आज की कहानी अनुया त्रिवेदी ( Anuya Trivedi) की है जो पुराने टायर्स से गरीब बच्चों के लिए झूले बनाती हैं।
अनुया अहमदाबाद की रहने वाली है। कुछ समय पहले तक यह फार्मा इंडस्ट्री में काम करती थी पर लोगो की मदद करने के इरादे से इन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर हमेशा के लिए समाजसेवा का रास्ता चुना।
अनुया बताती है कि वह और उनके पति हमेशा से लोगो की मदद करना चाहते थे। पर नौकरी के कारण समय नही मिल पाता था इसलिए इनदोनो ने यह निश्चय किया कि जब भी कोई मौका मिलेगा, यह दोनों लोगो की मदद करेंगे। इसी तरह एक बार अनुया अपने पति के साथ अपने बच्चे के जन्मदिन पर आंगनबाड़ी केंद्र गयी थी।जहाँ उन्होंने देखा कि बच्चों के खेलने के लिए बड़ा मैदान है पर उसमे उनके लिए कोई झूला या खिलौना नही था।
आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के लिए बनाया पहला झूला
यह देख अनुया ने आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के लिए एक झूला देने का सोचा पर दिक्कत यह थी वह इसे बाजार से खरीद कर नही देना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने जॉब से छुट्टी ली और घर पर ही झूला बनाने में लग गई। इसके लिए उन्होंने पुराने टायर और कुछ ज़रूरी चीज़े इकठ्ठा की और दो दिन में ही झूला तैयार कर लिया। अनुया बताती है कि जब वह झूला आंगनबाड़ी केंद्र में लगाया गया तब उसे देख बच्चों की खुशी देखने लायक थी।
इसके बाद ही अनुया ने यह निश्चय कर लिया कि अब वह इसी में कुछ करेंगी।
एक स्लम स्कूल के लिए प्ले स्टेशन तैयार किया
अनुया ने उसके बाद कई स्कूल के लिए झूले तैयार किए। उनके काम की तारीफ और चर्चे धीरे-धीरे सब जगह होने लगे थे। यदि बीच उन्हें प्रहलाद नगर के नवर्चितम स्लम स्कूल ने इनसे प्लेस्टेशन बनाने के लिए सम्पर्क किया। इस स्कूल मे गरीब बच्चे पढ़ते थे।अनुया ने उस स्कूल में जाकर शिक्षकों से बात की और स्कूल को देखा।
अनुया को इस बार प्लेस्टेशन बनाना था इसके लिए उन्हें फंडिंग की ज़रूरत थी। पैसे जुटाने के लिए अनुया ने क्राउड फंडिंग शुरू की जिसमे बहुत लोगो ने सामने आकर मदद की। अनुया ने यह प्लेस्टेशन अपनी मेहनत और अपनी कल्पना से तैयार किया था।
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ग्रीन बडीज़ ( Green Buddies)की शुरुआत
अनुया जो शुरू से ऐसे लोगो की मदद करना चाहती थी उन्हें इसका रास्ता दिख गया। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर इसी काम को आगे बढ़ाने का फैसला किया। इसके लिए अनुया ने ग्रीन बडीज़ नसमे से एक छोटे से स्टार्टअप की शुरुआत की। इसके तहत वह गरीब बच्चों और सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए प्ले स्टेशन बनाती हैं। इन प्ले स्टेशन की ख़ासियत यह है कि यह सब पुराने टायर्स और प्लास्टिक जैसे कचरो का इस्तेमाल कर के बनाये जाते हैं।
अनुया बताती है की पहले टायर्स के लिए उन्होंने कार सर्विसिंग वर्कशॉप से सम्पर्क करती थी जहाँ कितने बार तो टायर खरीदती थी और कितनी बार उमके इस नेक काम के लिए टायर मुफ्त में दे दिए जाते थे। फिर उन्हें स्क्रेपयार्ड के बारे में पता चला जहां से उन्हें टायर आसानी से मिल जाते हैं।
पर्यावरण के लिए जागरूक करती हैं
अनुया अपने प्लेस्टेशन बनाने की प्रक्रिया से कचरा प्रबंधन तो करती ही है। साथ ही उनकी कोशिश होती हैं कि बच्चे इससे कुछ सीखे। वह पर्यावरण के प्रति भी बच्चो को जागरूक करती है। वह उनसे पौधारोपण करवाती हैं।
अवार्ड भी मिल चुके हैं
अनुया त्रिवेदी (Anuya Trivedi) ने अब तक लगभग 20 स्कूल के लिए प्लेस्टेशन बनाए हैं। उनके इस काम के लिए उन्हें ग्लोबल रिसाइक्लिंग अवार्ड भी मिल चुका हैं।
अगर आप अनुया त्रिवेदी से बात कर उनके इस काम के बारे में जानना चाहते है तो 6351578576 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
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