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छत पर त्रिपाल और थर्मोकोल का लेयर बनाकर सब्जी की जैविक खेती करते हैं, नीम धतूरा का बनाते हैं खाद

हरी सब्जियां जो शुद्ध और जैविक खाद की मदद से उगाई गईं हों, उनका सेवन करने से हमारे शरीर को अन्य प्रकार का लाभ होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से हमे दांतो की परेशानी नहीं होती। हमारा शरीर ना ही ज़्यादा मोटा होता है ना ही पतला। साथ ही कैंसर, एनीमिया और पथरी जैसे बीमारियों से भी बचाव होता है। पहले लोगों का मानना था कि खेती के लिए आपके पास जमीन की आवश्यकता है। लेकिन इस कही-सुनाई बात के विरूद्ध जाकर हमारे देश के किसानों ने अपने छत, बालकनी और आंगन में खेती कर अपने मित्र किसानों को जागरूक कर रहें हैं। इस कहानी के द्वारा हम आपको बताएंगे एक किसान “अरविंद वशिष्ठ” के बारे में जिन्होंने अपने छत पर जैविक खेती कर विदेशी और देशी सब्जियां उगा रहें हैं।

अरविंद वशिष्ठ का परिचय

अरविंद वशिष्ठ (Arvind Vashishtha) झांसी (Jhansi) के निवासी हैं। पहले इनके घर बाजार की खरीदी हुईं सब्जियों का सेवन किया जाता था। लेकिन अब यह खुद अपने छत पर देशी विदेशी सब्जियों की खेती कर रहें हैं। एक समय की बात है जब यह अपने घर पर थे तब इन्होंने सुना कि इनके एक रिश्तेदार की आंत रोग ग्रसित हो चुके है। इन्होंने जब उनसे इस बीमारी का कारण का पूछा तो उन्हें पता चला कि उनके मित्र खेतों में केमीकल का छिड़काव कर रहें थे तब उन्होंने सावधानी नहीं बरती थी। इसलिए उन्हें ये बीमारी हो गई। तब से ही इन्होंने सोचा कि मैं अब जैविक खाद द्वारा खेती करूंगा और मित्र किसानों को भी यही खेती करने की सलाह दुंगा। फिर अरविंद लग गयें इस कार्य में। इनकी उगाई हुई विदेशी सब्जियां ज़्यादा मात्रा में बिकती है।

छत पर त्रिपाल बिछाकर किया खेती

अरविंद वशिष्ठ (Arvind Vashishtha) ने अपनी छत को सुरक्षित करने के लिए त्रिपाल बिछाकर उस पर मिट्टी डाल कर ड्रेनेज के माध्यम से मिट्टी को गिला करते हैं, और थर्माकोल का भी उपयोग करते हैं। फिर बीजों को उसमे लगाकर जैविक खाद की मदद से उन्हें उगाते हैं। यह गोबर, वर्मी कम्पोस्ट, मिट्टी और कॉकपिट को मिलाकर जैविक उर्वरक का निर्माण करते हैं।

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ईकॉमर्स के द्वारा मंगाया बीज

अरविंद वशिष्ठ जब अपने छत पर मिट्टी तैयार कर लिये तब ऑनलाइन माध्यम से कुछ बीज जैसे टमाटर और बैंगन मंगवाएं। कुछ दिनों बाद जब बीज अंकुरित हो गयें तो उसमें जैविक कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए खुद कीटनाशक बनाया। उन्होंने जैविक कीटनाशक बनाने के लिए काफी मेहनत किया तब जाकर वह सफल हुए। अरविंद ने मिट्टी के पात्र में नीम, धतूरा, अकउआ के पत्तें और कनेर को उबालकर उसमे नीम का तेल मिलाकर छिड़काव किया, जिससे उनके फसलों में लगे कीड़े मर गये और उन्हें इस सफलता पर बहुत खुशी हुई।

सब्जियों के स्वाद की तारीफ




अरविंद वशिष्ठ जो सब्जियां उगाते हैं, वह केमिकल युक्त नहीं होता। इसलिए इनके स्वाद भी सभी को बहुत पसंद हैं। इनके छत पर देशी सब्जियों में शिमला मिर्च, मिर्च, चुकन्दर, भिंडी, बैंगन, फूल गोभी, सीताफल, कद्दु, पालक, तुरई, मूली, सेम, मैथी, हरी धनिया, करेला और हल्दी आदि को उगाते हैं। मौसम के अनुसार वह विदेशी सब्जियों में पोकचो, ब्रोकली और लेट्यूस आदि भी उगाते हैं। इन्होंने बताया कि गोभी में एक बार ही फूल लगते हैं लेकिन ब्रोकली में 2 बार इसलिए मुझे देशी सब्जियों के अपेक्षा विदेशी सब्जियों से ज्यादा मुनाफा होता है।

इनकी खेती में अब परिवार के सदस्य भी मदद कर रहे हैं। अरविंद की पत्नी प्रतिदिन सुबह 2 घण्टे खेतों में लगी सब्जियों का निरीक्षण कर उनका देखभाल करती हैं। जैविक उर्वरक के द्वारा उगाई सब्जियां जल्दी खराब नहीं होती और इनका स्वाद भी अलग होता है। जिस तरह Arvind Vashishtha और उनका परिवार जैविक खेती में देशी और विदेशी सब्जियां उगा रहें हैं वह सभी किसानों के लिए उदाहरण है। Arvind Vashishtha के इस कार्य और मित्र किसानों को जागरूक करने के लिए The Logically इन्हें सलाम करता है।

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