शहरी सुख सुविधाएं और वहां की चकाचौंध हमेशा ही गांव के लोगों को अपनी और आकर्षित करती हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इन चकाचौंध से दूर अपने गांव की मिट्टी को ज्यादा महान समझते हैं। कुछ ऐसे ही सोच से ओतप्रोत इंसान है गोपाल दत्त उप्रोति।
परिचय
गोपाल उत्तराखंड मैं रानीखेत ब्लॉक के बिल्लेख गांव के निवासी हैं। वे दिल्ली में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम करते थे लेकिन गांव की मिट्टी ने हमेशा ही उन्हें अपनी और आकर्षित किया। और इसी के फल स्वरुप उन्होंने अपना सारा काम त्यागकर अपने गांव की ओर रुख किया। गोपाल के पास गांव में 8 एकड़ जमीन है, जिस जमीन की उपज है आज वह लाखों की कमाई कर रहे है।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में नाम करवाया दर्ज
खेती का शौक रखने वाले गोपाल ने 7.1 फीट का धनिया उगाया है। धनिये की उपज को लेकर उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया गया। यह धनिया का पौधा अब तक का सबसे लंबा पौधा है। इतना ही नहीं इन्हें उत्तराखंड सरकार ने देवभूमि पुरस्कार और उद्यान पंडित पुरस्कार से भी सम्मानित किया
यूरोप में सेब की बागवानी के लिए हुए प्रेरित
गोपाल ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। एक बार दोस्तों के साथ यूरोप घूमने के दौरान उन्होंने सेब के बगीचे देखें। उन्होंने एक बात गौर किया की यूरोप और उत्तराखंड के जलवायु में ज्यादा अंतर नहीं है। इस सोच के साथ ही उन्होंने यह तय किया कि वह अब अपने गांव में भी सेव की बागवानी लगाएंगे।
उन्होंने इस बागवानी के बारे में अध्ययन किया और विशेषज्ञों से मिलकर सही जानकारी प्राप्त की। यूरोप से वापस आकर उन्होंने घरवालों से इसकी शुरुआत की बात की लेकिन घरवालों को यह विचार अच्छा नहीं लगा। घरवालों के मुताबिक गोपाल की अच्छी खासी जीवन शैली और आय को छोड़कर खेती का सुझाव ठीक नहीं लगा। लेकिन गोपाल के अधिक फैसले के आगे घर वालों ने भी हार मान ली और खेती के लिए मान गए।
गोपाल ने बागवानी लगाने से पहले ऑनलाइन की यात्रा की और इसकी बारीकियों और तकनीकों को गौर से समझा।
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जमीन खरीद लगाई सेब की बागवानी
वर्ष 2015 में गोपाल ने 70 खाली जमीनों को खरीदा और इस पर पौधे लगाने के कार्य को शुरू किया। शुरुआत के 3 साल खेती में लाल की कोई गुंजाइश नहीं थी क्योंकि सामान्यता सेब के पौधों को बड़ा होने में और फल देने में लगभग 3 साल लग जाते हैं। सबसे खास बात यह होती है किस में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती। 3 साल बाद जब गोपाल की बागवानी में फल है तो लोगों ने इसकी एडवांस बुकिंग करा ली।
प्रति एकड़ की कमाई
गोपाल के अनुसार उन्हें हर एकड़ जमीन पर लगाई बागवानी से लगभग ₹10 लाख रुपए कि कमाई होती है। साथ ही साथ उन्होंने 5 एकड़ में हल्दी और अदरक के भी पौधे लगाए हैं जिनसे भी अच्छा खासा लाभ हो जाता है। सबसे दिलचस्प बात यह है की इलाकों में लंगूर और बंदरों का प्रकोप है लेकिन वह गोपाल के पैरों को नष्ट नहीं करते। अब गोपाल की इन बागवानी के शुरू होने से कई बेरोजगारों को काम मिल गया है।
खराब सेबों का किया सही इस्तेमाल
खेती में मुनाफे के साथ फसलों का खराब होना भी निश्चित है लेकिन गोपाल ने बड़ी ही चालाकी से खराब हो रहा है सेब के फलों को इस्तेमाल में लाया। दरअसल पिछले वर्ष लगभग 1.5 टन सेब के फल खराब हो गए थे। गोपाल ने ने बचाने का तरीका ढूंढा और इसका जन्म बना दिया। यह जैन लोगों को काफी पसंद आई और इससे उनकी अच्छी आए भी हो गई।
हल्दी की प्रोसेसिंग प्लांट का बना रहे हैं प्लान
खेती में सफलता हासिल करने के बाद गोपाल हल्दी की प्रोसेसिंग प्लांट लगाने पर काम कर रहे हैं। गोपाल के अनुसार यह उत्तराखंड का सबसे पहला ऑर्गेनिक सर्टिफाइड बागीचा है। यहां से किसानों को बीज भी उपलब्ध कराया जाता है और उन्हें खेती की सही जानकारी भी दी जाती है। गोपाल चाहते हैं कि हर किसान अपने फसलों को सही तरीके से काम में लाए।
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प्रोफेशनल ट्रेनिंग को मानते हैं जरूरी
गोपाल का यह मानना है कि हर काम प्रोफेशनल ढंग से होनी चाहिए तभी सफलता हाथ लगती है। अपने काम से जुड़ी बारीकियों को पूरी तरीके से जान लेना चाहिए। क्योंकि जानकारी के अभाव में अक्सर असफलताएं हाथ लगती हैं। इसलिए गोपाल ट्रेनिंग पर ज्यादा जोर देते हैं। गोपाल का मानना है कि सही दिशा में किया गया काम आपको एक अलग पहचान दिला सकती है और आप भी आगे बढ़कर समाज की प्रेरणा बन सकते हैं।