परेशानियां सभी के जीवन में आती हैं। परंतु अपने जीवन में आनेवाली सभी परेशानियों का सामना कर के जो अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है वही सच्चे मायने मे एक साहसिक इन्सान है। कठिनाईयों को सामना कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाना सभी के बस की बात नहीं है। मनुष्य की एक छोटी सी गलती उसे उसके लक्ष्य से दूर कर देती है। मंजिल उसी को मिलती है जिसने उसे पाने के लिये पूरी शिद्दत से कोशिश की हो।
आज हम आपको ऐसे ही एक शक्स के बारे में बताने जा रहें हैं जिसने अपने जीवन में आनेवाली तमाम चुनौतियों का सामना बिना थके, बिना हारे बिल्कुल निडर बन किया और तीसरे प्रयास में आखिरकार एक IAS बन गये। आइये जानते है उनके बारे में।
अनुज प्रताप सिंह (Anuj Pratap Singh) की UPSC का सफर बाकियों से बेहद अलग है। उनका सफर सभी के लिये प्रेरणास्रोत है। अनुज के UPSC सफर की शुरुआत वर्ष 2016 में हुईं। उन्होंने अपने यूपीएससी के सफर में अपनी पूरी कोशिश की परंतु इंटरव्यू में निराशा हाथ लगी। अपनी असफलता से सीख लेकर अनुज ने दुबारा से प्रयास किया और वर्ष 2017 में फिर से इम्तिहान दिया। इस बार वह प्री और मेन्स दोनो में सफल रहे परंतु किस्मत का खेल कोई नहीं जानता। इंटरव्यू के 10 दिन पहले अनुज को जानकारी मिली कि यूपीएससी ने उनका कैंडिडेंचर कैन्सिल कर दिया। इसकी वजह यह थी कि अनुज ने भुल से जन्मतिथि के कॉलम में 30 मार्च 1991 के स्थान पर 31 मार्च 1991 भर दिया था। कैलकुलेशन के अनुसार इसमें दिक्कत थी, इसलिए उनका आवेदन रद्द कर दिया गया।
इस दौरान काम करने वाली संस्था में आवेदन देकर बहुत भाग-दौड़ कर के अनुज ने अपने इंटरव्यू वापस शिडयूल कराया। इसके साथ ही वह कोर्ट केस की तैयारी भी किये जिसमे वे कैंडिडेंचर को रद्द करने के खिलाफ अपील करने का विचार कर रहे थे। अनुज की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। ऐसे मे उनका यह दौर बेहद कठिनाइयों से भरा हुआ था। उन्होंने बताया कि अपने जीवन में एन्जाइटी और स्ट्रेस के बारे में जानकारी अब हुई।
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अनुज (Anuj) बताते हैं कि उनके पास एक ये विकल्प था कि वे कोर्ट केस को वजह बताकर निराश होकर थक कर बैठ जाये। इसके अलावा दुसरा विकल्प था कि वह इस निराशा से बाहर निकलकर हौसला के साथ अगले वर्ष के परीक्षा की तैयारी करें। अनुज ने दुसरे ऑप्शन का चयन किया। उनका कैंसिल इंटरव्यू भी कंडक्ट हुआ और उन्होंने अगले परीक्षा की तैयारी करना आरंभ कर दिया। अनुज के जीवन में एक तरफ़ कोर्ट केस चल रहा था तो वहीं दुसरी ओर हिम्मत के साथ उनकी अगली परिक्षा की तैयारी। इन सब मुश्किलों के आगे अनुज ने अपने घुटने नहीं टेके और साहस और जोश के साथ आगे बढ़ते गये। अनुज का साक्षात्कार का इम्तिहान अच्छा जाने के बाद भी उनका परिणाम रोक दिया गया और IAS बनने के बाद भी उन्हें उसका पद नहीं मिला।
इतनी सारी चुनौतीयों के बाद भी वह आगे बढ़ते रहे। उन्होंने मानसिक, आर्थिक और इमोशनल जैसी समस्याओं का सामना करते हुये वर्ष 2018 में फिर से यूपीएससी का परीक्षा दिया। इस बार के प्रयास में भी वह सफल हो गये। पहले प्री फिर मेन्स में सफल हुये। उसके बाद इंटरव्यू का समय आया। उसी वक्त सुप्रीमकोर्ट में उनका केस भी चल रहा था परंतु अनुज ने अपनी कोशिश में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आने दिया। उसके बाद अनुज को जानकारी मिली कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके केस को खारिज कर दिया। एक ओर जहां वह केस हार गये वहीं दुसरी ओर उन्हें सफलता हाथ लगी। उनकी मेहनत रंग लाई और वह IAS पद के लिए चयनित हुये।
अनुज अपने तय किये हुये सफर से सीख लेते हुए कहते हैं कि जीवन मे कब क्या हो जाये कुछ पता नहीं है। उनकी एक छोटी सी भुल की वजह से उनका 1 वर्ष का समय खराब हुआ, इसके साथ ही उनके परिवार जन को भी बहुत तनाव हुआ। एक IAS बनकर भी न बनना इसका एहसास सिर्फ अनुज को ही है। उन्होंने बताया कि जीवन में अवसर और विपदा साथ आती है इससे मनुष्य को कैसे निपटना है इसकी कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि परिवार को हमेशा अपने साथ लेकर चलना चाहिए क्यूंकि उनका साथ जीवन में बहुत जरुरी होता है।
वीडियो में देखें अनुज प्रताप सिंह के संघर्ष की कहानी
मनुष्य को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि समय यदि बुरा है तो अच्छा भी आयेगा और यदि समय अच्छा है तो बुरा भी आयेगा। मनुष्य को इन दोनों ही स्थितियों में धैर्य बना कर रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि कठिन मेहनत का कोई विक्लप नहीं होता है परंतु एटीट्यूड एक ऐसा एलिमेंट है जो सबसे अधिक मायने रखता है। जब भी खराब समय आये तो दो ऑप्शन होते हैं, एक उसे लेकर रोते रहे और दुसरा योग्यता को बढ़ाना। नीचे के तरफ ले जाने वाला रास्ता तेजी से जाता है परंतु ऊपर जाने का रास्ता कठिन होता है लेकिन वह हमें सफलता की सीढ़ी तक पहुंचाता है।
The Logically IAS अनुज प्रताप सिंह को उनके साहस, जुनून और कठिन मेहनत को सलाम करता है।