हिंदी (Hindi) हमारी मातृभाषा है लेकिन अफसोस की बात यह है कि हिन्दी ही याद हमें हिन्दी दिवस के अवसर पर ही आती है। लोग अपनी वास्तविकता को छोड़ पश्चिमी सभ्यता को अपनाते जा रहे हैं जिससे हम अपनी भाषा को छोड़ अन्य भाषाओं को अधिक महत्व दे रहे हैं। एक समय था जब पूरे देश में बोलचाल के लिए हिन्दी भाषा का प्रयोग किया जाता था लेकिन आज धीरे-धीरे लोग इसे भूलते जा रहे हैं। लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे भी देश प्रेमी और हिन्दी भाषा प्रेमी हैं जो हिन्दी के आलेख को जन-जन तक पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं।
आज का यह लेख भी एक ऐसी ही हिन्दी भाषा प्रेमी महिला के बारें में है जो कई वर्षों से हिन्दी को सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि जीवन का एक अहम हिस्सा बनाने में लगी हुई है। Archana Dua, a government school teacher in Delhi, teaches all subjects with the help of Hindi literature and poems.
हर विषय को हिन्दी से जोड़ कर पढ़ाती हैं
दरअसल, हम बात कर रहे हैं अर्चना दुआ (Archana Dua) की, जो देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका हैं। उन्होंने हिन्दी को जीवंत रखने के लिए साहित्य (Literature) और कविता (Poem) भी लिखती हैं जो स्कूल के विद्यार्थियों में हिन्दी का दीप जला रही हैं। वह गणित, इतिहास और अन्य कई विषयों को हिन्दी से जोड़कर बच्चों को पढ़ा रही हैं। इतना ही नहीं बेहद नायाब तरीके से पढ़ाने वाली अध्यापिका अर्चना अभी तक हिन्दी साहित्य पर 3 से अधिक किताबे और अनेकों कविताएं लिख चुकी हैं।
यह भी पढ़ें:- ड्राइवर की बेटी ने RJS की परीक्षा में 66 वीं रैंक हासिल करके बढ़ाया पिता का मान, अब बनेगी जज
कविता के माध्यम से सीखे व्याकरण
अर्चना बताती हैं कि, वे जो भी कविताएं लिखी हैं उन सभी में प्राथमिक शिक्षा पर अधिक जोर डाला गया है। उनकी कविताओं के जरिए बच्चे त्रिभुज, सर्किल, त्रिकोण आदि विषयों के बारें में ज्ञान अर्जित करते हैं। उनका मानना है कि हिन्दी का विस्तार करने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक है। वह आगे कहती हैं कि, सही हिन्दी लिखने और बोलने के लिए व्याकरण आना जरुरी है। अब कई लोगों को व्याकरण याद करना मुश्किल लगता है लेकिन इन कविताओं में दिए गए तरीकों से व्याकरण को आसानी से याद किया जा सकता है।
हिन्दी वाली दीदी के नाम से मशहूर हैं अर्चना
जहां लोग हिन्दी को भूलते जा रहे हैं वहीं अर्चना जन-जन तक हिन्दी को पहुंचाने के प्रयास में जुटी है। वह कहती हैं कि, अलग-अलग विषयों को साहित्य से जोड़ना काफी मुश्किल होता है, कई बार यह बहुत बड़ी समस्या लगने लगती है। लेकिन जब विद्यार्थी हिन्दी साहित्य (Hindi Literature) से जुड़ते हैं, सीखते-पढ़ते हैं तो उसे देखकर बहुत प्रसन्नता होती है। इस क्षेत्र में वह 25 वर्षों से अपना अहम योगदान दे रही हैं। आज शिक्षिका अर्चना दुआ “हिन्दी वाली दीदी” (Hindi Wali Didi) के नाम से मशहूर हैं।
यह भी पढ़ें:- रिटायरमेंट के बाद इस महिला ने 66 की उम्र में खोला स्कूल, गरीब बच्चों में शिक्षा की लौ जलाकर संवार रही हैं उनका जीवन
जन-जन तक हिन्दी का प्रसार है जीवन का एक मात्र ऊद्देश्य
सभी के जीवन का अलग-अलग ऊद्देश्य होता है कोई उसे पूरा करने का प्रयास करता है तो बस यूहीं अपना समय बर्बाद कर देता है। अर्चना के जीवन का भी एक लक्ष्य है जिसे पूरा करने में वह कई वर्षों से अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उनके जीवन का एक मात्र ऊद्देश्य यह है कि लोग सही रूप से हिन्दी भाषा को समझें। यह भाषा (Hindi Language) सिर्फ बोलने, हिन्दी दिवस के अवसर पर सोशल मीडिया और स्टेटसों में सिर्फ याद रखने के लिए नहीं है। उनका मकसद है कि हमारी आनेवाली पीढ़ियों को हिन्दी साहित्य के बारें में जानकारी हो, वे इसे समझें।
अर्चना दुआ (Hindi Wali Didi Archana Dua) द्वारा हिन्दी के क्षेत्र में किया जा रहा प्रयास बेहद प्रशंशनीय है। उनके द्वारा उठाए गए इस कदम से हमारी मातृभाषा हिन्दी को एक नई पहचान मिलेगी। The Logically शिक्षिका और लेखिका अर्चना दुआ के कार्यों की प्रशंशा करता है।