हालांकि भारत की 70% आबादी खेती करती है और खेती से अपना जीविकोपार्जन करती है, लेकिन कृषि में होने वाले आपातकालीन घाटों को देखते हुए अधिकतर लोग खेती से अपना रुख बदल कर दूसरा काम शुरू कर रहे हैं।
लेकिन आधुनिक भारत में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी नौकरी और पुराने व्यवसाय को छोड़कर कृषि की तरफ अपना रुख कर रहे हैं और खुद की जिंदगी बदलने के साथ ही लाखों का मुनाफा करते हुए अन्य लोगों को भी रोजगार से जोड़ रहे हैं।
अनुज की कहानी
पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर अनुज शर्मा (Anuj Sharma) आज अपनी नौकरी के साथ ही मशरूम की खेती शुरू कर लाखों रुपए महीने में कमा आ रहे हैं और कुछ लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
अनुज शर्मा स्थानीय रूप से हिमाचल प्रदेश से सम्बद्ध रखते हैं और अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उत्तराखंड में रहकर नौकरी कर रह रहे हैं। अपने काम के साथ ही अनुज ने मशरूम की खेती शुरू की और पिछले 4 सालों में वह खेती से सफलता की नई ऊंचाई छू चुके हैं।
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The Logically से बात करते समय अनुज ने बताया कि वह उत्तराखंड के रुद्रपुर जिले के उधम सिंह नगर में मशरूम की खेती कर रहे हैं, जहां वाह मात्र 9 हट में मशरूम उगाते हैं और उसे नजदीकी सब्जी मंडी में बेचने का काम करते हैं। इसके साथ ही अनुज ने ऐसे ही 3 हट अपने पैतृक गांव में भी शुरू किये हैं जहां मशरूम की खेती होती है। अनुज के पास ऐसे सैकड़ों ग्राहक हैं जो नियमित रूप से इनके द्वारा उपजाए मशरूम खरीदते हैं। इसके साथ ही इनके द्वारा उगाए मशरूम को दूसरी सब्जी मंडियों में भी थोक के भाव में बेचा जाता है।
मशरूम उगाने की प्रक्रिया
अनुज के अनुसार मशरूम उगाने के लिए सबसे पहले एक हट की जरूरत है जहां सामान्य तापमान निरन्तर बनाया जा सके। अच्छी तरह से मशरूम उगाने के लिए 18 से 25 डिग्री तक का तापमान होना चाहिए। जिसके उपरांत ऐसी अनेकों प्रक्रियाएं हैं जो समय समय पर करनी पड़ती है।
सबसे पहले मशरूम के लिए खाद (Compost) तैयार किया जाता है, जिसे बनाने में अत्यधिक मात्रा में धान और गेहूं से निकलने वाले भूसा की जरूरत होती है। भूसे में अन्य उपयोगी वस्तुओं को मिलाने के बाद लगभग 20 से 25 दिन में खाद बनकर तैयार हो जाता है, खाद बनने के बाद उसे एक बेड की तरह बना दिया जाता है जिसमें मशरूम के बीज़ लगाए जाते हैं और फिर लगातार देखरेख में लगभग एक महीने के बाद मशरूम पूरी तरह उग जाता है।
इस तरह मशरूम को उगाने में लगभग 2 महीने का समय लगता है जिसमें एक लाख के करीब खर्च करने पर 2.50 लाख की पैदावार निकलती है अगर मात्रा में बात करें तो 60-70 क्विंटल कंपोस्ट में 25 क्विंटल मशरूम उगाई जाती है। इस पूरे प्रोसेस में अनुज ने 12 लोगों को रोजगार दिया है जो नियमित रूप से मशरूम की खेती का देखभाल करते हैं और उसे बाजार ले जाकर बेचने का काम करते हैं।
परेशानियों का सामना
लेकिन कहते हैं ना की हर सफलता के पीछे एक कठिन परिश्रम और निरंतर प्रयास काम करती है। शुरुआती दिनों में अनुज को इस तरह की खेती तैयार करने में अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ा। द्वेष के कारण अनुज के हट को किसी असामाजिक तत्वों ने पूरी तरह जला दिया था जिसमें इन्हें लगभग 6 लाख रुपये का घाटा सहना पड़ा फिर भी अनुज रुके नहीं और नए सिरे से अपनी खेती शुरू किये और सफलता के नए ऊंचाई तक पहुंचे।
वर्तमान में अनुज अन्य लोगों को भी मशरूम उगाने का तरीका बताते हैं और साथ ही वह मशरूम उगाने के लिए सभी सामानों को उचित मूल्य पर उपलब्ध भी कराते हैं। अगर किसी को मशरूम की खेती करनी हो तो अनुज उन्हें हट बनाने से लेकर खाद और बीज उपलब्ध कराने में मदद कर सकते हैं।
उत्तराखंड और आसपास रहने वालों के लिए अनुज द्वारा शुरू किया गया यह मुहिम काफी फायदेमंद हो सकता है और अगर आप भी इनसे संपर्क करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए नंबर पर कॉल कर मशरूम उगाने की विधि को पूरी तरह से सीख सकते हैं- +91 99973 04569
विपरीत परिस्थितियों के बाद भी खेती को एक नया आयाम देने के लिए अनुज शर्मा(Anuj Sharma) के पहल को The Logically नमन करता है और साथ ही अपने पाठकों से यह अपील करता है कि निराशाजनक परिस्थिति से निकलकर अनुज जैसे सफल किसानों से प्रेरणा लेकर खेती को नया आयाम देने की कोशिश करें और सफलता की ऊंचाइयों को छुएं।