यह दुनिया चाहे जितनी भी सुंदर क्यूँ ना हो, उसे और सुंदर बनाने की गुंजाइश हमेशा बची रहती है। आज हम बात कर रहे है अंकुर सेठी की जिसने अहमदाबाद की बहुमंज़िला इमारतों के बीच एक पेंट हाउस बनाया जोकि बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक है। वह पौधों को अपने बच्चे मानती है वह उनके लिए बेहद ही प्रोटेक्टिव है यहाँ तक कि उन्होंने अपने घर, बालकनी, किचन,प्रवेश द्वार और छत पर सभी जगह पौधे लगाए है। वह अब तक 52 तरीके के 400 से भी अधिक पौधे लगा चुकी है।
अंकुर सेठी का परिचय
अंकुर सेठी(Ankur sethi) का जन्म मुरादाबाद (उ.प.) में हुआ। उनके पिता पहले भारतीय रेलवे में कार्यरत थे फिर उन्होंने ONGC जॉइन कर लिया। जगह जगह ट्रांसफर होने के कारण अंकुर की शुरुआती पढ़ाई असम के शिवनगर में हुई फिर देहरादून में और उसके बाद अहमदाबाद में।
वो अहमदाबाद आ तो गयी थी पर उनका मन असम, और देहरादून की हरियाली वहाँ की सादगी और वहाँ की वादियो में ही बसा था।
कैसे हुई शुरुआत
अंकुर बताती है कि वो अक्सर असम और देहरादून की हरियाली को याद किया करती थी क्योंकि अहमदाबाद में मौसम बहुत गर्म था और धूप तेज होने के कारण ज्यादा कुछ नही कर पाती थी उन दिनों मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कर रही थी जिसके कारण मुझे बहुत तनाव होता था। तनाव को दूर करने के लिए मैंने वॉक की जिम जॉइन किया और गार्डनिंग की भी शुरुआत की मुझे बचपन से ही पेड़-पौधों से लगाव रहा है। इसलिए हमारे घर में हमेशा से ही बहुत सारे पेड़-पौधे रहे हैं पर मैं यहाँ वो सब मिस कर रही थी मैंने तरह तरह के पौधे लगाना शुरू किया जिसने मुझे तनावमुक्त बनाया। पौधों को बढ़ता हुआ देख मुझे अलग ही खुशी मिलती थी।
आसान नही थी राह
अंकुर पिछले 11 वर्षों से मल्टी नेशनल कंपनियो में स्ट्रक्टर इंजीनियर के पद पर कार्य कर चुकी है। वह बताती है 9 -11 घंटे एसी ऑफिस में रहना और फिर और काम करना धीरे धीरे तनाव बढ़ता जा रहा था इस तनाव से निकलने के लिए मैने एरोबिक्स, जिम और गार्डनिंग को समय दिया 2013 से 2019 के बीच मैंने पेड पौधों के बारे में बहुत जानकारी हासिल की जब भी समय मिलता था इंटरनेट पर बस इन्ही के बारे में पढ़ती थी जिससे मेरा पेड पौधों के बारे में काफी ज्ञान बढ़ गया जिसके कारण आज मैं लोगो को पेड पौधों के बारे में जानकारी देकर जागरूक करती हूं।
2019 में मैंने अपने पेंट हाउस की तस्वीरे फेसबुक पर पोस्ट की जहाँ मैने अपने घर की बालकनी, किचन व छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, उसको लोगो ने बहुत सराहा। देश विदेश के कई लोगो ने बागवानी के तरीके पूछे और कई ने तो यह कहा ऐसा लगता है मानो रेगिस्तान में हरियाली आ गयी हो क्योंकि मेरा घर बहुमंजिला इमारतों के बीच है इतने सालों में मैंने गार्डनिंग के कई गुर सीख लिए हैं और आगे और भी सीखते रहने की कोशिश जारी है। मैं दिन में घर के सभी काम करने के बाद अपने गार्डन के लिए वक़्त ज़रूर निकालती हूँ। और मुझे अच्छा लगता है बाग़वानी में रुचि रखने वालों की मदद भी कर पा रही हूँ।
देखभाल है जरूरी
पौधों के लिए देखभाल बहुत जरूरी है हम कुछ घंटे नर्मदा के पानी से पौधों की सिंचाई करते है क्योंकि यह पानी पोधो के लिए अच्छा होता है मैं गोबर की खाद के साथ कुछ खाद नर्सरी से लेकर दोनों तरीके की खाद पौधों में डालती हूँ।मैं अपने पौधों को 2 महीने में एक बार स्वीड मिश्रण और NPK 19:19:19 के साथ फर्टीलाइज करती हूं साथ ही 3-4 महीनों में जैविक तरीके से पौधों में मिट्टी और खाद डालती हूँ जोकि पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
मिली नई राह
अंकुर बताती है कि मैंने 2019 में फेसबुक पेज बनाया जहाँ मैं बागवानी के बारे में लोगो को जानकारी देती हूं देश विदेश से कई लोग मुझसे संपर्क करते है और पौधो के बारे में जानकारी लेते है मुझे लोगो की मदद करके बेहद खुशी मिलती है यहाँ तक कि जो लोग गार्डनिंग नही करते थे वो मुझे अपने पौधों की तरह तरह की फ़ोटो भेजते है और मेरे पड़ोसी भी कई तरह के पौधे लाकर अपने घरों में लगाने लगे है ये मुझे बेहद ही खुशी देता है।
अंकुर कहती है कोरोनाकाल मे हमे अनेको सुसाइड व घरेलू हिंसा जैसी खबरे सुनने को मिली जोकि बहुत ही निराशाजनक है। मैं आप सबसे यही कहूंगी बस जहाँ भी हो जैसे भी हो गार्डनिंग जरूर करे इससे आपका मन भी शांत रहेगा और दिल भी खुश रहेगा।
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