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मुम्बई में नही मिला एक्टर का काम तो बन गए राइटर, अब कहानी लिखकर हर महीने 70-80 हज़ार रुपये कमाते हैं

मुंबई की मायानगरी में हर रोज हजारों लड़के-लड़कियां एक्टर, एक्ट्रेस बनने के ख़्वाब देखते है। जिनकी किस्मत में होता हैं उनका सपना साकार हो जाता है, तो कई इसमें नाकाम हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ झारखंड के जमशेदपुर के रहने वाले अंशुमन भगत (Anshuman Bhagat) के साथ हुआ था, लेकिन जब एक्टिंग में सफलता नहीं मिली तो उन्होंने अपना करियर राइटिंग में बनाने का विचार बनाया। 26 साल की उम्र में अंशुमन अब तक 4 किताबें लिख चुके हैं और इसके साथ ही वे हर महीने 70 से 80 हजार रुपए अलग-अलग डिजिटल वेबसाइट्स के लिए लिखकर कमा रहे हैं।

मुंबई ने ठुकराया तो बन गए राइटर

अंशुमन का कहना हैं कि जमशेदपुर से स्कूली शिक्षा और स्नातक के बाद एक्टर बनने के लिए 2014 में वह मुंबई गए थे। उन्होंने मुंबई में 3 साल रह कर संघर्ष किया उसके बाद भी सफलता हाथ नहीं लगी। अंशुमान ने एक्टिंग की पढ़ाई जमशेदपुर की एक एक्टिंग एकेडमी से की थी। उन्होंने मुंबई जाने से पहले ही एक्टिंग सीखी और सोचा था कि वहां जा कर एक्टर बनेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

अपने 3 साल के संघर्ष के दिनों को याद करते हुए अंशुमन (Anshuman Bhagat) बताते हैं कि वह मुंबई फिल्म सिटी और कास्टिंग एजेंसी के ऑफिस हर रोज ऑडिशन के लिए जाया करते थे। मुंबई में हर रोज अनगिनत आर्टिस्ट एक्टर बनने के लिए कास्टिंग एजेंसी के चक्कर काटते है । वो इससे परेशान हो चुका थे, जिसके बाद उन्होंने राइटिंग में अपना करियर बनाने का सोचा।

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अपने 3 साल स्ट्रगल पर लिखी किताब

अंशुमन ने जो किताब “एक सफर में” ( Ek Safar mein) लिखी है वो बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के भीतर हर रोज अपने करियर के लिए होते संघर्ष की कहानी है। जो अंशुमान ने झेला है उसी पर किताब लिखी है। अंशुमन का कहना हैं कि छोटे शहरों से मुंबई एक्टर बनने का सपना लेकर आने वाले युवाओं को यहां की रियलिटी और परेशानियों से अवगत होना चाहिए। इसीलिए उन्होंने ये किताब लिखी।

Anshuman bhagat writer jharkhand
Anshuman Bhagat, Writer

लिखने का पैशन (Anshuman Bhagat writer)

अंशुमन को स्कूली समय से ही लिखने का शौक था। पहले डायरी, फोन में लिखते थे, बाद में उन्होंने बतौर फ्रीलांसर न्यूज (Freelancer News) आर्टिकल भी लिखने की शुरुआत की थी। जिसके बाद उनके दिमाग़ में किताब लिखने का आइडिया आया। अंशुमन अब तक 4 किताबें लिख चुके हैं। उनकी पहली किताब “योर ओन थॉट” (Your own thought) दिसंबर 2018 में प्रकाशित हुई थी।

किताब के अलावा कैसे कमाते हैं

अंशुमन का कहना हैं कि सिर्फ किताबें लिखकर कमाई करना एक राइटर के लिए मुश्किल है, इसलिए कोई राइटर विकीपीडिया या फ्रीलांसिंग कर पैसे कमा सकता है। किताब की कमाई के साथ ही अंशुमन अभी 60 से 70 हजार रुपए हर महीने कमा रहे हैं।

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अगर ये खूबियां हैं तो कोई भी बन सकता अच्छा राइटर

अंशुमन भगत का कहना हैं कि लेखन क्षेत्र में जो युवा अपना करियर बनाना चाहते हैं उन्हें कंटेंट की स्ट्रांग नॉलेज होनी चाहिए। इसके लिए हम जितना ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़े उतना बेहतर है। यदि कोई युवा बेहतर और नई चीजों को लिखता है तो पसंद आने पर वो प्रकाशित हो सकती है। युवाओं को एक्सपीरियंस के साथ करियर में नया मुकाम मिल सकता है।

The Logically की तरफ से हम अंशुमान भगत को ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की शुभकामनाएं दे रहे हैं।

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मेघना कानपुर की रहने वाली हैं, इन्होंने पत्रकारिता में 3 साल का डिप्लोमा कोर्स किया है। पत्रकारिता में रुचि होने के कारण इन्होंने शुरू से ही इस क्षेत्र में अपनी सहभागिता बरकरार रखने की कोशिश की और पिछले 1 वर्षों से बतौर कंटेंट राइटर काम कर रही हैं। The Logically के माध्यम से वह समाजिक मुद्दों को परोसने की कोशिश कर रही हैं।

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