेजमेंट इनके भाई प्रवीण कुमार देखते हैं। हर साल 30 में से 22, 25, 27 या किसी किसी साल 30 में 30 छात्र भी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के लिये चयनित हो चुके हैं। 2018 के आंकड़ों के अनुसार अब तक सुपर 30 में प्रशिक्षित किए गए 480 में से 422 छात्र आईआईटी के लिये चयनित हो चुके हैं।
प्रारंभिक जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा
आनंद कुमार का प्रारंभिक जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा। इनके पिता भारतीय डाक विभाग में क्लर्क थे। आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि प्राइवेट स्कूल में दाखिला कराया जा सके। इसलिए इन्होंने सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। 1993 में आनंद ने कैम्ब्रिज यूनवर्सिटी में अपना दाखिला सुरक्षित कर लिया था लेकिन आर्थिक तंगी के कारण नहीं जा सकें। पिता की मृत्यु के बाद जीविकोपार्जन के लिए मां पापड़ बनाकर बेचती थीं।
अंग्रेज़ी महज़ एक भाषा है, संवाद के स्तर पर इसका ज्ञान ज़रूरी
लोगों की यह ग़लत धारणा है कि जिन्हें अंग्रेज़ी नहीं आती, उनके पास ज्ञान की कमी है या वे मूर्ख हैं। सुपर 30 में अब ही कुछ बच्चे ऐसे आते हैं जो सरकारी स्कूल से पढ़े हैं। इस बारे में आनंद कहते हैं कि जो फिजिक्स, मैथ्स, कैमिस्ट्री समझ सकता है वह अंग्रेजी भाषा तो आसानी से समझ सकता है। असली चीज इच्छाशक्ति है, उससे ही सफलता मिलती है। संवाद के स्तर पर अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।
विवादास्पद जीवन
आनंद कुमार अक्सर ही विवादों घिरे रहते हैं। हालांकि कुछ लोग कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिले की बात को भी झूठी बताते हैं। इस बात की सत्यता जानने के लिए अपने एक इंटरव्यू में जब बीबीसी ने आनंद से पूछा तो उन्होंने बीबीसी को कैंब्रिज के लेटर की एक प्रति सौंपी। उन पर यह भी आरोप लगाया जाता है कि सुपर 30 में अपर कास्ट के बच्चे नहीं होते हैं। इस पर आनंद कुमार ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि जो ऐसा कहते हैं वो पूरी तरह से झूठे हैं। मैंने तो जाति तोड़ी है। मैंने अंतरजातीय विवाह किया है। मेरे भाई ने भी ऐसा ही किया। बिहार का दुर्भाग्य है कि यहां प्रतिभा की पहचान जाति के आधार पर होती है।
मिल चुके हैं, कई पुरस्कार व सम्मान
मार्च 2009 में डिस्कवरी चैनल ने सुपर 30 के कार्यों पर बनी लघु फ़िल्म की अपने कार्यक्रम में दिखाया था। इसी वर्ष अमेरिकी समाचारपत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स ने आधे पन्ने पर आनंद कुमार के बारे में लिखे दो लेख प्रकाशित किए। ग़रीब छात्रों को मुफ्त में शिक्षा देने के लिए लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी इनका नाम दर्ज है। अभिनेत्री, ब्यूटी क्वीन व पूर्व मिस जापान नोरिका फुजिवारा ने भी इनके कार्यों पर एक लघु फ़िल्म बनायी है। आनंद कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी के द्वारा “राष्ट्रीय बाल कल्याण अवार्ड” भी मिला है।
ग़रीब व होनहार छात्र जो महंगी-महंगी कोचिंग की फीस नहीं दे पाते, उनके लिए ‘सुपर 30’ जैसे कोचिंग की शुरुआत करने के लिए The Logically आनंद कुमार (Anand Kumar) को नमन करता है।