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मधुमक्खी पालन से हर साल 200 क्विन्टल शहद निकाल रही है बिहार की यह बेटी, एक झटके में गरीबी को किया दूर

अधिकतर लोगों का मानना है कि गांव के बच्चे चाहे वह लड़का हो अगर या लड़की वहीं रहकर भेड़ पालन, बकरी पालन या फिर खेती ही करेंगे। बड़े बड़े ख़्वाब और सफलता इनके लिए नहीं है। लेकिन वैसे लोगों के लिए गांव के युवा जोरदार तमाचा मारने वाला काम कर रहे हैं। आज हम आपको बिहार की एक लड़की के बारे में बताएंगे जिनकी जिंदगी ने उन्हें भेड़ बकरी चराने के लिए मजबूर किया, लोगों ने ताने भी मारे लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपनी मेहनत के दम पर लोगों के लिए एक मिसाल कायम किया। आज यह प्रत्येक वर्ष 200 क्विंटल का शहद उत्पादन कर रही है। इनसे अन्य लड़कियों का मनोबल भी बढ़ रहा है।

बिहार की अनिता

यह कहानी है अनीता (Anita) की। अनीता का जन्म बिहार के अति बिछड़े वर्ग में हुआ। इनका जीवन बहुत ही गरीबी से व्यतीत हुआ है। इनके पिता का नाम जनार्दन सिह (Janardan singh) है जो एक राशन के दुकान में कार्य कर घर चलाते। इनका जो गांव है वह मुजफ्फपुर (Muzaffarpur) का पटियासा (Patiyasha) है। इन्हें हमेशा कुछ अलग करने की चाहत थी जिसे इन्होंने पूरा भी किया।

Bee farming

NCERT के किताब में है इनकी कहानी, बनी है इनपर फ़िल्म

21 वर्षीय अनिता की बैचलर की डिग्री सम्पन्न होने वाली है। इन्होंने शहद का व्यापार शुरू किया है। इनकी कामयाबी सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि दुनिया में मशहूर है। यूनिसेफ की टीम वर्ष 2006 में अनीता से मिली। यही नहीं बीबीसी ने अनीता के ऊपर फिल्म का निर्माण भी किया है। यह तो कम है एनसीईआरटी वर्ग 4 की बुक में विद्यार्थियों को इनके बारे में पाठ्यक्रम में भी पढ़ना है। यह आज सभी युवाओं और लड़कियों के लिए प्रेरणा बनी है।

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घर की आर्थिक स्थिति थी खराब, ट्यूशन पढाकर किया पढ़ाई

अनीता पढ़ना चाहती थी लेकिन घर की आर्थिक स्थिति इस कदर खराब थी कि उनके पेरेंट्स उनकी पढ़ाई के लिए तैयार नहीं थे। जैसे-तैसे करके उन्होंने अपने पेरेंट्स को अपनी पढ़ाई के लिए मना लिया। इनकी 1-5 वर्ग तक की पढ़ाई फ्री में हुई। फिर इन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। यह अपने घर की स्थिति को बहुत अच्छे तरीके से समझती थीं। इनके गांव में दूसरे गांव के लोग लीची खरीदने आया करतें थें। वे मधुमक्खी पालन जानते थे। फिर अनीता निश्चय किया कि मैं मधुमक्खी पालन का ट्रेनिंग लूंगी और इसका व्यापार शुरू करूंगी।

शुरुआत हुई मधुमक्खी पालन की

अनीता ने यह जानकारी दिया कि इन्होंने मधुमक्खी पालन सीख लिया और कार्य शुरू किया। थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर अनीता ने अपने इस कार्य में ज्यादा समय देने लगीं। ट्यूशन पढ़ाकर इन्होंने 5 हज़ार पैसे इकट्ठे किए थे, उसे अपने इस कार्य में लगाया और कुछ पैसों की जरूरत थी जो इनकी मां से मिली। वर्ष 2002 में इन्होंने अपना व्यवसाय मात्र 2 मधुमक्खी के डब्बे से शुरू किया। हालांकि इससे इन्हें अच्छी मुनाफा हुए और इनका मनोबल बढ़ा।

लोगों ने उड़ाया मजाक

शुरुआती दौर में इन्हें इतनी समझ नहीं थी तब लोगों ने इनका बहुत मजाक उड़ाया। मधुमक्खी के काटने से इनके चेहरे में सूजन हो जाती तो लोग यह कहते कि क्या फिर से मधुमक्खी ने काट लिया??? जो ऐसी दशा हुई है। इतना ही नही लोग इन्हें चिढ़ाने के लिए यह भी पूछा करते थे कि क्या तुम्हें दर्द नहीं होता??? वह उन सब का सकारात्मक जवाब देती रहती और आगे बढ़ती रहती। इनके पिता ने भी इनका सहयोग किया। उन्होंने अपनी दुकान की जॉब छोड़ दी और इनके साथ मधुमक्खी पालन में लग गए।

200-300 क्विंटल शहद का करती हैं उत्पादन, हनी गर्ल के नाम से है पहचान

शुरुआती दौर में अनिता को मात्र 10,000 रुपये का ही लाभ मिला था। लेकिन आज के डेट में यह प्रत्येक साल 200 से 300 क्विंटल शहद का उत्पादन कर रही है और सालाना 4 लाख रुपये का लाभ कमा रही है। अब लोग इन्हें हनी गर्ल के नाम से पहचानते हैं। इस शहद उत्पादन ने इनकी जिंदगी बदल दी है। घर अब पक्के के हैं, इनकी मां मुखिया है।

मिला है सम्मान

इन्होने मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण समस्तीपुर पूजा के राजेंद्र कृषी विश्वविद्यालय से लिया। लेकिन आज इस क्षेत्र में यह इतनी कामयाब हैं कि बहुत से महिलाओं को इन्होंने खुद प्रशिक्षण दिया है। इन्हें विश्विद्यालय की तरफ से सर्वश्रेष्ठ मधुमक्खी पालन का अवार्ड मिला है।

NCERT की किताब में छपी अनिता की कहानी

अति पिछड़े इलाके में होने के बावजूद भी अपने मेहनत से अपना कारोबार स्थापित करने और इससे लाभ कमाकर अपने परिवार की जिंदगी बदलने के लिए The Logically अनिता को सलाम करता है और इनकी वजह से इनके गांव के लोग अपनी बेटियों को पढ़ा रहें हैं इसके लिए इनकी सराहना करता है।

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