अरुणाचलेश्वर मंदिर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। यह विशालकाय मंदिर तमिलनाडु के तिरुवनमलाई जिले में अरुणाचल पर्वत पर स्थित है। अरुणाचलेश्वर मंदिर 10 हेक्टेयर में फैला है। और इसकी ऊंचाई 217 फिट है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना को समर्पित यह मंदिर आस्था का महाकेन्द्र है जहाँ श्रद्धालुओं के अंदर सकारात्मकता का संचार होता है।
Arunachaleswar Temple में चार द्वार हैं। जिन्हे गोपुरम कहा जाता है। अरुणाचलेश्वर मंदिर में कई हॉल हैं और इस मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर में 1 हजार स्तंभ वाला हॉल भी हैं। यहां भगवान शिव की आराधना होती है।
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अरुणाचलेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग को अग्नि का प्रतीक माना जाता है। अरुणाचलेश्वर मंदिर में हर साल नवंबर- दिसंबर में दीप पर्व मनाया जाता है। मंदिर के आसपास बहुत सारे दीप जलाए जाते हैं। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है। अरुणाचलेश्वर मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को एक विशाल उत्सव मनाया जाता है। जिसे कार्तिक दीपम भी कहते हैं। इस उत्सव में दस से पंद्रह लाख श्रद्धालु इस पर्वत पर दीप प्रज्जवलित करते हैं। और परिक्रमा करते हैं। यह परिक्रमा अन्नामलाई पर्वत पर 14 किलोमीटर लम्बी परिक्रमा होती है। यह परिक्रमा नगें पांव किया जाता है। इस परिक्रमा को पूरा कर के और सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Arunachaleswar Temple के रास्ते में आठ शिवलिंग इंद्र, अग्निदेव, यमदेव, निरूती, वरुण, वायु, कुबेर और ईशान देव स्थापित हैं। श्रद्धालु इस आठ शिवलिंग की पूजा- अर्चना करते हुए अरुणाचलेश्वर मंदिर पहुंचते हैं। अरुणाचलेश्वर मंदिर के दर्शन और भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने के लिए लाखों लोग की भीड़ में श्रद्धालु देश- विदेश से आते हैं।
अरूणाचलेश्वर मंदिर जाने के लिए सड़क, रेल और वायु मार्ग उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से चेन्नई से 187 किलोमीटर पर स्थित यह मंदिर बस अथवा टैक्सी से पहुँचा जा सकता है। रेलमार्ग के जरिए चेन्नई से विल्लुपुरम पहुँचकर रेल या बस से मंदिर पहुँचा जा सकता है। वायु मार्ग से भी चेन्नई से तिरूवन्नामलाई पहुँचा जा सकता है।
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